दाती महाराज यौन शोषण मामले में एक नया मोड़
तब आया जब दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा से लेकर सीबीआई
के सुपुर्द कर दी। विशेष बात यह है कि इस मामले में पुलिस की ओर से दाखिल आरोप पत्र
में पीड़िता को ही कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। इस पूरे पकरण की महत्वपूर्ण बात
यह है कि हाई कोर्ट ने जांच उस समय स्थानांतरित की है जबकि दिल्ली पुलिस जांच पूरी
होने की घोषणा कर चुकी थी और संबंधित अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल किया जा चुका था।
मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने दिल्ली पुलिस की
पूरी जांच पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि यह विडम्बना
ही है कि अगर इस मामले के आरोप-पत्र को देखा जाए तो जांच एजेंसी
ने पीड़िता के बयान लेने के बाद आरोपी को गिरफ्तार करने की बजाए उसे ही कठघरे में खड़ा
कर दिया है। आरोप-पत्र की एक-एक लाइन इशारा
कर रही है कि पीड़िता के बयान विरोधाभाषी हैं। जबकि पुलिस का काम उन बयानों के आधार
पर सच तक पहुंचना था न कि आरोपियों को कॉलम नंबर 11 में रखकर
पीड़िता के आरोपों को झुठलाना। लेकिन ऐसा नहीं किया गया जबकि इस तरह के गंभीर अपराधों
के मामलों में न्यायसंगत कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले में पीड़िता ने पुलिस की जांच
पर सवाल उठाते हुए सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। अब मामले की सुनवाई
30 अक्टूबर को होगी। हालांकि दिल्ली पुलिस 1 अक्टूबर
को ही दाती व उसके सौतेले भाइयों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। पीठ के समक्ष
पीड़िता के वकील पदीप तिवारी ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती है। पीड़िता
पुलिस और कोर्ट के समक्ष बयान दर्ज करवाने के बावजूद दाती और सह आरोपियों को अभी तक
गिरफ्तार नहीं किया गया। बता दें कि पीड़िता ने मामले में 7 जून
2018 को फतेहपुर बेरी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन एफआईआर 10 जून को दर्ज की गई। इसके बाद भी पुलिस
ने आरोपी को पूछताछ के लिए आठ दिन में हाजिर होने का समय दिया, लेकिन दाती नहीं आया जब वह पूछताछ के लिए पहुंचा तो पुलिस ने जांच में सहयोग
के नाम पर उसे गिरफ्तार नहीं किया। दिल्ली हाई कोर्ट ने पूरे मामले में सख्त टिप्पणी
करते हुए कहा ः जिस तरह से यौन शोषण के मामले की जांच पुलिस ने की है वह चौंकाने वाली
है। एक साथ चार दर्जन से ज्यादा महिलाओं को एक बस में ले जाया जाता है वहां उनसे पूछताछ
होती है। पथम दृष्टया ऐसा पतीत होता है कि यह जैसे इन्हें सैर-सपाटा कराने के मकसद से लाया गया है। इस तरह की जांच पर कैसे भरोसा किया जा
सकता है? चार दर्जन से
ज्यादा महिलाओं/युवतियों से एक साथ पूछताछ किस तरह संभव है?
यह हैरत में डालने वाली बात है। अपनी साध्वियों और आश्रम में आने वाली
युवतियों से दुष्कर्म के आरोपों में फंसे इन तथाकथित बाबाओं के मामलों में पुलिस बेबस
नजर आ रही है। दिल्ली सहित देशभर में आश्रम बना रहे ऐसे बाबाओं के खिलाफ लगातार दुष्कर्म,
छेड़छाड़ आदि के मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस केस तो दर्ज करती है लेकिन
जांच के बाद बाबा पाक साफ निकलने में सफल रहते हैं। ऐसा क्यों?
-अनिल नरेन्द्र
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