Tuesday, 9 October 2018

मध्यप्रदेश, राजस्थान में भाजपा की हालत पतली

नवम्बर-दिसम्बर में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजे 2019 लोकसभा चुनाव की दिशा और दशा तय करेंगे। इसीलिए अगर इन्हें सेमीफाइनल कहा जाए तो शायद गलत न होगा। इन विधानसभा चुनावों के बाद ही आम चुनाव की भी बिसात बिछ जाएगी। इन राज्यों में जो बेहतर प्रदर्शन करेगा, वह अपने पक्ष में माहौल बनाते हुए आम चुनाव के दंगल में उतरेगा। कांग्रेस भाजपा शासित राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता विरोधी रूझान का फायदा उठाने की कोशिश में है। अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस अगर इन तीन बड़े राज्यों में कामयाब होती है तो वह भाजपा की अजेय छवि पर गहरा प्रहार होगा। इन तीनों राज्यों में भाजपा को कांग्रेस से गंभीर चुनौती मिलने के आसार हैं। यही वजह है कि इन चुनावों को 2019 के चुनावी महासमर की कसौटी माना जा रहा है। इन विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद ही विपक्षी महागठबंधन की दिशा तय होगी। अगर भाजपा का इन चुनावों में परिणाम बेहतर रहा तो फिर क्षेत्रीय पार्टी रक्षात्मक मुद्रा में जा सकती है, साथ ही वे सहयोगी दल, जो चुनाव से पहले भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके भी तेवर नरम पड़ सकते हैं। लेकिन अगर इसके उलट हुआ तो फिर न सिर्प विपक्ष को 2019 में उम्मीद की किरण दिखेगी, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को भारी धक्का लगेगा। भाजपा अपनी अजेय छवि को बनाए रखने के लिए पूरा प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही केंद्रित रखने की योजना बना रही है। सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए इन राज्यों में मुख्यमंत्रियों को किनारे ही रखा जाएगा। विपक्ष के गठबंधन में कांग्रेस की हिस्सेदारी और भूमिका कितनी होगी, कैसे होगी, इसका भी इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम से अंदाजा हो जाएगा। चुनाव से पहले बसपा और सपा जैसे दलों ने कांग्रेस से गठबंधन करने से इंकार कर दिया है। अगर चुनाव में कांग्रेस बेहतर परिणाम दिखाए तो फिर विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस और राहुल गांधी की हैसियत मजबूत होगी। वर्ष 2014 के आम चुनावों के बाद सही मायनों में भाजपा के लिए पहली बार असल परीक्षा होगी। वर्ष 2014 में भाजपा की ओर से आम चुनाव में बड़ी जीत के बाद मात्र दो ऐसे राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, जहां भाजपा की सरकार पहले से थी। इस बार मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकारें हैं। पार्टी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से किस तरह निपटेगी, इसका भी पता चलेगा। हालांकि मैं इन सर्वेक्षणों पर ज्यादा भरोसा नहीं करता फिर भी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद आए ओपिनियन पोल में भाजपा के लिए बुरी खबर है। एबीपी-सी वोटर सर्वे के अनुसार तीनों राज्यों में भाजपा के हाथ से सत्ता निकल सकती है। सर्वे में यह साफ संकेत हैं कि पिछले डेढ़ दशक में भाजपा से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की जनता का मोह भंग हो गया है। एक और दिलचस्प बात यह सामने आई है कि मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलट कांग्रेस सीएम की पहली पसंद हैं। तीनों ही राज्यों में कांग्रेस के पक्ष में सर्वे आया है।

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