Wednesday 8 July 2020

3 महीने से एक दिन छुट्टी नहीं की, बच्चों से अलग रखा

घर, थाने और कंटेनमेंट जोन। कोरोना के संक्रमण के डर से दिल्ली पुलिस की कांस्टेबल नीलिमा सिंह का न हौंसला कम हुआ, न फर्ज से मुंह मोड़ा। घर पहुंचने पर तीन महीने से अपने बच्चों को भी नजदीक नहीं आने दिया। कोरोना संकट के दौरान थाने में स्टाफ की कमी होने पर भी उन्होंने लंबी ड्यूटी दी। जी हां, कोरोना वॉरियर नीलिमा सिंह अब भी बिना छुट्टी लिए महेंद्रा पार्क थाने में ड्यूटी पर तैनात हैं। थाने में भी संक्रमण आ चुका है। चार-पांच पुलिस कर्मी चपेट में आए। फिर भी वह ड्यूटी पर डटी रहीं। 34 साल की नीलिमा सिंह मूल रूप से यूपी के देवरिया जिले से हैं। पिता मदन सिंह दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल थे। 1999 में होली के दिन सड़क हादसे में उनका निधन हो गया। परिवार बिखर गया। उनकी जगह पर कमान संभाली नीलिमा की मां शीला ने। वह इन दिनों ईओडब्ल्यू सेल में तैनात है। एक भाई और तीन बहनों में नीलिमा अकेली दिल्ली पुलिस में हैं। गांव में पढ़ी-लिखी। बाद में अपने दमखम पर 2006 में दिल्ली पुलिस ज्वाइन की। परिवार में पति के अलावा 10 साल का बेटा आयुष्मान, बिटिया छह साल की अराधना सिंह और बुजुर्ग सास-ससुर हैं। नीलिमा सिंह डीसीपी विजयता आर्य को रोल मॉडल मानती हैं। वह महेंद्रा पार्क थाने में 2017 से तैनात हैं। नीलिमा सिंह बताती हैं कि ड्यूटी के दौरान ऐसा डर कभी नहीं लगा जो कोरोना संक्रमण के दौरान है। खासकर तब, जब हर तरफ कोरोना से मरने और संक्रमित होने के आंकड़े हर रोज न्यूज में देखने को मिले। थाने में पब्लिक डीलिंग के लिए हेल्प डेस्क पर ड्यूटी है। कंप्लेंट, कॉल या कंटेनमेंट जोन में जाने के लिए पब्लिक डीलिंग के साथ अस्पताल आना-जाना रहता है। वह समय काफी डराता था क्योंकि वहां हर तरफ कोरोना संक्रमित दिखाई देते थे। अकसर कोरोना पॉजिटिव लेडी को घर से अस्पताल ले जाने के लिए स्पॉट पर जाना पड़ता है। थाने आने वाले ज्यादातर कंटेनमेंट जोन और उसके आसपास के एरिया से हैं। खुद को सैनेटाइज करती हूं। बच्चे सेफ रहें इसलिए तीन महीने से बच्चों से दूर अपने को रखा है। हम नीलिमा सिंह के जज्बात को सलाम करते हैं। ऐसे पुलिस कर्मियों पर हमें नाज है। -अनिल नरेन्द्र

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