Saturday 11 July 2020

कोरोना के पांच रहस्य छह महीने बाद भी बरकरार

दुनियाभर में छह महीने के अंदर एक करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं तथा पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन कोविड-19 के पांच रहस्यों से वैज्ञानिक आज भी पर्दा नहीं उठा सके हैं। साइंस जर्नल नेचर ने दुनिया के वैज्ञानिकों के हवाले से एक शोध रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें कोविड के पांच तिलिस्मों का जिक्र है। रिपोर्ट कहती है कि जब तक इन पांच सवालों के जवाब नहीं मिलते, महामारी काबू नहीं आ सकती। पहला सवाल यह है कि वायरस के विरुद्ध शरीर की प्रतिक्रिया अलग क्यों है? बीमार और बूढ़ों को छोड़ भी दें तो यह स्पष्ट हो चुका है कि एक उम्र समान शारीरिक क्षमता के दो लोगों को वायरस संक्रमित करे तो दोनों पर प्रभाव अलग-अलग होता है। ऐसा क्या होता है, यह आज भी पता नहीं है। वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने इटली एवं स्पेन के 4000 लोगों के जीनोम का अध्ययन करने के बाद कहा है कि जिन लोगों पर वायरस का गंभीर प्रभाव हुआ, उनमें एक या दो अतिरिक्त जीन हो सकते हैं। दूसरा सवालöसंक्रमित होने के बाद कोरोना के खिलाफ कब तक प्रतिरोधक क्षमता बनी रहेगी। अन्य कोरोना वायरस के मामले में यह कुछ महीनों तक ही पाई गई। इसलिए कोविड-19 के बाद संक्रमितों में उत्पन्न एंटीबॉडीज पर अध्ययन करके यह जानने की कोशिश की जा रही है कि वह कितने समय तक बीमारी से प्रतिरक्षा कर सकते हैं। तीसराöदुनिया के किसी हिस्से में वायरस ज्यादा घातक और किसी हिस्से में कम घातक क्यों है। वायरस में बदलावों को लेकर अध्ययन हुए हैं जो छोटे बदलावों का संकेत तो करते हैं लेकिन वायरस की कार्यप्रणाली कैसे बदल रही है इसका पता नहीं चला। चौथाöदुनिया में टीके के 250 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनमें 20 मानव परीक्षण के स्तर पर पहुंचे हैं, लेकिन इन टीकों के पशुओं पर परीक्षणों एवं मानव पर शुरुआती परीक्षणों से यही नतीजा निकलता है कि यह फेफड़ों को संक्रमण से बचाने में कारगर है। निमोनिया नहीं होगा, लेकिन संक्रमण टीके से नहीं रुकेगा। सबसे पहले ऑक्सफोर्ड का टीका आ सकता है, सिर्फ वह फेफड़ों का संक्रमण बचा सकता है। पांचवांöअनुत्तरित सवाल है कि वायरस आखिर आया कहां से? अभी तक यही मानते हैं कि यह चमगादड़ से आया, क्योंकि यह कोरोना वायरस आरएटीजी 13 चमगादड़ से आया। कोविड-19 और आरएटीजी की जीनोम संरचना 96 प्रतिशत मिलती है। लेकिन यह चमगादड़ से सीधे इंसान में पहुंचा है तो वायरस के जीनोम में चार प्रतिशत का अंतर नहीं हो सकता। चार प्रतिशत बदलाव में वक्त लगता है। इसलिए चमगादड़ से यह किसी दूसरे जानवर में गया और वहां से इंसान में आया।

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