Saturday 27 October 2018

पीएम की हत्या की फिर मिली धमकी

दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जान से मारने की धमकी वाला ई-मेल मिला है। सूत्रों की मानें तो एक सप्ताह पूर्व दो लाइन का ई-मेल दिल्ली पुलिस आयुक्त की ई-मेल आईडी पर भेजा गया था, जिसके  बाद खुफिया एजेंसियां और सतर्प हो गई हैं। एसपीजी ने प्रधानमंत्री के सुरक्षा घेरे को और बढ़ा दिया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियां ई-मेल भेजने वाले व्यक्ति का पता लगाने का प्रयास कर रही हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो एक सप्ताह पूर्व ई-मेल आया है। इसमें लिखा है कि पाक खुफिया एजेंसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या कराने के लिए कुछ संदिग्ध लोगों को भेज दिया है। जल्द ही हमला कर दिया जाएगा। छानबीन से पता चला है कि यह ई-मेल दक्षिण भारत से भेजा गया है। इससे पहले अगस्त में भेजे गए ई-मेल में प्रधानमंत्री को 19 सितम्बर को मारने की धमकी दी गई थी। पिछले कुछ दिनों के भीतर दो ई-मेल मिलने से चिन्ता बढ़नी स्वाभाविक है। याद रहे कि इसी साल जून में भी पुणे पुलिस को एक पत्र मिला था, जिसमें माओवादियों द्वारा प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश के बारे में लिखा था। पत्र में लिखा था कि आगामी चुनाव के दौरान राजीव गांधी की तरह पीएम मोदी की भी हत्या कर दी जाएगी। इस मामले में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव मामले से जुड़े लोगों की संलिप्तता सामने आई थी। इसके बाद संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई थी। निकट भविष्य में कई चुनाव आ रहे हैं और इनमें प्रधानमंत्री प्रचार करने के लिए सड़कों पर रैलियों में निकलेंगे। ऐसे समय उनकी सुरक्षा करनी मुश्किल हो जाती है। लाखों लोगों में हत्यारे छिपे हो सकते हैं। फिर हमने देखा है कि प्रधानमंत्री खुद भी कई बार सुरक्षा दायरा तोड़कर जनता से मिलने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। राजीव गांधी को भी कई बार चेताया गया था। पर उन्होंने भी अपनी सुरक्षा को ताक पर रख दिया था। यह बात सिर्प प्रधानमंत्री पर लागू नहीं होती। राहुल गांधी समेत अन्य बड़े राजनेता भी सुरक्षा प्रबंधों को ताक पर रख देते हैं। हालांकि इनकी सुरक्षा एसपीजी के हाथों में है और वह बहुत प्रभावी भी है पर फिर भी खतरा तो हमेशा रहता है। खासकर जब पड़ोसी देश सहित कई विदेशी ताकतें भारत को अस्थिर करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। हमारा तो पीएम से अनुरोध है कि वह इन ई-मेल धमकियों को गंभीरता से लें और सुरक्षा प्रबंधों का सख्ती से पालन करें। एक साल में तीन बार धमकियों को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

-अनिल नरेन्द्र

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