Saturday, 4 July 2020

चीनी सरकार के खिलाफ सैनिकों में गुस्सा, विद्रोह की स्थिति

लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ उलझना चीन की कम्युनिस्ट सरकार के लिए बहुत भारी पड़ रहा है। भारत ने जहां उसके खिलाफ आर्थिक मोर्चेबंदी शुरू कर दी है, वहीं उसे अपने देश के लोगों को भी गलवान घाटी की झड़प पर जवाब देते नहीं बन रहा है। सत्तारूढ़ चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) सच्चाई छिपा रही है, जिसमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पूर्व दिग्गजों और मौजूदा जवानों के बीच इस कदर नाराजगी बढ़ती जा रही है कि वो कभी भी सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह कर सकते हैं। यह कहना चीन के एक विद्रोही नेता और सीसीपी के एक पूर्व नेता के पुत्र जियानली यांग का है। सिटीजन पॉवर इनिशिएटिव फॉर चाइना नामक संगठन के संस्थापक व अध्यक्ष यांग ने वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित अपने लेख में कहा है कि बीजिंग को डर है कि अगर वह यह मान लेता है कि विरोधी से ज्यादा उसके अपने सैनिक मारे गए थे तो देश में अशांति फैल सकती है और सीसीपी की सत्ता भी दांव पर लग सकती है। यांग ने लिखा हैöसीसीपी की सरकार के लिए पीएलए ने अब तक एक मजबूत स्तम्भ की तरह काम किया है। अगर पीएलए के मौजूदा सैनिकों की भावनाएं आहत होती हैं और वह लाखों दिग्गजों (इनमें पीएलए के वो सदस्य शामिल हैं जो शी से नाराज हैं... जिनमें पीएलए को व्यवसायिक गतिविधियों से अलग करने की शी की मुहिम के विरोधी हैं) के साथ आ जाते हैं तो शी के नेतृत्व को मजबूती के साथ चुनौती दे सकते हैं। उन्होंने आगे लिखा है कि सीसीपी नेतृत्व सरकार के खिलाफ पूर्व सैनिकों की सामूहिक और सशस्त्र कार्रवाई की क्षमता को हल्के में लेने की गलती नहीं कर सकता। दमनात्मक कार्रवाई और नौकरशाही के उपायों के बावजूद सेना के पूर्व दिग्गजों का विरोध बढ़ रहा है। सीसीपी के डर को स्पष्ट करने के लिए यांग गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प का उदाहरण देते हैं। उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान से जब पूछा गया कि इस झड़प में कितने सैनिक मारे गए तो उन्होंने साफ कह दिया कि इस बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है। अगले दिन जब उन्हें भारतीय मीडिया की खबरों का हवाला दिया जिसमें चीन के 40 सैनिकों से ज्यादा के मारे जाने की बात थी तो उन्होंने इसे गलत सूचना करार दे दिया। यांग लिखते हैंöचीन ने यह नहीं माना कि उसके कितने सैनिक मारे गए? जबकि भारत ने अपने सैनिकों के शहीद होने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की व सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया। गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की मरने वालों की संख्या बताना तो दूर रहा उनके शव भी परिजनों को नहीं लौटाए गए और न ही उनका अंतिम संस्कार हो सका।

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