Wednesday, 10 August 2011

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के चरमराने का असर सारी दुनिया पर होगा


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 10 August 2011
अनिल नरेन्द्र
जब दुनिया की सबसे मजबूत मानी जाने वाली अमेरिकी अर्थव्यवस्था डगमगा जाए तो उसका प्राभाव शेष देशों पर पड़ना स्वाभाविक ही है।
सारी दुनिया के अर्थ जगत में उथल-पुथल मची हुईं है। वित्तीय साख के सबसे खास "ट्रिपल ए" क्लब से अमेरिका को बेदखल करने के बाद विश्व की सरकारें और वित्तीय नियामक आपातकालीन तैयारियों में जुट गए हैं। अमीर और उभरते देशों के समूह जी-20 के वित्तमंत्रियों ने रविवार को ही फोन पर आपात मंत्रणा शुरू कर दी। इसका सबसे ज्यादा असर दुनिया के बाजारों पर पड़ा है। पिछले सप्ताह दुनिया के बाजारों में करीब 2500 अरब डालर का चूना लग चुका है। इधर अपने देश में शेयर बाजार में गिरावट सुनामी लहर बनकर आईं और देखते-देखते सूचकांक गोता खा गया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 510 अंक टूटकर खुला और 17000 के स्तर से काफी नीचे चला गया। निफ्टी में भी 130 अंकों की गिरावट आईं और यह 5000 का लेवल तोड़ने के करीब पहुंच गया। गिरावट की सबसे ज्यादा मार आईंटी दिग्गज कम्पनियों पर पड़ी। इंफोसिस, विप्राो पांच फीसदी से ज्यादा टूट गए। टाटा मोटर्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईंसीआईंसीआईं बैंक, भारती एयरटेल जैसी दिग्गज कम्पनियों में भी जबरदस्त बिकवाली हुईं। गौरतलब है कि सेंसेक्स में पिछले 4 सत्रों में ही 1000 अंकों की गिरावट आ चुकी है। एक अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में अब तक विभिन्न स्टॉक एक्सचेंजों में 200 लाख करोड़ डालर का नुकसान तो हो चुका है, कोईं देश अछूता नहीं रहा। शेयरों की गिरावट की हलचल चीन से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक देखी गईं।
इधर गिरते बाजारों के बीच भारत में सोने की मांग ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सोमवार सुबह एमसीएक्स पर कारोबार के दौरान सोना 25000 रुपये प्राति 10 ग्राम के पार चला गया है। उम्मीद जताईं जा रही थी कि दीपावली तक सोना यह स्तर छू सकता है, लेकिन दुनियाभर के बाजारों में गिरावट के बीच निवेशकों की सेफ जोन की तलाश ने सोने को अभी ही इस बुलंदी तक पहुंचा दिया। एमसीएक्स पर कारोबार की शुरुआत के साथ ही सोना 359 रुपये यानि करीब 1.4 फीसदी ऊपर चला गया। कमोडिटी एनालिस्ट मानते हैं कि अगले वुछ दिनों में सोना 27000 रुपये प्राति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच जाए तो भी ज्यादा आार्यं नहीं होगा। अमेरिकी डालर की कमजोरी के साथ ही सोने में तेजी बढ़ती जाएगी। दुनियाभर के निवेशक शेयर बाजारों से पैसा निकालकर सुरक्षित समझे जाने वाले सोने में पैसा लगा रहे हैं।
दुनियाभर के शेयर बाजारों में बिकवाली की भगदड़ से सोमवार सुबह कच्चे तेल के दाम काफी लुढ़क गए। सितम्बर महीने की डिलीवरी वाले न्यूयॉर्व मेन लाइट क्रुड कांट्रेक्ट 2.86 फीसदी लुढ़कर 84.55 डालर प्राति बैरल पर आ चुका था। इसी तरह ब्रेंट नॉर्थ सी क्रुड भी 2.66 फीसदी फिसलकर 106.48 डालर प्राति बैरल के स्तर पर कारोबार कर रहा था। कमोडिटी विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिकी क्रेडिट की दोबारा हुईं रेटिंग में भी डाउनग्रोडिंग के चलते बाजार में अविश्वास का माहौल बना है। निवेशकों का भरोसा हिला हुआ है। इससे तेल की डिमांड भी प्राभावित होगी। गौरतलब है कि अमेरिका दुनिया में तेल का सबसे ज्यादा खपत करने वाला देश है और उसकी क्रेडिट रेटिंग पिछले 70 बरसों में पहली बार ट्रिपल ए से घटकर एए पल्स रह गईं है।
एक बार फिर भारतीय अर्थव्यवस्था का इम्तिहान होगा।
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