अपनी कार्यशैली को लेकर
हमेशा विवादों में रहने वाली केंद्रीय हज कमेटी एक बार फिर सवालों के घेरे में है।
इस दफा हज पर जाने वालों से कुर्बानी के पैसे वसूलने के इसके प्रयासों ने इसे विवादों
में ला खड़ा किया है। कमेटी ने 2015 में हज पर जाने वाले यात्रियों
से बाकी शुल्कों के साथ कुर्बानी के पैसे जमा कराने के निर्देश दिए हैं। हालांकि इसके
विरोध में इस्लामी अदारे (संस्थाएं) खड़ी
हो गई हैं। दारुल उलूम देवबंद सहित कई संस्थानों ने इसे शरीयत के खिलाफ बताते हुए फतवा
तक जारी कर दिया है। हज पर जाने वाले अब तक अरब के मीना शहर में शैतान को कंकरी मारने
के बाद जानवरों की कुर्बानी देते आए हैं। इसके बगैर हज मुकम्मल नहीं होता। पिछले साल
तक हाजी अपने स्तर से इसकी व्यवस्था करते रहे हैं। लेकिन इस दफा केंद्रीय हज कमेटी
ने हज पर जाने वालों से अन्य शुल्कों के साथ कुर्बानी के 490 रियाल के बराबर की रकम वसूलने का फैसला किया है। इसके बाद इसका विरोध शुरू
हो गया है। कमेटी के निर्णय के बहाने कुछ लोग इसकी क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं जो अदारा
हज की व्यवस्था ठीक से नहीं करा पाती वह भला तीन दिनों में सवा लाख हाजियों के लिए
कुर्बानी कैसे कराएगी? हरियाणा स्टेट मुस्लिम वैलफेयर कमेटी के
सदर मोहम्मद रमजान ने बताया कि हाल में दिल्ली, एनसीआर,
राजस्थान, हरियाणा के उलेमाओं की इसकी मुखालफत
को लेकर एक हंगामेदार बैठक हुई थी जिसके बाद दारुल उलूम देवबंद, मजाहिर उलूम कदमी व जदीद, दारुल उलूम नदवातुल उलेमा आदि
ने हज कमेटी के इस कदम की आलोचना के साथ इसे शरीयत में हस्तक्षेप बताते हुए फतवे जारी
किए हैं। हज कमेटी का मुख्य काम है हज यात्रियों के वीजा-पासपोर्ट,
आवासीय, परिवहन, मेडिकल और
आने-जाने की व्यवस्था करना है। हज यात्री अपने हिसाब से तवाफ,
उमरा कुर्बानी आदि जैसे हज के कार्य करते हैं। इसमें कमेटी का सीधा हस्तक्षेप
नहीं होता। भारतीय हज कमेटी के उपाध्यक्ष मोहम्मद मरगूब अहमद का कहना है कि हमने बड़े-बड़े उलेमाओं से मशविरा करके ही निर्णय लिया है। इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं
किया जाएगा। दारुल उलूम के मोहतामिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी बनारसी ने कहा कि इस
मामले पर दारुल उलूम फतवा जारी कर अपना नजरिया पहले ही स्पष्ट कर चुका है। नोमानी बनारसी
ने 19 जनवरी को दारुल उलूम से जारी फतवे का हवाला देते हुए कहा
कि हज के खर्चों के साथ कुर्बानी की रकम कमेटी के खाते में जमा कराने का सेंट्रल हज
कमेटी को शरई तौर पर कोई अधिकार नहीं है। हर हाजी पर हज की कुर्बानी वाजिब नहीं है।
दूसरा यह कि जिन हाजियों पर कुर्बानी वाजिब है उन पर यह भी वाजिब है कि वो अपनी कुर्बानी
की व्यवस्था स्वयं करें।
-अनिल नरेन्द्र
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