Tuesday, 19 March 2019

नमाजियों पर अंधाधुंध फायरिंग

शुक्रवार को जब न्यूजीलैंड की दो मस्जिदों में जब लोग नमाज अदा करने की तैयारी कर रहे थे, वहां अंधाधुंध गोलाबारी करके दर्जनों लोगों को मारने की घटना निन्दनीय ही नहीं है, इससे जुड़े कई और आयाम भी उतने ही चिन्ताजनक हैं। शुक्रवार को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर की अल नूर मस्जिद और लिन वुड मस्जिद में नमाज पढ़ने गए लोगों पर हथियारबंद हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें 50 के आसपास लोग मारे गए और कई घायल हो गए। अल नूर मस्जिद में जुम्मे की नमाज के वक्त आतंकी हमले के मंजर के गवाह बने बांग्लादेशी क्रिकेट टीम के भारतीय प्रदर्शन विश्लेषक श्रीनिवास चन्द्रशेखर ने बताया कि शुरुआत में हमें पता ही नहीं चला कि यह आतंकी हमला था। न तो खिलाड़ी और न ही मैं समझ पाया कि क्या हो रहा है। तभी एक महिला सड़क पर बेसुध होकर गिर गई। हमें लगा कि कोई मैडिकल इमरजेंसी है, इसलिए कुछ खिलाड़ी उसकी मदद करने के लिए बस से उतरे। तभी अहसास हुआ कि हम जो समझ रहे हैं, यह उससे बड़ा है। लोग खून से लथपथ अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे। बांग्लादेश क्रिकेट टीम के मैनेजर खालिद मसूफ खौफनाक मंजर को याद कर सिहर उठते हैं। उन्होंने बताया कि टीम अल नूर मस्जिद में 1.30 बजे नमाज अदा करने जाने वाली थी लेकिन कप्तान महमूदुल्ला की प्रेस कांफ्रेंस सात मिनट देर से खत्म हुई। इससे हम मौत से बच गए। खून से लथपथ लोग मस्जिद से बाहर भाग रहे थे। हम बस में 8-10 मिनट लेटे रहे, लेकिन फिर हमें लगा कि आतंकी वापस आकर हमें बस में निशाना बना सकते हैं तो हमने फैसला किया कि पार्क के रास्ते से स्टेडियम तक जाएंगे। यह वारदातें एक ऐसे देश के ऐसे शहर में हुईं, जो आतंकवाद की ताजा काली आंधी के कहर से बहुत कुछ बचा रहा है। इस वारदात ने यह साबित कर दिया है कि जब तक नफरत, उन्माद और उनके आसपास चलने वाली सक्रियता इस दुनिया में है, कोई भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। किसने सोचा था कि न्यूजीलैंड के दक्षिणी द्वीप का वह खूबसूरत शहर भी आतंकवाद की वजह से सुर्खियों में आ जाएगा, जिसका जिक्र हमारे मीडिया में अकसर क्रिकेट मैच के समय ही होता है। इस सामूहिक हत्याकांड को अंजाम देने वाले शख्स धुर दक्षिणपंथी हैं तथा कुख्यात दक्षिणपंथी एंडर्स ब्रीवीक के सम्पर्क में रहा बताया जाता है, जिस पर 2011 में नार्वे के उटोया द्वीप पर हुए 69 लोगों तथा ओसलो कार बम के जरिये कुछ लोगों की जान लेने का आरोप है। कार में हथियार लेकर दोनों मस्जिदों तक जाने, वहां इबादत में झुके बंदों को निशाना बनाने, गोली खत्म हो जाने पर कार तक जाकर दूसरी बंदूक लाने के ब्यौरे बेहद खौफनाक हैं, जो बताते हैं कि विधर्मियों और अश्वतों के प्रति उसके मन में कैसी घृणा थी। हत्यारे के पास सिर्फ बंदूक नहीं, मोबाइल भी था, जिससे कुछ निहत्थे लोगों के खिलाफ एकतरफा घृणा और हिंसा का वीडियो वह फेसबुक के जरिये पूरी दुनिया में पहुंचा रहा था। हत्यारे के पास से बरामद मैनिफेस्टो में डोनाल्ड ट्रंप को आदर्श बताया जाना और मारे गए लोगों को आक्रमणकारी कहकर संबोधित करना बताता है कि दुनियाभर में इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ नाराजगी किस हद तक पहुंच गई है। आज आतंकवाद से चाहे वह किसी के माध्यम से हो, किसी के खिलाफ क्यों न हो पूरी दुनिया प्रभावित है। हम इस कायराना हमले की कड़े शब्दों में निन्दा करते हैं और इसके शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं। हिंसा चाहे किसी प्रकार की हो उसका विरोध होना चाहिए।

No comments:

Post a Comment