Sunday 3 March 2019

हापुड़ की लड़कियों ने जीता ऑस्कर

91वां अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार समारोह इस बार भारतीयों के चेहरे पर मुस्कान व खुशी लेकर आया। लॉस एंजिलिस में हुए आयोजन में हापुड़ की लड़कियों पर बनी डाक्यूमेंट्री `पीरियड ः द एंड ऑफ सेंटेंस' को डाक्यूमेंट्री शीट सब्जेक्ट की श्रेणी के तहत ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया। 26 मिनट की डाक्यूमेंट्री यूपी के हापुड़ के काठीखेड़ा गांव में पैड मशीन लगाने के बाद हुए बदलाव की कहानी है। इसके पीछे संघर्ष की कहानी है। गांव के लोग बहुत ही सादगी और साधारण जिन्दगी जीने वाले हैं। इन हालात में ऐसे विषय पर फिल्म बनाना आसान नहीं था। कहने को तो यह फिल्म मात्र 26 मिनट की है, लेकिन इसको बनाने का संघर्ष 1997 में शुरू हुआ था। एक्शन इंडिया (एनजीओ) ने हापुड़ जिला का समन्वयक शबाना को बनाया था। शुरुआती दौर में शबाना ने घरेलू हिंसा रोकने के लिए काम किया। बाद में इस पर कानून भी बना। शबाना ने गांवों में घर-घर जाकर महिलाओं को शिक्षा, सफाई के लिए जागरूक किया। जब फिल्म बनने की बात आई तो सभी किरदारों को तैयार करना एक बड़ी चुनौती थी। वजह भी साफ थी कि जिस बात को लेकर महिलाएं ही आपस में बात करने से कतराती हैं, उस पर फिल्म बनाना आसान नहीं था। लेकिन शबाना ने गांव की लड़कियों को ना-नुक्कड़ के बाद आखिर तैयार कर लिया। स्लम डॉग मिलिनियर के 10 साल बाद ऑस्कर से भारत के लिए कुछ अच्छी खबर आई। 2009 में स्लम डॉग मिलिनियर के लिए एआर रहमान और साउंड इंजीनियर रेस्युल पोकटरी को ऑस्कर मिला था। यह डाक्यूमेंट्री मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई व पैड मैन के नाम से प्रसिद्ध अरुणाचल शुअगनाथम के सस्ते सैनेटरी पैड बनाने और लोगों तक पहुंचाने के प्रयासों की बात करती है। वह मुख्य रूप से हापुड़ की कुछ लड़कियों के संघर्ष पर केंद्रित है। इस फिल्म का निर्देशन रायका जेहताबची ने किया है। ऑस्कर में डाक्यूमेंट्री को दो श्रेणियों डाक्यूमेंट्री फीचर और डाक्यूमेंट्री शार्ट सब्जेक्ट में बांटा गया है। डाक्यूमेंट्री फीचर में उन्हें शामिल किया जाता है जिनकी अवधि 40 मिनट से अधिक होती है। शार्ट सब्जेक्ट में उन फिल्मों को जगह मिलती है, जिनकी अवधि सभी क्रोडट्सं को मिलाकर 40 मिनट या इससे कम होती है। हम फिल्म बनाने वाले तमाम किरदारों, तकनीकी स्टाफ को इस महान उपलब्धि पर बधाई देते हैं। उन्होंने ऐसे विषय पर फिल्म बनाई है जो केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी अविकसित देशों की समस्या को दर्शाता है। बधाई।

-अनिल नरेन्द्र

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