Thursday 7 March 2019

2019 के बाद भी मैं ही बनूंगा पीएम : मोदी

क्या पुलवामा आतंकी हमले और उसके बाद भारत की पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक-2 करने का आम चुनाव पर कोई असर पड़ेगा? क्या देश की राजनीति बदलेगी? क्या नरेन्द्र मोदी और बीजेपी का ग्राफ बढ़ेगा? पुलवामा हमले के बाद देश में जो माहौल उभरकर आ रहा है, उसने समूचे विपक्ष खासकर कांग्रेस के माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी हैं। कांग्रेस को लग रहा है कि राफेल विमान, बेरोजगारी व युवा वर्ग में मुद्दों को लेकर जिस तरह से मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनना शुरू हुआ था, पुलवामा हमले और भारत-पाक के बीच तनाव की स्थिति से उभरे देश भक्ति भरे माहौल ने उसकी धार कम कर दी है। कांग्रेस सहित विपक्ष को लग रहा है कि हवा मोदी ने अपने पक्ष में कर ली है। यही वजह है कि भारतीय वायुसेना की ओर से पाक में आतंकियों पर की गई एयर स्ट्राइक को लेकर बीजेपी नेता येदियुरप्पा का बयान आया है कि एयर स्ट्राइक से बीजेपी को कर्नाटक में 28 लोकसभा सीटों में से 22 सीटें जीतने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि दिनों-दिन बीजेपी के पक्ष में लहर बनती जा रही है। पाकिस्तान के भीतर घुसकर आतंकी कैंपों को बर्बाद करने के कदम से मोदी के समर्थन में लहर बनी है। आम चुनावों पर बारीकी से नजर रखने वालों का भी मानना है कि सर्जिकल स्ट्राइक से बीजेपी की सीटों में इजाफा होगा। इसमें 30-40 सीटों का फर्प  पड़ सकता है। खुद पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कह रहे हैं कि हाल ही में एक पायलट पोजेक्ट पूरा हुआ, जो एक तरह का अभ्यास था और अब रियल होगा... और रियल यह है कि हमें विजेताओं का अभिनंदन करना है। दो दिन पहले मोदी अहमदाबाद के जामनगर में पाटीदार समुदाय की देवी उमिया के एक विशाल मंदिर के भूमि पूजन के मौके पर आयोजित कार्यकम को संबोधित करते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद भी वही पधानमंत्री रहेंगे। उन्होंने कहा कि 2019 के बाद भी मैं ही रहूंगा चिंता न करना। फिर भीड़ ने मोदी-मोदी के नारे लगाए और इसके बाद उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इसमें कुछ भी करने की जरूरत हो तो दिल्ली भेजो मेरा घर है वह आपका ही है। दरअसल पुलवामा के हमले तक कांग्रेस राफेल को लेकर काफी हमलावर थी। राफेल को लेकर मीडिया के एक हिस्से में खबरें आ रही थी उससे कांग्रेस उत्साहित थी। पियंका गांधी के राजनीति में उतरने के बाद जिस तरह से राजनीति में माहौल बना उसे भी पार्टी अपने लिए बेहतर संकेत मान रही थी। कांग्रेस की बड़ी चिंता यह है कि ऐन चुनाव से पहले अचानक देश का सारा नेतृत्व बदल गया है, न तो राफेल कोई मुद्दा लग रहा है, न ही बेरोजगारी, न ही किसान, न ही सरकार की अन्य आर्थिक नीतियां सब पीछे चले गए हैं। जो ट्रेड आ रहे हैं उस हिसाब से तो पिछले 15 दिनों में बाकी सारे मुद्दे अब हाशिए पर जाते दिख रहे हैं। युद्ध जैसे हालात जब भी देश के सामने आते हैं तो अलग से एक भावना सामने आती है, जिसमें लोग स्वाभाविक रूप से मजबूत नेता और मजबूत सरकार की ओर जाना पसंद करते हैं। ऐसे में यह माहौल पीएम मोदी और बीजेपी के पक्ष में जाता दिख रहा है। इस घटना से पहले आए तमाम सर्वे में इस बार बीजेपी को 2014 से मिली 282 सीटों की ऐतिहासिक उपलब्धि के मुकाबले काफी नुकसान होने का अनुमान बताया जा रहा था। बीजेपी को खुद की सीटों से कम रह जाने का खतरा लग रहा था। लेकिन इस बदले परिवेश में बीजेपी को लगता है कि वह नई लहर पैदा कर सकती है, जो उसमें भी बड़ी जीत दिला सकती है। पिछले दिनों रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दावा भी किया था कि इस बार बीजेपी 300 से अधिक सीटें जीतेगी।
क्या दिल्ली में आप-कांग्रेस अलग-अलग लड़ेंगी?
कांग्रेस के साथ गठबंधन की अटकलों पर फिलहाल विराम लगाते हुए आम आदमी पार्टी ने शनिवार को दिल्ली की छह लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। पार्टी ने छह सीटों पर तय लोकसभा पभारियों को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। फिलहाल पश्चिमी दिल्ली सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। गोपाल राय ने बताया कि पश्चिमी दिल्ली सीट से उम्मीदवार की घोषणा जल्द की जाएगी। दिल्ली में अब आम आदमी पार्टी ने अपने दम-खम पर ही चुनाव लड़ने का फैसला किया लगता है। इस घोषणा से लगता है कि कांग्रेस से गठबंधन पर फिलहाल पार्टी ने हाथ पीछे खींच लिए हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पयास अभी भी जारी हैं। यदि गठबंधन होता है तो पार्टी अपने उम्मीदवारों के नाम वापस भी ले सकती है। बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि दिल्ली में भाजपा को केवल आप ही हटा सकती है। कांग्रेस केवल वोट काटने वाली पार्टी है। यदि वह भाजपा को हटाने की क्षमता रखती है तो हम सभी सीटों  को छोड़ने के लिए तैयार हैं। वैसे अरविंद केजरीवाल कई बार कह चुके हैं कि वह कांग्रेस से गठबंधन करने को तैयार हैं पर कांग्रेस ने अभी तक तो आप पार्टी के साथ किसी भी गठबंधन करने को तैयार नहीं है। कांग्रेस ने शुकवार को कहा कि आप ने बीजेपी को हराने के लिए पार्टी के साथ गठबंधन की बात की थी। मगर हो सकता है कि आप ने राजनीतिक कारणों से 6 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी। कांग्रेस महासचिव और दिल्ली के पार्टी पभारी पीसी चाको ने कहा कि आप का विचार था कि कांग्रेस के साथ गठबंधन से आम चुनावों में बीजेपी को हराने में मदद मिलेगी। अब उन्होंने दिल्ली के 6 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। चाको ने कहा कि अब क्या यह सोच बेकार हो गई है। हो सकता है कि राजनीतिक कारण रहे हों। वहीं गोपाल राय ने कहा कि गठबंधन के लिए हमारे दो लोगों से बात हो रही थी। राहुल  गांधी पहले ही मना कर चुके हैं और शीला दीक्षित ने शुकवार को सार्वजनिक तौर पर मना कर दिया है।  उन्होंने कहा कि पयास था कि भाजपा को हराने के लिए विपक्ष एक होकर चुनाव लड़े। महागठबंधन की ओर से भाजपा के सामने एक पत्याशी ही चुनाव लड़े। हम गोपाल राय की राय से सहमत हैं। अगर भाजपा को दिल्ली में हराना है तो विपक्ष को एक साझा उम्मीदवार उतारना जरूरी है। अगर आप पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग लड़ती हैं तो वोटों का बंटवारा हो जाएगा और भाजपा उम्मीदवार बीच से साफ निकल जाएगा। हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि आप पार्टी और कांग्रेस जो वोट लेंगे वह भाजपा के वोट ही होंगे। अभी समय है, देखें अंतिम रूप क्या होता है। अभी तो सौदेबाजी चल रही है।

-अनिल नरेन्द्र

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