Saturday, 30 March 2019

मिशन शक्ति परीक्षण के बाद छिड़ा सियासी युद्ध

भारत के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि हमने अंतरिक्ष में ही दुश्मन की सैटेलाइट नष्ट करने की क्षमता हासिल कर ली है। डीआरडीओ द्वारा तैयार एंटी-सैटेलाइट (. सैट) मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ भारत इस ताकत से लैस रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बन गया है। भारत ने इस परीक्षण को मिशन शक्ति नाम दिया है। मिशन शक्ति महज तीन मिनट में पूरा हो गया। परीक्षण के दौरान सेवा से बाहर होने के बाद भी परिक्रमा कर रहे एक लाइव सैटेलाइट को 300 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की निचली कक्षा में मार गिराया गया। डीआरडीओ प्रमुख जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि मिसाइल से सैटेलाइट को गिराना दिखाता है कि भारत सेंटीमीटर्स तक की सटीकता के लिए परिपक्व हो चुका है। हम अपने वैज्ञानिकों, टेक्नीशियों को इस शानदार महत्वपूर्ण उपलब्धि पर बधाई देते हैं। इससे आकाश में सुरक्षा सुनिश्चित होगी। कोई भी संदिग्ध सैटेलाइट भारतीय अंतरिक्ष सीमा में प्रवेश नहीं कर सकेगा। दुश्मन सैटेलाइट जासूसी भी नहीं कर पाएगा। हालांकि परीक्षण के समय को लेकर सियासी जंग जरूर छिड़ गई है। बुधवार दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि हमने अंतरिक्ष में बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण देश के विकास की रक्षात्मक पहल है। प्रधानमंत्री की ट्वीट आने के बाद ट्वीट वार शुरू हो गया। कांग्रेस महासचिव अहमद पटेल ने इसका श्रेय मनमोहन सिंह सरकार को दिया। पलटवार में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सबूत सहित याद दिला दिया कि मनमोहन सिंह सरकार ने वैज्ञानिकों को छूट नहीं दी थी वरना भारत यह क्षमता कुछ साल पहले ही हासिल कर लेता। कांग्रेस ने दावा किया कि ए. सैट मिसाइल की उपलब्धि का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी को जाता है क्योंकि उनके समय में डीआरडीओ बना था। ममता बनर्जी और मायावती ने मोदी की घोषणा को आचार संहिता का उल्लंघन बताया। ममता ने परीक्षण के समय पर सवाल खड़ा किया तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री के संबोधन को ड्रामा करार दिया। मिशन शक्ति को कांग्रेस द्वारा पुराना कार्यक्रम बताए जाने पर पलटवार में भाजपा ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने 2012-13 में इसके लिए इजाजत और पैसे देने से इंकार कर दिया था। अरुण जेटली ने आगे कहा कि बहुत समय पहले से हमारे वैज्ञानिकों की इच्छा थी कि भारत इस दिशा में आगे बढ़े। उन्होंने 21 अप्रैल 2012 में की एक मीडिया रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि जब अग्नि-5 का परीक्षण हुआ था, तब डीआरडीओ के प्रमुख डॉ. वीके सारस्वत ने कहा था कि उनके पास उपग्रहों को भेदने की क्षमता है लेकिन सरकार इसके परीक्षण की दिशा में आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दे रही है। भारत ने एंटी सैटेलाइट हथियार का सफल परीक्षण करके यह तो साबित कर ही दिया है कि वह न सिर्फ भविष्य की रक्षा चुनौतियों के लिए तैयार है, बल्कि उसके लिए अंतरिक्ष का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां उसके लिए अब कोई चुनौती शेष नहीं है। यह माना जाता है कि भविष्य में युद्ध पृथ्वी, जल या आकाश में ही नहीं अंतरिक्ष में भी लड़ा जाएगा। वैज्ञानिकों को बधाई।

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