Thursday, 2 July 2020

कोरोना के साथ ही अब डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया की दस्तक

कोरोना महामारी से तो पहले से ही हम परेशान हैं अब मानसून आने के साथ मलेरिया और चिकनगुनिया का खतरा और बढ़ गया है। मानसून की आहट के साथ ही दिल्ली में डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया का प्रकोप हर साल की तरह इस बार भी देखने को मिल सकता है, जबकि यहां पर पहले से कोविड का संक्रमण फैला हुआ है। डाक्टरें के सामने इन सभी बीमारियों में फर्क करना एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आने वाली है, क्योंकि बुखार आने के पहले-दूसरे दिन में इन बीमारियों में फर्क करना आसान नहीं होगा, खासकर क्लीनिकल स्तर पर मुश्किल होने वाली है। मैक्स के इंटरनल मेडिसिन के डाक्टर रोमेल टिक्कू ने बताया कि डेंगू में फीवर, बदन दर्द और सिर दर्द होता है। खासकर शुरू में यही लक्षण हैं। लेकिन इससे मिलते-जुलते ही चिकनगुनिया और मलेरिया में भी है। इन तीनें के फीवर और कोविड के फीवर में फर्क करना मुश्किल है। मच्छरों से होने वाली बीमारी मे जो वायरस फैलता है, उससे इलाज करने वाले हेल्थ केयर वर्कर को नुकसान नहीं है। लेकिन कोविड के मरीजों से यह दिक्कत है। उसकी पहचान जरूरी है, क्योंकि उसे सबसे अलग और आइसोलेट करके रखना होता है और लाइन ऑफ इंटिमेंट में अलग है। गंगाराम अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के डाक्टर अतुल गोगिया ने बताया कि मौसमी फीवर के बीच कोविड की पहचान करना तो बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने आने वाली है। इनमें क्लीनिकल स्तर पर फर्क करना आसान नहीं होगा। इंफैक्शन एक्सपर्ट डॉक्टर नरेन्द्र सैनी ने कहा कि फीवर के पहले दिन तो मुश्किल है, लेकिन डेंगू फीवर का पीरियड एक हफ्ते का होता है और यह चौथे या पांचवें दिन पूरी तरह से समझ आ जाता है। उन्होंने बताया कि इसलिए क्लीनिकल स्तर पर डाक्टर को मरीज की हिस्ट्री लेना बहुत जरूरी हो जाएगा, अगर फीवर है और मरीज कंटेनमेंट जोन से आया है तो फिर वह कोविड के सक्रिय मरीज की तरह ही देखा जाना चाहिए। फीवर वाले मरीज की हिस्ट्री का कैंटेक्ट हिस्ट्री, फैमली में कोविड है या नहीं, वह किस एरिया से आया है। वहां पर कोविड का क्या स्टेटस है, इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही इलाज करना होगा। -अनिल नरेन्द्र

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