Thursday 16 July 2020

मरने से पहले विकास ने सारे राज उगल दिए

दैनिक जागरण और राष्ट्रीय सहारा में छपी खबर के अनुसार आठ पुलिस कर्मियों के हत्यारे और पांच लाख के ईनामी विकास दुबे को एसटीएफ ने भले ही मुठभेड़ में मार गिराया हो, लेकिन मरने के पूर्व उज्जैन से कानपुर के रास्ते में विकास दुबे ने अपने सहयोगियों के नाम एसटीएफ को बता दिए थे। किससे उसका व्यापारिक संबंध था, कौन अधिकारी उसकी मदद करता था और कौन-कौन नेता उसकी राजनीतिक गलियों में पहुंच बनाते थे। विकास ने उन सभी के नाम एसटीएफ को मरने से पहले बता दिए थे। विकास के एनकाउंटर के बाद उसके मददगारों ने सोचा कि अब तो उनके सारे राज दफन हो गए हैं और विकास की कहानी खत्म हो गई है। पर उन्हें यह मालूम नहीं था कि एसटीएफ ने उसके एनकाउंटर से पहले सारे राज उगलवा लिए थे। एसटीएफ ने उसके बयानों की वीडियोग्राफी कराकर सीडी शासन को सौंप दी है। विकास के पूरे नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने को कटिबद्ध शासन के निर्देश पर अब जांच एजेंसियां विकास द्वारा बताए गए लोगों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। उल्लेखनीय है कि दुर्दान्त विकास को उज्जैन पुलिस ने 9 जुलाई की सुबह महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया था। विकास को कानपुर शहर लाने के लिए एसटीएफ सीओ तेज बहादुर सिंह के नेतृत्व में एसटीएफ के पचास कमांडो और मामले के विवेचक इंस्पेक्टर नवाब गंज पचौरी पांच पुलिस कर्मियों के साथ उज्जैन गए थे। एसटीएफ और पुलिस विकास को सड़क के रास्ते शहर ला रही थी। कई घंटे के लंबे सफर में एसटीएफ ने विकास दुबे से पूछताछ शुरू की थी। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक विकास से करीब पचास से ज्यादा प्रश्न पूछे गए थे, उसमें कुछ प्रश्न घटना से संबंधित, कुछ उसके साथियों से और कुछ उसके सहयोगियों से संबंधित थे। एसटीएफ सूत्रों के अनुसार विकास ने अपने सहयोगियों में सबसे पहले चार बड़े कारोबारियों के नाम लिए। यह कारोबारी ऊंची पहुंच रखने वाले हैं। विकास की उनके साथ पार्टनरशिप है। विकास जयराम के जरिए होने वाली कमाई को इन चार बड़े कारोबारियों के धंधे में लगाता था। जिसका एक बंधा हिस्सा उसे हर माह कारोबारियों द्वारा पहुंचा दिया जाता था। इसके अलावा यह चारों कारोबारी अन्य मामलों में भी विकास की मदद करते थे। इसके बाद विकास ने पांच उच्च पदें पर तैनात पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से दोस्ती होने की बात बताई। विकास ने बताया कि वह इन अधिकारियों के जरिए उस पर पड़ने वाले पुलिस के दबाव को खत्म कराने, अपने खिलाफ हुई शिकायत को दबाने के साथ ही अपने चेहते लोगों की ट्रांसफर पोस्टिंग का काम भी करता था। उसने कुछ माह पूर्व एक अधिकारी (का नाम भी बताया) के जरिए एक थानेदार और चार चौकी प्रभारियें की तैनाती बताई थी। देखना अब यह है कि विकास दुबे द्वारा लिए गए नामों पर क्या एक्शन होता है? क्या शासन उनके नाम सार्वजनिक करेगा? या मामले को ऐसे हर मामलों की तरह दबा देगा?

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