Friday, 20 March 2015

राष्ट्रीय परिषद में केजरीवाल को झटका लग सकता है

अंदरुनी कलह से जूझ रही आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के वापस आने के बाद सुलह के प्रयास तेज हो गए हैं। मंगलवार को वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव के साथ सुलह समझौते की प्रक्रिया के लिए हाथ बढ़ाने के साथ ही अन्य राज्यों में पार्टी के आधार को विस्तार के प्रयास पर सहमति जताते हुए मतभेद समाप्त करने की दिशा में कदम उठाने का फैसला किया। ऊपरी सतह पर लगता है कि सुलह-सफाई का प्रयास हो रहा है पर अंदर खाते मतभेद अभी बरकरार हैं। अरविंद केजरीवाल प्रशांत भूषण से वन टू वन मिलने में कतरा रहे हैं। सही मायने में एकता तभी होगी जब मुद्दों पर सहमति होगी और वह फिलहाल होती नजर नहीं आ रही। प्रशांत भूषण ने कहा है कि वह सिर्प केजरीवाल से बात करेंगे। केजरीवाल ने प्रशांत भूषण को आशीष खेतान से मिलने को कहा था पर प्रशांत भूषण ने खेतान से मिलने से साफ इंकार कर दिया है। आप की राजनीतिक मामलों की कमेटी (पीएसी) से हटाए गए प्रशांत भूषण ने कहा है कि वह केवल अरविंद केजरीवाल से ही मुलाकात करेंगे। उन्होंने मंगलवार को कहा कि कुछ अहम मुद्दों का समाधान करने के लिए वह केजरीवाल के अलावा किसी दूसरे नेता से नहीं मिलेंगे। पार्टी की दिल्ली इकाई से जुड़े एक अहम सदस्य आशीष खेतान ने उनके साथ बैठक का अनुरोध किया था। बता दें कि जब दोनों समूहों के बीच तीखी बयानबाजी चल रही थी तो संयोग से खेतान ने भी भूषण पर हमला बोला था। उन्होंने प्रशांत भूषण, उनके पिता एवं पार्टी के संरक्षक शांति भूषण और बहन शालिनी पर पार्टी की सभी इकाइयों में नियंत्रण की चाहत रखने का आरोप लगाया था। अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि सभी विवाद पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की महत्वपूर्ण बैठक जो इसी महीने के अंत में होनी है, से पहले सुलझा लिए जाएं। बेशक योगेन्द्र यादव-प्रशांत भूषण पर आम आदमी पार्टी से बाहर होने की तलवार लटक रही है लेकिन पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में पासा पलट भी सकता है। संभव है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पार्टी का संयोजक पद छोड़ना पड़े। केजरीवाल के नजदीकी भी मान रहे हैं कि दोनों गुटों के बीच लड़ाई कांटे की है। दरअसल स्थिति यह है कि राष्ट्रीय परिषद के बहुमत सदस्य योगेन्द्र यादव ने बनाए हैं और संभव है कि वोटिंग की नौबत आए तो यादव पक्ष केजरीवाल पक्ष पर हावी रहे। राष्ट्रीय परिषद आप की सबसे बड़ी इकाई है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) के बारे में फैसला और पार्टी के संविधान में संशोधन का अधिकार भी इसी के पास है। परिषद में फिलहाल 400 से ज्यादा सदस्य हैं। इसमें दिल्ली के सदस्यों की संख्या 50 से भी कम है और इसकी बैठक एक साल पहले हुई थी। दिल्ली के सदस्यों को छोड़कर टीम केजरीवाल का सीधा सम्पर्प इनसे ज्यादा नहीं रहा है। दूसरी तरफ योगेन्द्र यादव आप के मिशन विस्तार से जुड़े रहे हैं। केजरीवाल के नजदीकियों के मुताबिक परिषद के सदस्यों के नियमित सम्पर्प में रहने से मुमकिन है कि इसमें यादव समर्थकों का पलड़ा भारी है। 28 मार्च को परिषद की बैठक तय है। टीम केजरीवाल को आशंका इसलिए भी है क्योंकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पीएसी से योगेन्द्र यादव-प्रशांत भूषण को निकालने का प्रस्ताव 11-8 के बेहद करीबी अंतर से पास हुआ था। इधर आम आदमी पार्टी की अंतर्पलह से आहत उनके समर्थकों का अनिश्चितकालीन धरना मंगलवार को सातवें दिन भी जारी रहा। धरने पर बैठे लोगों ने आप के मुखिया व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र भी भेजा है। धरने पर बैठे लोगों को उम्मीद थी कि केजरीवाल इस समस्या के निस्तारण के लिए ठोस कदम उठाएं जो फिलहाल हुआ नहीं है। उम्मीद की जाती है कि आम आदमी पार्टी के मंथन से अमृत निकलेगा।

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