आसाराम और राम रहीम के बाद रामपाल तीसरा ऐसा
बाबा है जिसे आपराधिक मामलों में संलिप्त पाया गया है। हिसार की विशेष अदालत ने सतलोक
आश्रम के संचालक और स्वयंभू बाबा रामपाल को हत्या के दो मामलों में गुरुवार को दोषी
करार दिया। उसके 26 अनुयायियों को भी दोषी ठहराया
गया है। इस मामले में बाबा रामपाल सहित 15 लोगों को उम्र कैद
की सजा हुई। उसके समर्थकों के पास बेशक इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का
विकल्प मौजूद है, लेकिन साफ हो गया है कि बाबा को लंबे समय तक
जेल में रहना होगा। आसाराम और राम रहीम के बाद तीसरा बाबा है जो कानूनी शिकंजे में
आ चुका है। इसके साथ ही कई ऐसे सवाल भी उठे हैं जो न केवल समाज में जागरुकता फैलाने
के मोर्चे पर कमजोरी से जुड़े हुए हैं, बल्कि ऐसे बाबाओं के पनपने
और फलने-फूलने में सरकार और समाज दोनों की कमजोरी व लापरवाही
को दर्शाते हैं। गौरतलब है कि नवंबर 2014 में सतलोक आश्रम में
एक महिला की संदिग्ध हालत में मौत के मामले में fिगरफ्तारी के
सवाल पर पुलिस और रामपाल के समर्थकों के बीच हिंसक टकराव हुआ था, जिसमें पांच महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद रामपाल के खिलाफ
हत्या के दो मामले दर्ज हुए थे। दरअसल रामपाल की गिरफ्तारी के समय पुलिस को जिस जद्दोजहद
से गुजरना पड़ा था और उस दौरान जो हिंसा हुई थी, वह अपने आप में
बताने के लिए काफी है कि इस स्वयंभू बाबा ने अपने समर्थकों के बूते पर किस तरह एक स्वतंत्र
और समांतर दुनिया बना ली थी और खुद को कानून से ऊपर मानने लगा था। हिसार के बरवाला
कस्बे में रामपाल का आश्रम एक किले की तरह था, जहां से उन्हें
गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को बाकायदा मोर्चा लेना पड़ा था। यह फैसला जहां सुनाया
गया, वह अदालत जेल परिसर में ही लगाई गई। यह पहला मौका बेशक नहीं
है, जब जेल में ही अदालत लगी हो। ऐसे बहुत से बाबा हैं,
जिनके मामलों को संवेदनशील मानते हुए आजकल जेल में ही अदालत लगाने का
चलन बन गया है। दरअसल जब गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाई गई थी, तब उसके समर्थकों ने भारी हिंसा की थी। बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए जाने
के बाद सजा काट रहे आसाराम के समर्थकों ने भी इसी तरह से कानून व्यवस्था को चुनौती
देने की कोशिश की थी। खुद रामपाल के सतलोक आश्रम में अदलात के निर्देश पर कार्रवाई
करने पहुंची पुलिस पर समर्थकों ने हमला किया था। उस कार्रवाई के दौरान आश्रम में पुलिस
को हथियार भी मिले थे। इन सब बाबाआंs के तौर-तरीके एक जैसे होते हैं और इन सबने समाज के वंचित और अपेक्षाकृत पिछड़े तबको
के बीच पैठ बनाकर उन्हें बरगलाने की कोशिश की है। इन सबका पर्दे के पीछे का जीवन विलासतापूर्ण
और भोले-भाले लोगों के शोषण से भरा रहा है। राजनीतिक संरक्षण
के बिना इन बाबाओं का साम्राज्य और उनकी तिलस्मी दुनिया खड़ी नहीं हो सकती। अब रामपाल
पूरी जिंदगी जेल में काटेंगे।
-अनिल नरेन्द्र
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