Tuesday 17 March 2015

फिर उकसाने वाले लखवी की रिहाई

पाकिस्तान सरकार के लचर रवैये के कारण इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने एक बार फिर 26/11 के मास्टर माइंड जकीउर रहमान लखवी को जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं। लखवी मुंबई पर 26/11 हमले का मास्टर माइंड था। उस पर षड्यंत्र रचने और उसे क्रियान्वयन करने का आरोप है। हमले के दौरान लखवी ही सैटेलाइट फोन पर दूसरे आतंकियों को निर्देश दे रहा था। लखवी को जेल से बाहर लाने की कवायद पिछले साल दिसम्बर में शुरू हुई थी। 18 दिसम्बर को मुंबई हमले से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने लखवी को जमानत दे दी थी। लेकिन भारत और अमेरिका के तीखे विरोध के बाद इस्लामाबाद प्रशासन ने एमपीओ कानून के तहत उसे जेल में रखा। तब पाकिस्तान ने एक अफगान नागरिक के अपहरण के पुराने मामले की फाइल खोलकर यह सुनिश्चित किया कि लखवी जेल में ही रहे। जकीउर रहमान लखवी की रिहाई जहां भारत के लिए चिन्ता का विषय है वहीं यह पाकिस्तान सरकार के आतंकवाद के खिलाफ लचर रवैये को दर्शाती है। पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार को इस बात की भी चिन्ता नजर नहीं आती कि अमेरिका सहित दुनिया में उसके इस लचर रवैये पर क्या प्रतिक्रिया होगी? भारत ने लखवी के खिलाफ पाकिस्तान को तमाम सबूत सौंपे हैं जिनके आधार पर उसे अब तक सजा हो जानी चाहिए थी पर पाकिस्तान ने सारे सबूतों को महज कागजों का पुलिंदा बताकर भारत का मजाक बनाया है। इसमें हमें तो अब कोई संदेह नहीं रहा कि पाकिस्तान में ऐसे तत्व मौजूद हैं जो हर हालत में लखवी को बाहर निकालना चाहते हैं। यह किसी से छिपा नहीं कि नवाज शरीफ सरकार पूरी तरह पाकिस्तानी सेना व आईएसआई के कब्जे में है और यह नहीं चाहते कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध सुधरें। यह बात नवाज शरीफ सरकार क्यों नहीं समझ रही कि लखवी जैसे आतंकियों को सुरक्षा प्रदान करना न उसके लिए उचित है और न ही शेष दुनिया के लिए। विडम्बना यह है कि लखवी की रिहाई ऐसे समय हुई है जब भारत के विदेश सचिव के हाल ही के पाकिस्तान दौरे के बाद यह उम्मीद बनी थी कि दोनों देशों के बीच सस्पेंड हुई शांति वार्ता फिर से शुरू हो सकती है पर लगता है कि पाकिस्तान भारत के साथ शांति वार्ता करने का इतना इच्छुक नहीं है। पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि अच्छे आतंकवादी और बुरे आतंकवादी जैसा कुछ नहीं होता। इस बात को वैश्विक स्तर पर भी स्वीकार किया जा चुका है। लखवी के मामले को पाकिस्तान सरकार ने जानबूझ कर कमजोर करने का प्रयास किया जिसके फलस्वरूप अदालत ने उसकी रिहाई का आदेश दिया। यह आवश्यक है कि पाकिस्तान इससे अच्छी तरह से अवगत हो कि लखवी को रिहा करने से भारत पर क्या असर होगा, लेकिन उसकी ओर से ऐसी कोई कोशिश नहीं की गई जिससे इस आतंकी की रिहाई के रास्ते बंद हों।

-अनिल नरेन्द्र

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