Saturday 11 July 2020

अमेरिका का अजीबोगरीब फैसला

कोरोना संकट के बीच अमेरिकी सरकार का एक अजीबोगरीब फैसला समझ नहीं आया। अमेरिका के इमिग्रेशन और कस्टम इनफोर्समेंट डिपार्टमेंट ने आदेश में कहा था कि ऐसे विश्वविद्यालय जहां कोविडकाल में ऑनलाइन क्लास चल रही हैं वहां के विदेशी स्टूडेंट्स को देश छोड़ना होगा। दो तरह के वीजाöनॉन इमिग्रेंट एफ-1 और एच-1 वाले स्टूडेंट्स को अमेरिका में आने की अनुमति नहीं होगी। इनका अगले सेमेस्टर के लिए वीजा जारी नहीं किया जाएगा। बता दें कि अमेरिका में लगभग 30 प्रतिशत यूनिवर्सिटी ऑनलाइन कोर्स चला रही हैं। अमेरिकी सरकार के फैसले के खिलाफ वहां की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ने आवाज उठा दी है। अमेरिका की दो टॉप यूनिवर्सिटी हॉवर्ड और एमआईटी ने इस फैसले पर घोर आपत्ति जताते हुए इस पर दोबारा विचार करने की मांग की है। दोनों यूनिवर्सिटी ने कहा है कि अचानक लिए गए फैसले से वहां रह रहे स्टूडेंट्स को काफी परेशानी हो सकती है और यह स्टूडेंट्स के हित के लिए नहीं है। हॉवर्ड क्रिमसन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों ने यह नियम बनाने वाले आब्रजन अधिकारियों और गृह सुरक्षा विभाग को कोर्ट में घसीटा है। हॉवर्ड क्रिमसन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों ने बुधवार को बोस्टन जिला अदालत में दोनों संघीय एजेंसियों के खिलाफ मुकदमा किया। इसमें कहा गया है कि गृह सुरक्षा विभाग और आब्रजन विभाग को सीधे संघीय दिशानिर्देश को लागू करने से रोका जाए जिसमें विदेशी छात्रों को अमेरिका छोड़कर जाने को कहा जा रहा है। कोर्ट से इसके लिए अस्थायी आदेश जारी करने की मांग की। इसमें कहा गया कि निर्णय प्रशासनिक प्रक्रिया कानून का उल्लंघन है। यह इससे होने वाली मुश्किलों की समीक्षा किए बिना ही जारी कर दिया गया। यह किसी सूरत में तर्कसंगत नहीं है। हॉवर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष लारेंस बैको ने कहाöसिर्फ सभी संबद्धों को ई-मेल के जरिये यह आदेश पारित कर दिया गया। इसका न कोई नोटिस दिया गया और न किसी से चर्चा ही की गई। यह लापरवाही में लिया गया फैसला है और लगता है कि आदेश गलत जननीति है। हम इसे गैर-कानूनी मानते हैं। ध्यान रहे, यह विदेशी स्टूडेंट्स कुल अमेरिकी छात्रों का 5.5 प्रतिशत है और साल 2019 में इन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालयों में 41 अरब डॉलर तो सिर्फ फीस भरी थी। यह भी विचित्र है कि वीजा नियमों में ऐसे फेरबदल की खबरें कहीं और से नहीं आ रहीं जबकि कोरोना काल में लगभग सभी देशों के विश्वविद्यालय ऑनलाइन पढ़ाई ही करा रहे हैं। बहरहाल अमेरिकी विश्वविद्यालयों को इस मसले पर पहल करते हुए सरकार से बातचीत करने की कोई राह निकालनी चाहिए, क्योंकि मौजूदा व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा भी वही ले रहे हैं। वैध तरीके से वहां रहने वाले लोगों के सामने अचानक ही देश से बाहर निकलने के हालात पैदा कर देना किस तरह महामारी से बचाव की लड़ाई है? -अनिल नरेन्द्र

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