Tuesday 25 December 2018

आपके कम्प्यूटर जी पर सरकार की नजर?

यह सही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता और इसकी सुरक्षा के हर संभव उपाय सरकार को करने चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता हर सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। ऐसे तत्वों पर नजर रखनी चाहिए जो देश के खिलाफ किसी भी प्रकार की गतिविधि में शामिल हो। इसमें उसके कम्प्यूटर इत्यादि की निगरानी भी शामिल है। पर सवाल यह है कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी सरकार को असीमित अधिकार दिया जाना शामिल है? गुरुवार रात केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर अपने एक आदेश में केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाली 10 जांच एजेंसियों को देश में चलने वाले सभी कम्प्यूटरों की जांच का अधिकार दिया है यानि अगर इन एजेंसियों को महज शक के आधार पर किसी व्यक्ति या संस्था के कम्प्यूटर में मौजूद सामग्रियों को देखने या जांचने का अधिकार होगा। हालांकि सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि फिलहाल देश की सुरक्षा की विशेष स्थितियों पर ही यह कार्रवाई होगी। बता दें कि नए आदेश में सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 की धारा 69 के तहत सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को किसी कम्प्यूटर सिस्टम में तैयार, स्टोर या रिसीव किए गए डेटा को चैक करने या उसकी निगरानी करने का अधिकार दिया गया है। कांग्रेस ने शुक्रवार को मोदी सरकार पर भारत को एक सर्विलांस स्टेट बनाने का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसी भी कम्प्यूटर के डाटा की जांच-पड़ताल करने के इस आदेश को नागरिकों की निजता का उल्लंघन बताते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तानाशाही रवैया करार दिया है। गांधी ने ट्वीट कर कहा कि भारत को पुलिस राज्य में बदलकर आपकी समस्या का समाधान होने वाला नहीं है मोदी जी। इससे देश की एक अरब आबादी को पता चल जाएगा कि आप वास्तव में कितने असुरक्षित तानाशाह हैं। इसके साथ ही उन्होंने वह खबर भी पोस्ट की है, जिसमें कहा गया है कि 10 केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति के कम्प्यूटर और टेलीफोन डाटा की निगरानी का अधिकार है। सवाल यह है कि क्या नए आदेश के बाद आम लोग भी इसकी जद में होंगे? लोगों का कहना है कि यह उनकी निजता के अधिकार में हस्तक्षेप है। विपक्षी दल भी यही सवाल उठा रहे हैं। राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार के इस फैसले के साथ देश में अघोषित आपातकाल लागू हो गया है। वहीं सरकार का कहना है कि ये अधिकार एजेंसियों को पहले से ही प्राप्त थे। राज्यसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विपक्ष आम लोगों को भ्रम में डाल रहा है। जेटली ने आश्वासन दिया कि उन्हीं के कम्प्यूटर की निगरानी रखी जाती है जो राष्ट्रीय सुरक्षा, अखंडता के लिए चुनौती होते हैं और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं। आम लोगों के कम्प्यूटर या डेटा पर नजर नहीं रखी जाती है।

-अनिल नरेन्द्र

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