गुजरात के साबरकांठा जिले में बिहार के मजदूर
ने 14 माह की बच्ची के साथ बलात्कार किया
वह एक व्यक्ति की दरिंदगी है। ऐसी घटनाएं पूरे देश में हो रही हैं। उसकी उसे कड़ी से
कड़ी सजा मिलनी चाहिए लेकिन एक व्यक्ति की दरिंदगी की सजा समूचे बिहार के पवासी मजदूरों
को देना एक तरह की संकीर्णंता और नफरत है। बीते दो-तीन दिन में
जिस तरह गुजरात का माहौल खराब कर राज्य के कई इलाकों में बसे बिहार-यूपी के लोगों को निशाना बनाया गया। वह भीड़ तंत्र के कानून हाथ में लेने की
बढ़ती पवृत्ति का एक और उदाहरण है। वहां जिस तरह अराजक तत्वों ने आतंक फैलाया और बिहार-यूपी के पवासियों को ढूंढ-ढूंढकर निशाना बनाया उसके बाद
स्वाभाविक था कि डरे-सहमे लोग पलायन करते और यही हुआ। गुजरात
में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हमलों के बीच अहमदाबाद की एक फैक्ट्री में बिहार के
47 मजदूरों को बंधक बना लिया और उनके साथ मारपीट की गई। गुजरात से बिहार
के शेखपुरा लौटे कुछ मजदूरों ने जिलाधिकारी से उनकी रिहाई की गुहार लगाई है। वहीं डर
की वजह से बीते एक सप्ताह में गुजरात से 50 हजार लोग पलायन कर
चुके हैं। गांधी नगर, अहमदाबाद, भैरसाणा,
पाटन व साबरकांठा जैसे इलाकों से लोग काम-काज छोड़कर
परिवार के साथ पलायन करने लगे हैं। बेशक इन हमलों में शामिल लोगों की बड़ी संख्या में
गिरफ्तारियां हुई हैं इसके बावजूद लंबे समय से वहां रहकर रोजगार या नौकरी कर रहे उत्तर
भारतीय लोगों में भय का माहौल है। बिहार और यूपी के मजदूरों को डराना, धमकाना और मारना व भगाने का जो अभियान चल रहा है वह एक भीड़ तंत्र का न्याय
है। यह इस देश में पहले भी था, लेकिन पिछले दिनों उसने एक पकार
की वैधता हासिल की है। संयोग से इस आकामक अभियान में क्षत्रिय, ठाकोरे सेना के लोगों के शामिल होने के कारण भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-पत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। बिहार से गुजरात तक नए किस्म की पार्टी बंदी
शुरू हो गई है। अच्छी बात है कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने स्थिति को संभालने
का पयास किया है और हमलावर भीड़ के लोगों की बड़ी मात्रा में गिरफ्तारियां भी हुई हैं
पर अभी भी स्थिति शर्मनाक है। रेप के आरोप में बिहार निवासी रवीन्द्र साहू को पुलिस
ने गिरफ्तार कर लिया है। रवीन्द्र एक स्थानीय फैक्ट्री में काम करता है। जहां राजस्थान,
मध्य पदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावों की घोषणा हो चुकी है वहीं भाजपा
नेतृत्व इस मामले के फालआटर से चिंतित है। बिहारी तो सारे उत्तर भारत में फैले हुए
हैं। पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह इन हमलों को ठीक से हैंडल न करने से गुजरात
के मुख्यमंत्री से नाराज हैं। बताया जा रहा है कि मोदी और अमित शाह ने मुख्यमंत्री
विजय रुपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को कथित तौर पर फटकार लगाई है। पीएम मोदी
और अमित शाह दोनों चूंकि गुजरात से आते हैं इसलिए उनकी भी पतिष्ठा का सवाल है। मध्य
पदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव को देखते हुए बीजेपी किसी
तरह की नाकामी का संदेश नहीं देना चाहती है। हालांकि पलायन पर गुजरात पशासन का यह भी
कहना है कि लोग त्यौहार के कारण बड़ी संख्या में अपने घर को लौट रहे हैं। इस बीच उत्तर
पदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुख्यमंत्री
रुपाणी ने बात कर हिंसा पर अपनी चिंता जताई है। हिंसा और धमकी के चलते गुजरात की शांतिपूर्ण
छवि को भी नुकसान पहुंचा है जिसे अब तक मजदूरों के हितैषी राज्य के तौर पर देखा जाता
था। यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब कुछ महीने बाद जनवरी 2019 में
वाईब्रैंट गुजरात सम्मिट होने वाली है। गांधी जयंती के 150 वर्ष
में उनके गृह पदेश में भाईचारा बना रहे यह सुनिश्चित करना गुजरात सरकार का पहला काम
है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि गरीबी से बड़ी कोई दहशत नहीं
है। गुजरात में हो रही हिंसा की जड़ वहां बंद पड़े कारखाने और बेरोजगारी है।
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