Saturday 28 March 2015

सिडनी से भारत तक करोड़ों के सपने टूटे

भारत के लिए क्रिकेट वर्ल्ड कप 2015 का सफर खत्म हो गया है। सेमीफाइनल मैच में टीम इंडिया आस्ट्रेलियाई टीम से 95 रन से हार गई। इसी के साथ टूट गए वो सपने भी जो सिडनी से भारत तक करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने देखे थे। वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया के हाथों टीम इंडिया की हार से क्रिकेट फैंस गम और गुस्से में हैं। यूपी और बिहार में भारत के मैच हारने के बाद लोगों ने टीवी सेट तोड़ डाले, वहीं कुछ ने खिलाड़ियों के पोस्टर जलाए। लखनऊ में मैच हारने के बाद सचिवालय के कर्मचारी ने बापू भवन की सातवीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली। सेमीफाइनल के चलते सड़कों पर सन्नाटा रहा। लोग सुबह से ही टीवी क्रीन से चिपके रहे। बाजारों में चहल-पहल कम रही तो सरकारी ऑफिस, हॉस्टल, दुकानों, नुक्कड़ों पर लोग वर्ल्ड कप मैच देखने में डूबे रहे। हार के बाद कई खिलाड़ियों के घर की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के घर के बाहर कमांडो तैनात कर दिए गए हैं। मुंबई पुलिस ने रोहित शर्मा के घर के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी है। मैच में चार विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज उमेश यादव के पिता तिलक यादव से पत्रकारों ने सवाल कियाöक्या आप मानते हैं कि आपके बटे ने अच्छा खेला? इस सवाल पर यादव के पिता ने जवाब दिया, कैसा अच्छा खेल? जब भारतीय टीम हार गई। भारतीय टीम क्यों हारी इसके विश्लेषण चलेंगे पर कुछ बातें तो साफ हैं। लगातार सात मैचों में शानदार प्रदर्शन करने वाले भारतीय तेज गेंदबाज सेमीफाइनल में उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। आस्ट्रेलिया के खिलाफ तीनों भारतीय पेसरों ने छह से ज्यादा की औसत से रन दिए। वहीं बैटिंग पॉवर प्ले में तो भारतीय पेसरों की गेंदबाजी बेहद खराब रही और उन्होंने करीब 62 रन दिए। भारतीय टीम की हार का एक बड़ा कारण शीर्ष क्रम बल्लेबाजी का खराब शॉट चयन रहा। आस्ट्रेलियाई बॉलरों ने इतनी अच्छी बॉलिंग नहीं की, भारतीय बल्लेबाजों ने तो अपनी विकेट थ्रो की। अच्छी पारी खेल रहे शिखर धवन ने हेजुलवुड की गेंद पर खराब शॉट खेलकर विकेट गंवाई वहीं विराट कोहली ने जॉनसन की शॉर्ट पिच गेंद पर जोखिम उठाया और एक रन बनाकर लौट गए। सुरेश रैना फॉक्नर की ऑफ स्टम्प पर सीने तक उठी गेंद पर विकेट कीपर को कैच थमा बैठे। भारतीय बल्लेबाजों के शॉर्ट पिच गेंद न खेल पाने की कमजोरी का फायदा आस्ट्रेलिया पेसरों ने उठाया। भारतीय गेंदबाज स्टीवन स्मिथ का तोड़ इस बार भी नहीं ढूंढ पाए। टेस्ट और त्रिकोणीय सीरीज में भारत के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करने वाले स्मिथ ने अपनी लय सेमीफाइनल में भी कायम रखी और 105 रन की पारी खेली। टीम इंडिया की हार में थर्ड अम्पायर के एक गलत फैसले का होना भी रहा। जडेजा ने एरॉन फिंच के खिलाफ एलबीडब्ल्यू की अपील की जब वह 43 रन पर खेल रहे थे। मैदानी अम्पायर ने नॉटआउट करार दिया जिसके बाद धोनी ने डीआरएस का इस्तेमाल किया। साफ दिख रहा था कि गेंद मिडिल स्टम्प पर टकरा रही है लेकिन थर्ड अम्पायर ने फैसला नॉटआउट ही दिया। कमेंटरी कर रहे दिग्गजों ने भी इस फैसले की आलोचना की। टीम इंडिया दो-तीन मौकों पर चूक गई। 37वें ओवर के बाद आस्ट्रेलिया का स्कोर दो विकेट पर 231 रन था मगर उसने अगले छह ओवरों में 19 रन जोड़कर तीन विकेट गंवा दिए। भारतीय गेंदबाजों के पास आस्ट्रेलिया को 300 से कम स्कोर पर रोकने का बढ़िया मौका था लेकिन अंतिम सात ओवरों में 78 रन जोड़कर स्कोर को 328 रन तक पहुंचाने में आस्ट्रेलिया सफल रहा। रोहित और शिखर की ओपनिंग जोड़ी ने 76 रन की बेहतरीन पार्टनरशिप की मगर टीम इंडिया ने 13 से 23वें ओवर के बीच 35 रन जोड़कर, शिखर, विराट, रोहित और रैना के विकेट गंवा दिए। कम अंतराल में चार विकेट गंवाने का खामियाजा टीम इंडिया को भुगतना पड़ा। 24वें ओवर में वनडे के फिनिशर कहे जाने जाने वाले एमएस धोनी बैटिंग करने उतरे। धोनी ने रहाणे के साथ पांचवीं विकेट के लिए 80 बॉल में 70 रन की पार्टनरशिप की। यह पार्टनरशिप 37वें ओवर में रहाणे के आउट होने से टूटी। धोनी का साथ देने के लिए कोई स्पैशलिस्ट बल्लेबाज नहीं बचा था। रहाणे के आउट होने से इंडिया की जीत की उम्मीदें टूट गईं। भारत का यह आस्ट्रेलिया दौरा अब तक के सबसे खराब दौरों में से एक है। टेस्ट मैच, त्रिकोणीय सीरीज में हारने का क्रम सेमीफाइनल में भी चला। चलो हमें इस बात की खुशी तो है कि हम अपने से बेहतर टीम से हारे। यह सही है कि जीत और हार खेल का हिस्सा है लेकिन टीम इंडिया जिस तरह 95 रन के बड़े अंतराल से हारकर विश्व कप से बाहर हुई, यह बात लोगों को अरसे तक सताती रहेगी। 1987 विश्व कप के बाद यह पहली बार होगा जब कोई एशियाई टीम फाइनल मुकाबले में खेलती नजर नहीं आएगी। क्या करें भाग्य ने भी हमारा साथ नहीं दिया, धोनी टॉस हार गए।

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