Saturday 27 August 2011

बुरे फंसे अमर सिंह और सुधीन्द्र कुलकर्णी



Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 27th August 2011
अनिल नरेन्द्र
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की एक अदालत में वोट के बदले नोट मामले में राज्यसभा सदस्य अमर सिंह और भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी के करीबी सुधीन्द्र कुलकर्णी समेत छह लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इन पर 2008 में लोकसभा में विश्वासमत से पहले सांसदों को घूस देने का आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप है। हैरानगी की बात यह है कि इस चार्जशीट में कांग्रेस के किसी भी नेता का नाम नहीं है। अमर सिंह के साथ सुधीन्द्र कुलकर्णी का नाम बतौर मास्टर माइंड शामिल है। आरोप पत्र के अनुसार कुलकर्णी को इस घोटाले का सरगना इसलिए करार दिया गया है क्योंकि वह सभी साजिशकर्ताओं के सम्पर्प में था। वह उस समय भी मौजूद था जब सांसदों को रिश्वत दी जा रही थी। आरोप पत्र में जिन दो सांसदों (भाजपा) का उल्लेख किया गया है, वे हैं फग्गन सिंह कुलस्ते और महाबीर सिंह भगोड़ा। अमर सिंह के पूर्व सहयोगी संजीव सक्सेना और भाजपा के कथित कार्यकर्ता सुहैल हिन्दुस्तानी के खिलाफ भी इस मामले में आरोप पत्र पेश किया गया है। दोनों अभी जेल में हैं। भाजपा सांसद अशोक अर्गल का नाम आरोप पत्र में नहीं है। लेकिन दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह उन्हें अभियोगी बनाने के लिए जरूरी मंजूरी मिलने के बाद इस संबंध में पूरक आरोप पत्र पेश करेगी। माना जाता है कि पार्टी लाइन का उल्लंघन करने के लिए उन्हें रिश्वत दी गई थी। 80 पेज के आरोप पत्र को विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल की अदालत में पेश किया गया। इसे अदालत के समक्ष संज्ञान में गुरुवार को लाया जाएगा। आरोप पत्र में कहा गया है कि राज्यसभा के सांसद अमर सिंह ने सक्सेना और अन्य के साथ मिलकर साजिश रची और तत्कालीन सांसदों को रिश्वत दी। कुलकर्णी ने विश्वास मत के दौरान सक्रिय भूमिका अदा की। इसमें आरोप लगाया गया है कि जांच के दौरान इस बात के पर्याप्त सबूत मिले हैं कि 22 जुलाई 2008 की सुबह सांसद अमर सिंह ने अपने सचिव संजीव सक्सेना के साथ एक करोड़ रुपये की रिश्वत पहुंचाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची। आरोप पत्र में दावा किया गया है कि इस आपराधिक साजिश के तहत सक्सेना ने पीली कमीज वाले एक अन्य व्यक्ति के साथ सुबह के लगभग 11 बजे, चार फिरोजशाह मार्ग पर एक करोड़ नकद राशि भाजपा के तीन सांसदों अर्गल, कुलस्ते और भगोड़ा को सौंपी। चार्जशीट में दावा किया गया है कि इन सांसदों को नौ करोड़ का भुगतान होना था और अग्रिम राशि के रूप में उन्हें यह रकम दी गई थी। पुलिस ने अमर सिंह को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 11 और आईपीसी की धारा 120 के तहत आरोपित किया है। चार्जशीट में कहा गया है कि कुलकर्णी ने जांच एजेंसी को अंधेरे में रखा जबकि उन्हें इस षड्यंत्र की पूरी जानकारी थी।

दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच के दौरान 53 गवाहों से बातचीत की। इनमें सीएनएन-आईबीएन के पत्रकार भी शामिल हैं जिन्होंने इस मामले में वीडियो रिकार्डिंग की थी। हैरानगी की बात तो यह है कि दिल्ली पुलिस ने इस चार्जशीट में न तो किसी कांग्रेसी का नाम लिया और न ही समाजवादी पार्टी के किसी व्यक्ति का। अमर सिंह, कुलस्ते और भगोड़ा को सम्मन जारी करते हुए न्यायाधीश ने पुलिस से पूछा कि इन लोगों को दो अन्य लोगों के साथ पहले गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से लोक अभियोजक ने अदालत से कहा कि चारों को गिरफ्तार नहीं किया गया, क्योंकि हिरासत में उनसे पूछताछ की जरूरत नहीं पड़ी। अमर सिंह, कुलकर्णी और भाजपा के दो पूर्व सांसदों को छह सितम्बर को अदालत में पेश होने का सम्मन जारी हो गया है। अगर अमर सिंह इस केस में गिरफ्तार हुए तो काफी लोगों का भांडा फूट सकता है। आखिर अमर सिंह ने अपनी मर्जी से तो यह कांड नहीं किया होगा। इसमें कांग्रेस के दिग्गज भी फंस सकते हैं। अमर सिंह ने अगर अपनी जुबान खोल दी तो कइयों की पोल खुल जाएगी। मनमोहन सिंह सरकार जो पहले से ही चारों तरफ से समस्याओं से घिरी है, के लिए सिरदर्दी बढ़ाने के लिए एक नई समस्या यह आ गई है। इस केस का कुछ रेलवेंस तो अन्ना की मांगों को लेकर भी है। संसद के बाहर के आचरण पर दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई की है। इसका मतलब यह है कि यह सब सरकार की नीयत पर निर्भर करता है। कानून तो मौजूद है पर कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए। इसमें अमर सिंह और सुधीन्द्र कुलकर्णी को तो फंसा दिया है अब देखना है कि क्या कांग्रेसी खुद साफ बच निकलेंगे?


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