Tuesday, 18 December 2018

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट?

राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी मोदी सरकार के लिए शुक्रवार सुबह अच्छी खबर लेकर आया। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को क्लीन चिट देते हुए 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ हुई डील की जांच की मांग करने वाली चारों याचिकाओं को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि कैग ने राफेल की कीमत का ऑडिट किया। फिर पीएससी ने कैग रिपोर्ट जांची। डील में संदेह का कोई कारण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के 21वें पेज पर 25वें बिन्दु (प्राइसिंग सेगमेंट) में लिखा हैöकोर्ट को सौंपे गए दस्तावेज के मुताबिक सरकार ने विमान की कीमत कैग (सीएजी) को  बताई थी। कैग की रिपोर्ट संसद की लोक-लेखा समिति (पीएसी) ने जांचा था। राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर रिपोर्ट का सीमित अंश ही संसद में रखा गया। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तीन प्रमुख आरोप थे। पहला, खरीद की प्रक्रिया। आरोपöसरकार ने डील करने के लिए प्रक्रिया का पालन नहीं किया। फैसलाöहमें फैसले की प्रक्रिया पर संदेह का मौका नहीं मिला। प्रक्रिया में मामूली गड़बड़ी हुई भी हो तो यह करार खत्म करने या विस्तृत जांच का आधार नहीं बनता। दूसरा, राफेल की कीमत। आरोपöतय कीमत से ज्यादा कीमत चुकाई गई, यह सार्वजनिक तथ्य है। फैसलाöकीमत कैग को बताई गई। कैग रिपोर्ट को पीएसी ने जांचा। इसका एक हिस्सा संसद में रखा गया। यही पब्लिक डोमेन में है। कीमतों की तुलना करना कोर्ट का काम नहीं है। तीसरा, ऑफसेट पार्टनर। आरोपöरिलायंस एयरो स्ट्रक्चर लिमिटेड को फायदा पहुंचाया। फैसलाöरिकॉर्ड में ऐसा कुछ नहीं मिला जो दिखाए कि सरकार ने किसी को फायदा पहुंचाया। इंडियन ऑफसेट पार्टनर चुनने का विकल्प भारत सरकार के पास है ही नहीं। शुक्रवार का सुप्रीम कोर्ट का फैसला भाजपा के लिए राहत लेकर आया। तीन राज्यों में हार के बाद मायूस भाजपा को डर सता रहा था कि कहीं इस मुद्दे को 2019 के आम चुनाव तक खींच लिया गया तो उनके लिए और मोदी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। अब पार्टी को फैसले के बाद लगा कि मोदी सरकार की छवि को धूमिल करने वाला एक धब्बा हट गया है। राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भाजपा के लिए संजीवनी से कम नहीं। पार्टी के नेताओं के चेहरे खिल गए। पार्टी ने तुरन्त ही मुद्दे पर प्रचार की योजना तय भी कर ली। सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन स्थित अपने कक्ष में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक कर विचार-विमर्श किया तो अमित शाह ने दल-बल के साथ भाजपा मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर विस्तार से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयानों को झूठा ठहराया और देश से माफी मांगने की बात कही। शाम होते-होते दूसरे राउंड में कांग्रेस ने पासा पलटने की नीयत से विवाद को नया रूप दे डाला। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहाöकोर्ट के फैसले में साफ लिखा है कि कीमतें कैग की रिपोर्ट में दर्ज हैं। फिर यह रिपोर्ट सीएजी के सामने रखी गई। यह जानकारी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी है। इसी आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला दिया। मेरे साथ पीएसी के चेयरमैन मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। इनसे पूछिए कि रिपोर्ट उनके सामने कब आई? इसके बाद खड़गे ने कहा कि पीएसी में कैग रिपोर्ट नहीं आई? फिर राहुल ने कहाöखड़गे कह रहे हैं कि उन्होंने यह रिपोर्ट देखी नहीं तो क्या पीएम मोदी ने पीएमओ में कोई और पीएसी बना रखी है या शायद फ्रांस में चलती होगी। सरकार ने संस्थाओं की ऐसी-तैसी कर रखी है। खैर, हम सिर्प यह कह रहे हैं कि मामला 30,000 करोड़ रुपए की चोरी का है। मोदी राफेल सौदे में विवादास्पद ढंग से 36 विमानों की खरीद संबंध में अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग कर रहे याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार के फैसले को अत्यंत दुखद और हैरतभरा बताया, मगर कहा कि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे में मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को झूठी जानकारी देकर जिस तरह गुमराह किया वो देश के साथ धोखा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले का एक आधार यह बताया कि केंद्र सरकार ने सीएजी से लड़ाकू विमान की कीमतें सांझा की, जिसके बाद सीएजी ने पीएसी को रिपोर्ट दे दी और फिर पीएसी ने संसद के समक्ष राफेल सौदे की जानकारी दे दी है, जो अब सार्वजनिक है। उन्होंने कहाöहमें यह नहीं पता कि सीएजी को कीमत का ब्यौरा मिला है या नहीं? लेकिन बाकी सारी बातें झूठ हैं। न ही सीएजी की तरफ से पीएसी को कोई रिपोर्ट दी गई है, न ही पीएसी ने ऐसे किसी दस्तावेज का हिस्सा संसद के समक्ष प्रस्तुत किया और न ही राफेल सौदे के संबंध में ऐसी कोई सूचना या रिपोर्ट सार्वजनिक है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत अपनी न्यायिक समीक्षा के दायरे को आधार बनाकर याचिका खारिज की है। सरकार को कोई क्लीन चिट नहीं मिली। राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के संगीन आरोप देशवासियों को तब तक आंदोलित करते रहेंगे जब तक कि मामले में निष्पक्ष जांच करके दूध का दूध और पानी का पानी न हो जाए। देश की खातिर हम इस मामले को जारी रखेंगे। साफ है कि सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले की पुनर्निरीक्षण की मांग होगी। यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ। यह तो एक ट्रेलर है, पिक्चर आना बाकी है।

-अनिल नरेन्द्र

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