देश
से भ्रष्टाचार जड़ से खत्म करने के दावे करने वाले नेताओं के लिए यह अच्छी खबर नहीं
है। भ्रष्टाचार खत्म होना तो दूर की बात है उलटा बढ़ता ही जा रहा है। ट्रांसपेरेंसी
इंटरनेशनल इंडिया के साथ मिलकर लोकल सर्पिल्स ने बुधवार को भ्रष्टाचार का स्तर और नागरिकों
की इस बारे में राय पर इंडिया करप्शन सर्वे
2018 नाम से रिपोर्ट जारी की है। इसमें दावा किया गया है कि देश में
रिश्वतखोरी बढ़ी है। बीते साल देश के 45 प्रतिशत नागरिकों ने
रिश्वत दी थी लेकिन इस साल 54 प्रतिशत नागरिकों ने प्रत्यक्ष
या अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं रिश्वत दी। देश के 215 शहरों
में रहने वाले 50 हजार नागरिकों ने इस सर्वे में भाग लिया। जिनमें
33 प्रतिशत महिलाएं थीं और 57 प्रतिशत पुरुष थे।
इनमें महानगर-प्रथम श्रेणी शहरों से 45 प्रतिशत, द्वितीय श्रेणी से 34 प्रतिशत और तृतीय श्रेणी के शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से 21 प्रतिशत लोगों को शामिल किया गया। यह सर्वे खासकर ऐसे समय में जारी हुआ है
जब पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा बना हुआ है। भारतीय संसद ने नया भ्रष्टाचार
निवारण (संशोधित) अधिनियम, 2018
में पारित किया है। इसमें यह दावा किया गया है कि यह देश में भ्रष्टाचार
विरोधी व्यवस्था बदल कर रख देगा। दूसरी ओर विश्व की नियामक कई संस्था यह आगाह कर चुकी
हैं कि किस तरह से भ्रष्टाचार निवेश में बाधा डालता है। यह व्यापार को शोषित करता है
और आर्थिक विकास को कम करता है, सरकारी व्यय से संबंधित तथ्यों
को तोड़ता और मरोड़ता है। इस सर्वेक्षण का केंद्रबिन्दु, आम आदमी
के दैनिक जीवन और बुनियादी जरूरतों को पूरा करते वक्त उनके सामने आने वाली मुश्किलों
पर ध्यान केंद्रित करना था। इसमें बड़े भ्रष्टाचारों के किसी भी पहलू को संबोधित नहीं
किया गया है। कटु सत्य तो यह है कि छोटी-छोटी जरूरतों के लिए
अगर काम कराना है तो घूस देनी ही पड़ेगी। नहीं तो आपका काम महीनों लटका देते हैं यह
अधिकारी। लगभग 63 प्रतिशत को लगता है कि नया कानून सार्वजनिक
अधिकारियों द्वारा लोगों के उत्पीड़न को बढ़ा देगा, क्योंकि कानून
अधिकारियों के हाथ में उन लोगों को भी परेशान करने का साधन देगा जो ईमानदार हैं। इसके
अलावा 49 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि किसी भी सरकारी अधिकारी
की जांच से पहले सक्षम अधिकारी से पूर्व स्वीकृति लेना आवश्यक होने से रिश्वत और भ्रष्टाचार
में वृद्धि होगी क्योंकि इससे भ्रष्ट अधिकारियों पर तुरन्त मुकदमा चलाना मुश्किल हो
जाएगा। पिछले साल की तुलना में इस साल 11 प्रतिशत ज्यादा ने घूस
का सहारा लिया।
-अनिल नरेन्द्र
-अनिल नरेन्द्र
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