Saturday, 4 July 2020
जान हथेली पर रखकर बचाया मासूम को
कश्मीर के सोपोर में बुधवार सुबह मस्जिद में छिपकर बैठे आतंकियों ने सीआरपीएफ के दस्ते पर हमला बोल दिया। आतंकवादियों की गोलीबारी के बीच फंसा तीन साल का मासूम। चन्द सेकेंड पहले उसके नाना आतंकियों की गोलियों का शिकार हो गए। निशाने पर थी सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक संयुक्त टीम। जवाबी कार्रवाई के दौरान तीन साल के बच्चे को बचाने की चुनौती थी। लेकिन सेना के जवानों ने जान हथेली पर रखकर मासूम को बचा लिया। जम्मू-कश्मीर के सोपोर में बुधवार हुई इस मुठभेड़ के दौरान खींची गई उस बच्चे की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई रहीं। दिल दहला देने वाली तस्वीरें। सुरक्षा कर्मियों की गश्ती टीम पर हमला करने पहुंचे आतंकवादियों ने सामने पड़े नाती-नाना पर गोलियां बरसाईं। उस व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई। उनके साथ मौजूद तीन साल का बच्चा अपने नाना के शव के पास बैठा रोता रहा। अबोध बच्चे को शायद यह नहीं पता था कि उनके नाना की जान चली गई है। मासूम बच्चा शव पर बैठे अपने नाना के उठने का इंतजार कर रहा था। लेकिन उसे कहां पता था कि उसके नाना की तो मौत हो चुकी है। इसी दौरान उसने एक जवान को देखा। उसकी मासूमियत से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह कहना चाह रहा है कि मेरे नाना को उठा दो। आनन-फानन में उस जवान और उसके साथियों ने बच्चे को बचाने के लिए मोर्चा संभाला। कई बार जवान के इशारे किए जाने पर बच्चा धीरे-धीरे जवान की ओर बढ़ा। जवान ने उसे गोद में उठा लिया। मुठभेड़ में शामिल सोपोर से पुलिस अधिकारी अजीम खान के मुताबिक मुठभेड़ स्थल पर मस्जिद की ऊपरी मंजिल से गोलीबारी हो रही थी। बच्चे को बचाने के लिए हम लोगों ने सबसे पहले आतंकियों और बच्चे के बीच बख्तरबंद (आर्म्ड कार) लगा दीं ताकि गोलीबारी की जद में बच्चे को आने से बचाया जा सके। इसके बाद हम बच्चे को वहां से निकाल लाए। बच्चा अपने नाना के साथ दूध खरीदने निकला था। बच्चे को उसके घर पहुंचा दिया गया। जम्मू-कश्मीर में सेना को बदनाम करने वालों के लिए यह भी एक उदाहरण है।
-अनिल नरेन्द्र
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