Wednesday, 1 July 2020
10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और आईसीएसई ने कोविड-19 की महामारी के कारण प्रभावित दसवीं और बारहवीं बोर्ड के बचे विषयों से संबंधित परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लेकर लाखों बच्चों और उनके अभिभावकों के समक्ष पैदा हुए असमंजस को दूर करने का फैसला स्वागतयोग्य है। अब इन विषयों के अंक आंतरिक मूल्यांकन और पिछली परीक्षाओं के आधार पर तय कर दिए जाएंगे, जो असाधारण परिस्थितियों को देखकर व्यावहारिक ही हैं। कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के बीच परीक्षा आयोजित कर छात्रों को संक्रमण में डालना कतई उचित नहीं होता। जब राजधानी दिल्ली तथा कोविड-19 से ग्रसित दूसरे स्थानों के शिक्षण संस्थान बंद हैं, तो फिर ऐसे में परीक्षा आयोजित करना तर्कपूर्ण नहीं माना जाएगा। पहले एक जुलाई से 15 जुलाई तक 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा की तिथि यह विचार करते हुए तय की गई होगी कि तब तक कोविड का प्रकोप कम हो जाएगा। कम से कम राजधानी दिल्ली तथा मुंबई की स्थिति तो इसका संकेत नहीं दे रही। दिल्ली सरकार कह रही है कि जुलाई तक यहां कोविड-19 के पांच लाख मरीज हो जाएंगे। कोविड के इस प्रचंड प्रकोप के बीच परीक्षा आयोजित करने का जोखिम कोई मोल नहीं ले सकता। इसी तरह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पांच जुलाई को निर्धारित केंद्रीय पात्रता परीक्षा को भी रद्द कर दिया है। वैसे भी जब अभिभावकों का एक समूह 10वीं और 12वीं की बची परीक्षाओं को रद्द कराने के लिए उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया था तो फिर सरकार कैसे जोखिम उठा सकती थी। इन अभिभावकों ने अपनी याचिका में तर्क ही यही दिया था कि इसमें छात्र-छात्राओं के जीवन पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। बोर्ड की परीक्षा के लिए प्रत्येक छात्र कितनी मेहनत करता है, यह बताने की आवश्यकता नहीं। यहां प्रश्न बच्चे के कैरियर का भी है। कोरोना वायरस के संक्रमण का वक्त कब नीचे आएगा, इसके बारे में कुछ भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता, जिससे नए शैक्षणिक सत्र को लेकर अनिश्चय पैदा हो गया है। लिहाजा इस दिशा में सरकार का कोई भी कदम यह सुनिश्चित करते हुए उठाना चाहिए कि किसी तरह का असंतुलन न हो। हमें बेहतर परिस्थितियों की उम्मीद करनी चाहिए ताकि सब समयानुसार हो सके।
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