Saturday, 20 August 2011

यह आंदोलन भारत के लिए ही नहीं, सारी दुनिया के लिए उदाहरण है


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 20 August 2011
अनिल नरेन्द्र
कांग्रेस ने अन्ना हजारे के समर्थन में बड़ी तादाद में लोगों के आगे आने पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि इस आंदोलन के पीछे अमेरिका का हाथ है। कांग्रेस का तर्प है कि अमेरिका ने कभी किसी आंदोलन के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की, मगर अन्ना के आंदोलन को लेकर अमेरिका की वकालत संदेह पैदा करती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी अन्ना हजारे की गिरफ्तारी को लेकर संसद में दिए अपने बयान में विदेशी ताकतों का जिक्र किया है। मैं नहीं जानता कि इस आंदोलन के पीछे अमेरिका का हाथ है या नहीं। हां, अमेरिका जब भी किसी देश में सरकार दमनकारी कदमों पर लोकतांत्रिक तरीके से जनता आंदोलन करने को समाप्त करने पर उतर आए तो अमेरिका उस पर चेतावनीनुमा सुझाव जरूर देता है। उसने चीन, मध्य-पूर्वी देशों को भी ऐसी चेतावनी दी है और देता है। यह कहना इसलिए भी गलत लगता है कि जितनी अमेरिकापरस्त यह मनमोहन सिंह सरकार है उतनी तो स्वतंत्र भारत के इतिहास में इससे पहले कभी नहीं होगी। सारा कांग्रेस नेतृत्व अमेरिकी हमदर्द है और यह बात कई बार साबित भी हो चुकी है। सो यह कहना अपनी समझ में तो आया नहीं। अगर कांग्रेस यह कहती कि कुछ ताकतें देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं इसलिए अंदरुनी हालात अस्थिर कर रहे हैं तो भी बात समझ में आती। अन्ना के आंदोलन ने तो सारे पुराने रिकार्ड तोड़ दिए हैं। टीम अन्ना ने कमाल कर दिया है। जिस तरीके से पिछले 3-4 दिनों से जनता सड़कों पर शांतिप्रिय तरीके से आंदोलन कर रही है वह अभूतपूर्व है। इतनी संख्या में लोग सड़कों पर हों और एक भी जगह लाठीचार्ज न हो, एक भी जगह राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान न पहुंचा हो यह भारत में क्या सारी दुनिया में एक उदाहरण है। लोगों का जज्बा देखने को मिलता है। बस, एक आवाज और इंडिया गेट पर एक लाख लोग। न कोई सियासी नेता न कोई रैली। इस तरह उमड़ते लोगों को दिल्ली क्या दुनिया ने भी कम देखा होगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली और पूरे देश में तनी मुट्ठियां यह बता रही हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अब बात दूर तलक जाएगी। संसद से जुड़े राजपथ पर मुट्ठी बांधे, मशालें लिए और मोमबत्तियां जलाए हजारों लोग ठीक उस समय प्रदर्शन कर जनशक्ति दिखा रहे थे जब लोकसभा में भ्रष्टाचार रोकने की सियासत पर बहस चल रही थी और राज्यसभा भ्रष्टाचार के आरोपी एक जज के महाभियोग की सुनवाई कर रही थी। दिल्ली में ही क्यों बुधवार को पूरे देश में लोग इसी तरह उमड़ आए। मुंबई के आजाद मैदान से लेकर सुदुर लेह तक और चेन्नई से गुवाहाटी तक एक विराट आंदोलन लहरें लेता दिखने लगा है। तिहाड़ से अन्ना ने खासकर यह संदेश भिजवाया कि समर्थकगण अहिंसा के रास्ते को बनाए रखें, क्योंकि सरकार के कुछ लोग आंदोलनकारियों को उकसाने के लिए कुछ अफवाहों का सहारा ले सकते हैं। इससे सावधान रहने की जरूरत है।
कौन कहता है कि देश की युवा पीढ़ी देशभक्त नहीं? कई लोगों को लगता है कि हमारी युवा पीढ़ी के लिए न तो 15 अगस्त या 26 जनवरी कोई महत्व रखता है और वह देश की राजनीति, देश में क्या हो रहा है इसकी परवाह नहीं करते और न ही दिलचस्पी रखते हैं पर पिछले तीन दिनों ने इस धारणा को पूरी तरह गलत साबित कर दिया है। पूरे देश में अन्ना के समर्थन में देश की युवा पीढ़ी सड़कों पर उतर आई है, जनलोकपाल बिल के समर्थन में और तिहाड़ में बन्द अन्ना हजारे की रिहाई की मांग को लेकर बुधवार को तिहाड़ जेल के बाहर दिल्ली के कोने-कोने से स्कूली छात्र पहुंचे। विशेष बात यह रही कि ये छात्र अपने स्कूलों से हॉफ-डे की विशेष अनुमति लेकर यहां पहुंचे थे। कुछ बच्चों ने तो यहां पहुंचने के लिए बाकायदा स्कूल से एक दिन की छुट्टी ली थी। दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों पर अन्ना का समर्थन करने पर पाबंदी लगा दी थी पर छात्रों ने इसकी परवाह नहीं की और किरोड़ीमल, मिरांडा हाउस, भीमराव अम्बेडकर जैसे कई कॉलेजों के छात्रों ने क्लास रूम से बाहर सड़क पर आकर प्रदर्शन किया, रैलियां निकालीं। छत्रसाल स्टेडियम पहुंची छात्राओं ने बताया कि मिरांडा हाउस में शिक्षक तो आए हैं पर क्लासें खाली हैं। सेन्ट स्टीफंस कॉलेज एल्यूमिनई एसोसिएशन की ओर से भी बहुत सारे पुराने छात्र अन्ना के समर्थन में आगे आए। जब 73 वर्ष का एक बुजुर्ग जेल जाने के बाद भी अपना अनशन न तोड़ें और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखें तो भला उसका साथ हम छात्र कैसे न दें? उनकी अटूट इच्छाशक्ति देखकर हमारी आत्मा खुश हो जाती है, यह थी छात्रों की भावना। लोगों का जज्बा ऐसा अद्वितीय था कि तिहाड़ जेल के बाहर और छत्रसाल स्टेडियम में जनता वहां बैठे आंदोलनकारियों के लिए घंटों से खाने के पैकेट और पानी बांट रहे थे। ऐसे दृश्य इससे पहले कभी नहीं देखे गए। स्वेच्छा से, बिना कोई लीडर, बिना पार्टी, बिना पैसे जनता यूं सड़कों पर उतर आए, यह सारी दुनिया के लिए एक उदाहरण है। आप कहीं भी चले जाएं डिस्कशन का मुद्दा एक ही था। अन्ना हजारे। अन्ना की क्रांति बसों से लेकर चाय की दुकानों तक सभी जगह फैल गई है। अन्ना की आंधी सड़कों के साथ बसों में भी सवार है। मजे की बात यह है कि युवा, बुजुर्ग, महिलाएं, हर आयु वर्ग के लोग इस आंधी में शामिल हैं। सुबह पार्कों में घूमने वाले बुजुर्गों की टोली भी अन्ना के बहाने देश में कैंसर की तरह फैल रहे भ्रष्टाचार की समस्या पर चर्चा करते नजर आए। अन्ना के समर्थन में बुधवार को वकीलों का सैलाब सड़कों पर उतर आया। राजधानी की सभी छह जिला अदालतों में पूरी तरह हड़ताल रही। अन्ना की आंधी ने लोगों को प्रेम, सेवा और अनुशासन की डोर में बांध दिया है। तिहाड़ जेल के बाहर मंगलवार शाम से जुटे अन्ना समर्थकों के लिए स्थानीय लोग चाय-पानी और नाश्ता लेकर पहुंच गए। रातभर से थके-मांदे समर्थकों के लिए चादर, दरी लेकर दौड़े चले आए। अनुशासन इतना कि खाने की प्लेट, प्लास्टिक के गिलास और केले के छिलके भी उन्होंने साफ किए। समर्थकों की भीड़ की वजह से सड़क पर आने-जाने वाले लोगों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए उन्होंने खुद ही यातायात व्यवस्था की कमान सम्भाल ली। तिहाड़ जेल के विभिन्न गेटों के बाहर अन्ना के समर्थकों की वजह से जेल में राशन का जब टोटा पड़ा तो किरण बेदी ने जेल गेट नम्बर चार पर बैठे समर्थकों को गेट खाली करने की अपील की, जिसके बाद समर्थकों ने राशन लाने-जाने के लिए गेट खाली कर दिया। अन्ना का समर्थन कर रहे आंदोलनकारियों की तबीयत की देखभाल करने के लिए बाकायदा डाक्टरों ने अपनी एक टीम बना ली जिसने जरूरतमंद लोगों को सम्भाला। मजेदार बात तो यह थी कि विदेशी भी इस आंदोलन में साथ आ गए। फ्रांस की एक महिला कहती हैं कि आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत हथियार है। फ्रांसीसी अखबार में काम करने वाली जैनी का कहना है कि मैं इस आंदोलन के बारे में ज्यादा नहीं जानती लेकिन लोगों को अपने देश के लिए इस कदर आवाज उठाते देख अच्छा लगा। दो व्यक्ति तो इलाहाबाद से साइकिल से दिल्ली इसलिए आए ताकि वह अन्ना का समर्थन कर सकें। ऐसी जनभावना सालों के बाद दिखी है। राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए पूरा देश एकजुट हो गया है। उस युवा पीढ़ी ने दिखा दिया है कि जरूरत पड़ने पर वह किसी से पीछे नहीं। इतने दिन से आंदोलन हो रहा है, हजारों लोग सड़कों पर हैं पर न तो कोई राष्ट्रीय सम्पत्ति को हानि पहुची है, न कोई बस जलाई गई, न ही कहीं आंसू गैस चली, लाठीचार्ज हुआ और गिरफ्तारी हुई पर हमें चौकस रहना होगा। अन्ना की टीम ने बड़े ही ढंग से अब तक आंदोलन को चलाया है पर कुछ तत्व इसे हिंसात्मक बनाने का प्रयास कर सकते हैं। वह तरह-तरह की अफवाहें फैला सकते हैं। ध्यान रहे कि एक भी चिंगारी काफी होगी। दुनिया को अन्ना हजारे ने दिखा दिया कि अहिंसा का रास्ता कितना प्रभावी आज भी है।
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