Sunday 7 October 2018

मसला बसों में लड़कियों से छेड़छाड़ का

बसों में दिल्ली की छात्र व महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं यह प्रश्न बार-बार उठता है। बसों में लड़कियों से छेड़छाड़ आम बात हो गई है। रूट नम्बर 544 की खौफनाक कहानी सोशल मीडिया के जरिये सबके सामने आई तो पुलिस भी हरकत में आई। एक स्टूडेंट की बहन ने ट्विटर पर उसकी दास्तान सबके सामने रखी कि कैसे कॉलेज के रूट वाली इस बस पर रोज मनचले गुंडे कॉलेज टाइम पर सवार हो जाते हैं और लड़कियों से बदतमीजी करते हैं। एक बार तो छात्रा इतना घबरा गई कि वह चलती बस से कूद पड़ी। एनबीटी ने जब इस बारे में दिल्ली के बाकी इलाकों में गर्ल स्टूडेंट्स से बात की तो रूट नम्बर 544 तो क्या हर रूट पर यही कहानी है। छात्रों ने बताया कि कैसे यह गुंडे उनका कॉलेज तक जाना मुश्किल कर देते हैं। एफएमए छात्रा ने बताया कि बसें बिल्कुल सेफ नहीं हैं। पहले तो बसें बहुत कम हैं, जिसमें लड़कियों को भीड़ में पिस-पिस कर जाना पड़ता है। जैसे पुरानी दिल्ली से बवाना बस नम्बर 116 में हर वक्त भीड़ होती है और छेड़छाड़ आम है। मैं खुद एक बार डीटीसी बस में खिड़की की तरफ अपनी बहन के साथ बैठी थी और पीछे की सीट पर बैठा शख्स ब्रेस्ट को छूने की कोशिश करने लगा। उस वक्त मैं सोच भी नहीं पा रही थी कि ऐसा भी कोई कर सकता है। मुझे लगता है कि अगर सेफ्टी नहीं दे पा रहे हैं तो गर्ल्स स्पेशल बसें बहुत जरूरी हैं। क्योंकि बसों में अगर मार्शल भी बैठा हो तो वह यही कहता हैöमैडम आप आगे हो जाइए। अब क्या कर सकते हैं? सैकेंड ईयर डीयू की स्टूडेंट स्वाति जायसवाल बताती हैं कि आनंद विहार से मैं और फ्रेंड प्रीति हमेशा 33 नम्बर की बस से कॉलेज जाते थे। एक बार भीड़ ज्यादा थी और किसी ने मेरी फ्रेंड के पैरों में बहुत अजीब से टच किया। वह बस में ही जोर से चिल्लाई। मैंने तुरन्त उस आदमी का हाथ पकड़ा और उसे डांटने लगी। लेकिन भीड़ में किसी ने आगे आकर हम लोगों की मदद नहीं की। कई बार किसी को दूर खड़े होने के लिए कहते हैं तो वह ही हिदायत देता है कि मैडम ज्यादा अकेले चलने का शौक है तो अपनी कार में आया करो ना। भजनपुरा से मयूर विहार फेस-3 के लिए बस नम्बर 206 में गुलअपशा ख्वाहिश (डीयू स्टूडेंट) ने एनबीटी टीम को बताया कि वह जिस बस में जा रही थी, उसमें एक 70 साल के अंकल मेरे पास वाली सीट पर बैठे थे। कुछ देर बाद वह अजीब तरीके से मेरी टांगों पर हाथ रखने लगे। मेरे विरोध करने पर उन्होंने हाथ तो हटा लिया, लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने अपने फोन में अश्लील मूवी दिखाने की कोशिश की, जब मैंने बस में उन पर चिल्लाना शुरू किया तो वह ऐसे बिहेव करने लगे जैसे कुछ हुआ ही नहीं। बस में मौजूद किसी भी व्यक्ति ने उनकी हरकत के लिए विरोध नहीं किया। सवाल यह है कि यह छेड़छाड़ रोकी कैसे जाए। पुलिस हर बस में नहीं हो सकती और साथी बस यात्री रोकने-टोकने से इसलिए डरते हैं कि कहीं वह आदमी उलटा उन पर हमला न कर दे? गर्ल्स स्पेशल बसें ही बढ़ानी होंगी।

-अनिल नरेन्द्र

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