पांच राज्यों के
विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में होने जा रहे
विधानसभा निर्वाचन के पहले चरण के लिए मंगलवार को अधिसूचना जारी हो गई है।
अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन दाखिले की भी शुरुआत हो गई। प्रथम चरण में
प्रदेश के आठ जिलों की 18 विधानसभा
सीटों के लिए चुनाव होंगे। दिसम्बर में मतगणना के साथ चुनावी प्रक्रिया समाप्त हो
जाएगी। यह विधानसभा चुनाव लोकसभा से पहले
सेमीफाइनल माने जा रहे हैं। इनके परिणामों से लोकसभा चुनाव 2019 पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। इन राज्यों में कुल 680 विधानसभा
सीटें हैं। इन राज्यों में 83 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से 2014
में भाजपा को 63, कांग्रेस ने छह और टीआरसी ने
11 सीटें जीती थीं।
जाहिर है कि भाजपा को 2019 के अंकगणित तक पहुंचने के
लिए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनावों में 2013
को दोहराना होगा। तेलंगाना और मिजोरम में अपना प्रदर्शन बेहतर करना
होगा। अगर कांग्रेस 2019 में बेहतर प्रदर्शन करना चाहती है
तो कम से कम इन तीन राज्यों में उसे वापसी करनी होगी। पांच राज्यों के विधानसभा
चुनावों से पहले भले ही कांग्रेस राफेल सौदे को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हो,
लेकिन लगता है कि भाजपा इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है। भाजपा इन
राज्यों में कांग्रेस की पिछली व मौजूदा सरकारों के कामकाज की तुलना जनता के सामने
रख रही है ताकि जनता जान सके कि कौन बेहतर है। वह विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस के
साथ ज्यादा उलझने के बजाय सामाजिक समीकरणों पर ज्यादा गौर कर रही है। खासकर पिछड़ा
वर्ग पर जिससे खुद प्रधानमंत्री मोदी आते हैं। भाजपा के अपने आंकलन में सबसे
राहत की बात सामने यह आ रही है कि राफेल
का कहीं भी चुनावी मुद्दा बनता नजर नहीं आ रहा है, कम से कम
भाजपा का तो यही मानना है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी द्वारा राफेल
की लगातार रट लगाने से आमजन को प्रभावित करने वाले महंगाई व बेरोजगारी के मुद्दे
दबते चले जा रहे हैं। भाजपा के नेता भी राहुल की राफेल को बोफोर्स की तर्ज पर भरकम
बनाने की रणनीति को हवा होते देख राहत महसूस कर रहे हैं। इतना ही नहीं, राफेल की पूंक निकलता देख भाजपा उच्च कमान ने इस पर तवज्जो देना अब जरूरी
नहीं समझा है। भाजपा को आशंका थी कि भाजपा शासित राज्यों में विपक्ष सत्ता विरोधी
माहौल के चलते स्थानीय मुद्दों के जरिये हमलावर होंगे और भाजपा की स्थिति बचाव की
बनी रहेगी किन्तु केंद्रीय नेताओं द्वारा राफेल को ज्यादा तवज्जो देने पर सत्ता
विरोधी आक्रमण के बचाव में भाजपा को कम पसीना बहाना पड़ेगा। भाजपा के अपने आंकलन
में सबसे राहत की बात सामने आ रही है कि राफेल को लेकर कांग्रेस का शोर किसी भी
राज्य के चुनाव में मुद्दा नहीं है। वहां पर स्थानीय मुद्दे ज्यादा हावी हैं और
नतीजा उन पर ही आने हैं। ऐसे में पार्टी राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर जनता में
सिर्प एक बात पर जोर दे रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष झूठ बोल रहे हैं।
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