अकसर
बढ़ते बेरोजगारों की संख्या पर चर्चा होती रहती है। आंकड़े भी दर्शाते हैं कि देश के
आर्थिक ढांचे में जो बदलाव हुए हैं उनसे रोजगार के मौके लगातार घट रहे हैं। 2013-14 के बाद नौकरियों की संख्या घटी
है। युवाओं और उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों में बेरोजगारी की संख्या इस समय
16 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। मंगलवार को जारी प्रेमजी यूनिवर्सिटी के
सेंटर फॉर सस्टेनेबल एंप्लाइमेंट की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि
2013 से 2015 के दौरान नौकरियों की संख्या
70 लाख कम हो गई हैं। निजी क्षेत्र के हाल के आंकड़ों से पता चलता है
कि यह ट्रेड 2015 के बाद भी बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रोथ
से कम नौकरियों में भारी कमी आई है। 1970 और 1980 के दशक में जीडीपी ग्रोथ रेट तीन-चार प्रतिशत होती थी,
तब हर साल नौकरियां दो प्रतिशत बढ़ती थीं। 2000 के बाद जीडीपी ग्रोथ बढ़कर सात प्रतिशत हो गई, पर नौकरियां
एक प्रतिशत या कम हो गईं। पारंपरिक रूप से भारत की समस्या बेरोजगारी नहीं, बल्कि अंडर-एंप्लाइमेंट रही है यानि लोगों को उनकी योग्यता
के हिसाब से काम नहीं मिलता। युवाओं और उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों में बेरोजगारी
16 प्रतिशत तक पहुंच गई है। देश में एक चपरासी के लिए इंजीनियर यहां
तक कि पीएचडी डिग्री वालों को भी आवेदन करते हुए हमने कई बार सुना है। प्रेमजी विश्वविद्यालय
के मुताबिक देश में 87 प्रतिशत लोगों की कमाई सरकारी विभाग के
चपरासी से भी कम है। अध्ययन के मुताबिक देश में 87 प्रतिशत लोगों
की एक महीने की आमदनी 10 हजार रुपए से कम है। इसमें
82 प्रतिशत पुरुष और 92 प्रतिशत महिलाएं शामिल
हैं। इसकी तुलना इसी दौर में सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम सैलरी 18 हजार रुपए प्रति महीना हो गई है। स्वरोजगार के मोर्चे पर 85 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनकी महीने में आमदनी 10 हजार रुपए
से नीचे है। इसमें 41.3 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनकी कमाई पांच
हजार रुपए से भी कम है। 26 प्रतिशत लोग खुद का काम करके पांच
हजार से साढ़े सात हजार रुपए प्रति महीना कमा पाते हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले
अमित भौंसले ने बताया कि इस अध्ययन में लेबर ब्यूरो के रोजगार सर्वे 2015-16
के आंकड़े और नेशनल सैम्पल सर्वे के आंकड़े शामिल किए गए हैं। बेरोजगारी
पूरे देश में बढ़ रही है, लेकिन उत्तरी राज्यों में यह ज्यादा
है। स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को जल्द ही राष्ट्रीय
रोजगार नीति बनानी चाहिए। उधर मंगलवार को ही केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने भी रोजगार आंकड़े जारी किए। इसमें कहा गया
है कि जुलाई में 13.97 लाख लोगों को नौकरी मिली जो सितम्बर
2017 के बाद से सबसे ज्यादा है। एक अन्य खबर में अमीर-गरीब के बीच अंतर कम करने वाली कोशिशों के बीच देश के अमीरों पर जारी रिपोर्ट
अलग ही तस्वीर बयां कर रही है। देश में पिछले दो सालों में ऐसे लोगों की तादाद दोगुनी
से भी ज्यादा हो गई है, जिनकी सम्पत्ति 1000 करोड़ रुपए या उससे भी ज्यादा है यानि पिछले दो सालों में अमीरों की संख्या
दोगुनी हो गई है।
-अनिल नरेन्द्र
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