Tuesday 24 March 2015

आजम का फर्जी बयान पोस्ट करने वाले बालक को जेल?

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश पुलिस से उन हालात का खुलासा करने को कहा है कि जिनकी वजह से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के खिलाफ फेसबुक पर कथित तौर पर आपत्तिजनक बयान पोस्ट करने के आरोप में एक लड़के को गिरफ्तार किया गया। न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने उत्तर प्रदेश पुलिस से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में आरोप है कि इसमें आईजी और डीआईजी जैसे शीर्ष स्तर के पुलिस अधिकारियों से मशविरे के सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ए नहीं लगाने के सुप्रीम कोर्ट के परामर्श का उल्लंघन हुआ है। पीठ ने कहाöहम गौर करेंगे। फिर उसने मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद मुकर्रर की। वकील मनाली सिंघल ने याचिका के संबंध में मौखिक जिक्र किया कि खबर आई है कि 19 वर्षीय लड़के को जमानत मिल गई है और औपचारिकता सम्पन्न होने के बाद जल्द ही वह रिहा होगा। एक स्थानीय अदालत ने 18 मार्च को बरेली के लड़के को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उसकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाने वाली मौजूदा याचिका दिल्ली की कानून की एक छात्रा श्रेया सिंघल ने दायर की है। आईटी कानून की धारा 66ए की वैधता को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर करने वाली वह पहली शख्स है। उन्होंने शिवसेना नेता बाल ठाकरे के निधन पर मुंबई में बंद के खिलाफ टिप्पणी पोस्ट करने और उसे लाइक करने के मामले में ठाणे जिले के पालघर में दो लड़कियोंöशाहीन और रीनू की गिरफ्तारी के बाद कानून की धारा 66ए में संशोधन की मांग उठाई। अदालत ने 2013 में कहा था कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आपत्तिजनक बयान पोस्ट करने के आरोपी व्यक्ति को पुलिस तब तक गिरफ्तार नहीं कर सकती जब तक कि वरिष्ठ अधिकारी इसकी इजाजत नहीं देते। फेसबुक पर टिप्पणी के लिए बरेली के एक छात्र की गिरफ्तारी से आहत संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि विधि प्रवर्तन एजेंसियों को आईटी कानून का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने राजनीतिज्ञों से कहा कि वह विशेष रूप से सोशल मीडिया पर आलोचनाओं को सहने की क्षमता रखें। प्रसाद ने कहा कि मैं देशभर की विधि प्रवर्तन एजेंसियों से अपील करता हूं कि वह आईटी कानून की धारा 66ए के तहत गिरफ्तारी के अधिकार का इस्तेमाल करते समय संवेदनशीलता बरतें। इस विवादास्पद धारा के तहत अपने कम्प्यूटिंग उपकरण से आपत्तिजनक संदेश भेजने वाले व्यक्ति को तीन साल की जेल हो सकती है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया पर नागरिकों के अधिकार का पूरा समर्थन करती है। इसके अलावा राज्यों को केंद्र की इस सलाह का पालन करना चाहिए कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ए का दुरुपयोग न किया जाए। उल्लेखनीय है कि फेसबुक पर आजम खान की फर्जी बयान पोस्ट करने वाले बरेली के एक युवक को धार्मिक उन्माद फैलाने समेत कई गंभीर धाराओं में जेल भेज दिया गया। बुधवार को रामपुर में 11वीं क्लास में पढ़ने वाले के बालिग होने पर चर्चा दिनभर चली। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में आ गया है।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment