Wednesday 3 August 2011

धमकियों पर उतरे मनमोहन सिंह पहले ही दिन चित्त

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 3rd August 2011
अनिल नरेन्द्र
संसद का मानसून सत्र आरम्भ हो गया है। इस सत्र में आरोपों-प्रतिआरोपों की जबरदस्त बारिश होगी यह तय है। पहले ही दिन से यह शुरू हो गया। आमतौर पर शालीनता और कूल स्वभाव के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बौखलाहट में विपक्ष पर सीधा हमला बोल दिया। सोमवार से मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही मनमोहन सिंह ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि हमें किसी मुद्दे पर चर्चा कराने का खौफ नहीं है। हम हर विषय पर बहस कराने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यहां तक तो बात समझ में आती है पर इससे आगे प्रधानमंत्री ने जो कहा वह जरूर समझ से बाहर है। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि हमारे पास विपक्षी खेमे को शर्मिंदा करने वाले बहुत सारे राज हैं। प्रधानमंत्री के इस हमले से विपक्ष बिफर गया। भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि एक तरफ तो प्रणब मुखर्जी, पवन बंसल और राजीव शुक्ला जैसे सरकार के प्रतिनिधि संसद को सुचारू रूप से चलाने का अनुरोध कर रहे हैं वहीं उनके नेता धमकियों पर उतर आए हैं। जब भाजपा नेता से इस बारे में पूछा गया तो नकवी ने कहा कि संसद चले और सभी कामकाज सुचारू रूप से चले ऐसी हमारी इच्छा है लेकिन सरकार टकराव और अहंकारी मुद्रा में है। उन्होंने कहा कि पहले उन्हें (प्रधानमंत्री) को मुर्दे उखाड़ने तो दीजिए फिर देखेंगे। पहले ही दिन सरकार एक ऐसी ओट से चारों खाने चित्त हुई जहां से शायद उसे उम्मीद नहीं रही होगी।
टीम अन्ना ने सरकार पर हल्ला बोल दिया। डॉ. मनमोहन सिंह की दूसरी पारी का दूसरा दिन ही मानसून सत्र ऐसा होगा किसी ने सपनों में भी नहीं सोचा होगा। गांधीवादी अन्ना हजारे पक्ष ने सोमवार को दावा किया कि केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र चांदनी चौक सहित नागपुर, वर्धा और अमरावती के मतदाताओं ने लोकपाल विधेयक के सरकार के मसौदे को नामंजूर कर सामाजिक कार्यकर्ताओं के जन लोकपाल विधेयक का समर्थन किया है। अन्ना ने दावा किया कि सिब्बल के निर्वाचन क्षेत्र के 85 फीसदी मतदाता हजारे पक्ष के जन लोकपाल विधेयक के पक्ष में हैं और 82 फीसदी मतदाता चाहते हैं कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाया जाए। अन्ना ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण उदाहरण है जो देशवासियों को सही लोकशाही का रास्ता दिखाता है। यह जनमत संग्रह बताता है कि `सोशल ऑडिट' बहुत जरूरी है। हम चाहते हैं कि पूरे देश में इस तरह का जनमत संग्रह हो। नतीजे बताते हैं कि सिब्बल के निर्वाचन क्षेत्र में 88 फीसदी लोग संसद के भीतर सांसदों के आचरण और 86 फीसदी लोग उच्च न्यायपालिका को प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में रखने के पक्षधर हैं। प्रश्नावली के जरिये 83 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि संसद में लोकपाल विधेयक पर सांसदों को अपनी पार्टी के रुख के बजाय जनाकांक्षाओं के अनुरूप मतदान चाहिए।
टेलीकॉम घोटाला में एक बार फिर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम सामने आया है। सोमवार को ही आरोपी शाहिद बलवा की ओर से दी गई दलील में उसके वकीलों ने कहा कि पीएम को 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया की पूरी जानकारी थी। बलवा ने तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी और सालिसिटर जनरल जी. वाहनवती का भी नाम लिया कि उन्हें भी आवंटन प्रक्रिया के संवाद की पूरी जानकारी थी। बलवा ने अपनी दलील को पुख्ता करने के लिए ए. राजा की उस चिट्ठी का भी जिक्र किया जो उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखी थी। बलवा ने सीबीआई पर पक्षपात का भी आरोप लगाया और कहा कि वह टाटा को बचाने की कोशिश में अन्य लोगों पर हाथ डाल रही है। बलवा के वकीलों ने यहां तक कहा कि ये स्पैक्ट्रम आवंटन पॉलिसी सरकार की थी और यही वजह है कि कहीं भी उसका विरोध नहीं किया गया। हर कदम पर उसे अनुमति मिलती गई। न तो प्रधानमंत्री और न ही अभी के संचार मंत्री ने किसी स्टेज पर ये कहा है कि इस पॉलिसी से सरकार को नुकसान हुआ है, फिर वे कटघरे में क्यों हैं?
इस मानसून सत्र की शुरुआत हंगामी हुई है। इस समय तो समूचा विपक्ष अपने-अपने कारणों से कांग्रेस पार्टी और सरकार से नाराज है। यह सत्र ठीकठाक से निकल जाए, यह प्रधानमंत्री और उनके सिपहसालारों के लिए चुनौती है। संसद के अन्दर और संसद के बाहर दोनों ही जगहों पर सरकार के खिलाफ मोर्चा गरम है। देखें सरकार कैसे निपटती है।

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