राफेल डील पर सरकार को क्लीन चिट देने वाले फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर सुपीम कोर्ट में बुधवार को हाई क्लास ड्रामा हुआ। याचिकाकर्ता पशांत भूषण ने डील में गड़बड़ियों से जुड़े नए दस्तावेज पेश करने की इजाजत मांगी, जिसका केंद्र सरकार ने विरोध किया। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए हैं। कोर्ट उन्हें रिकार्ड पर नहीं ले। उन्होंने पाकिस्तान के पास मौजूद एफ-16 लड़ाकू विमानों का जिक करते हुए कहा कि दुश्मनों से देश की सुरक्षा के लिए हमें राफेल की जरूरत है। इस पर सुपीम कोर्ट ने कहा कि जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों तो सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ नहीं ले सकती। कुछ यूं हुआ सुपीम कोर्ट का घटना कम ः पशांत भूषण (याचिकाकर्ता)-सरकार ने सील बंद लिफाफे में कोर्ट को गलत सूचनाएं दी थीं। मैं नए दस्तावेज रखना चाहता हूं। केके वेणुगोपाल (अटार्नी जनरल)-पशांत की दलीलें रक्षा मंत्रालय से चुराए 8 पन्नों पर आधारित हैं। मंत्रालय के कर्मचारी के जरिए चोरी करवाई गई है और रणनीति के तहत सुनवाई से पहले द हिंदू अखबार में यह संवेदनशील जानकारियां छपवाईं। यह अपराध है। अदालत की अवमानना है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई-रक्षा मंत्रालय से दस्तावेज चोरी पर सरकार ने क्या कार्रवाई की? वेणुगेपाल-अभी एफआईआर दर्ज नहीं करवाई है। एफआईआर हुई तो उसमें याचिकाकर्ता पशांत भूषण, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा का भी नाम होगा। पशांत भूषण-अटार्नी जनरल हमें डराने का पयास कर रहे हैं। 2जी और कोयला घोटाले में भी मैं व्हिसल ब्लोअर से दस्तावेज लाया था। वेणुगोपाल-राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज पब्लिक डोमेन में नहीं होने चाहिए। क्या यह जानते हैं कि हमारे पास कितने विमान हैं? सीबीआई जांच हुई तो पूरी पकिया दोबारा शुरू हुई तो देश का नुकसान होगा। जस्टिस जोसेफ-क्या यह कहकर सबूत हटा सकते हैं कि इन्हें गैर कानूनी ढंग से हासिल किया है? गंभीर आरोपों की जांच की मांग पर आप राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ ले रहे हैं। वेणुगोपाल-हर चीज कोर्ट की अनुमति से होना जरूरी नहीं है। क्या कोर्ट आदेश दे सकता है कि युद्ध करना है या शांति के लिए बातचीत? याचिकाकर्ता बताएं कि दस्तावेज कहां से मिले? चीफ जस्टिस-कोई आरोपी बेगुनाही से जुड़े दस्तावेज कोर्ट में लाता है। क्या जज को वह दस्तावेज लेने चाहिए या नहीं? वेणुगोपाल-पहले उसे कोर्ट को बताना होगा कि दस्तावेज कहां से मिले? आपराधिक गतिविधियों से पाप्त दस्तावेज रिकार्ड पर नहीं लेने चाहिए। इस मुद्दे के जरिए विपक्ष सरकार को अस्थिर करने का पयास कर रहा है। पशांत भूषणöभ्रष्टाचार के आरोपों की जांच तो करवानी चाहिए। जांच में कुछ न मिले तो क्लोजर रिपोर्ट भी दायर की जा सकती है। चीफ जस्टिस-कोर्ट केस की दलील असली है कि विवादित दस्तावेज स्वीकार न किए जाएं। क्या रक्षा मंत्रालय चोरी होने का हलफनामा दायर कर सकता है? वेणुगोपाल-गुरुवार तक हलफनामा देंगे। राफेल डील कागजात चोरी होने की दलील ने फिर से कांग्रेस और बाकी विपक्ष की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। पुलवामा आतंकी हमले के बदले में बालाकोट में एयर स्ट्राइक के मद्देनजर राफेल और अन्य विपक्षी मुद्दे बेमायने और छोटे लगने लगे थे। बुधवार को कागजात चोरी होने का मामला सुपीम कोर्ट में उजागर होने के बाद बीजेपी और सरकार फिलहाल बैकफुट पर आती नजर आ रही है। द हिंदू पर चोरी करने का आरोप लगाने से लगभग तमाम मीडिया सरकार के खिलाफ हो गया है। पेस निकायों के एक समूह ने रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए दस्तावेज के आधार पर राफेल सौदे पर लेख पकाशित करने के लिए द हिंदू अखबार पर सरकारी गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई करने की सरकार की धमकी पर गुरुवार को चिंता जताते हुए पेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वीमेंस पेस क्लब और एडिटर्स गिल्ड ने एक बयान में कहा-हम मानते हैं कि समय आ गया है कि सरकारी गोपनीयता कानून के चौथे स्तंभ के खिलाफ संभावित दुरुपयोग के मद्देनजर समीक्षा की जाए। चौथा स्तंभ दोहरी जिम्मेदारी से बंधा हुआ है। उसका काम सवाल उठाने के साथ-साथ जनता के हित में क्या है इसकी रिपोर्टिंग करना है चाहे कोई भी सरकार सत्ता में हो, यह इसकी नैतिक जिम्मेदारी है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के शीर्ष अधिकारी इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने से रोक रहे हैं। एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि सरकारी गोपनीयता कानून को मीडिया के खिलाफ इस्तेमाल करने की हर कोशिश उतनी ही निदंनीय है जितनी निदंनीय पत्रकारों से उनके सूत्रों का खुलासा करने के लिए कहना है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल मुद्दे पर सीधे पीएम मोदी पर कई महीने से बड़े निशाने साध रहे थे। विपक्ष भी अब आकर उनका साथ देता लग रहा था। बालाकोट मामले ने उनकी परेशानी बढ़ा दी थी। लेकिन बुधवार के घटनाकम से बीजेपी के लिए ऐन चुनाव से पहले परेशानी फिर खड़ी हो गई है। कागजात चोरी होने की जिम्मेदारी सरकार पर आती है। सुरक्षा के लिहाज से इतने गोपनीय राफेल डील के कागजात सरकार सुरfिक्षत नहीं रख पाई? यह सवाल केंद्र सरकार और बीजेपी दोनों के लिए ही है। इसीलिए राहुल और पूरा विपक्ष अब पीएम को चुनाव के दौरान भी बढ़-चढ़कर घेरने की रणनीति बनाएगा। वैसे कागजात चोरी होने पर कुछ सवाल जनता भी पूछ रही है। प्वाइंट नंबर वन... आफिशियल तौर पर कभी फाइल चोरी नहीं होती अनट्रेसेबल होती है, यानी मिल नहीं रही। दूसरा विषय के हिसाब से हर फाइल का वर्गीकरण किया जाता है। मोटे तौर पर दो तरह से एक रिकार्ड फाइल और एक करंट फाइल, क्योंकि राफेल का मुद्दा तो चल रहा था। तमाम संसद के पश्नों का उत्तर, कैग की रिपोर्ट आदि फाइल में दी हुई सामग्री पर ही तैयार किया होगा। इस तरह करंट फाइल न मिलना समझ से बाहर है। हर सरकारी फाइल का ट्रेक रजिस्टर होता है जिसमें यह दर्ज किया जाता है कि फाइल किस विभाग या अफसर के पास गई है। जब भी फाइल गुम होती है तो वो सेक्शन एक सर्पुलर जारी करता है। पूरे मंत्रालय की कहीं गलती से यह फाइल तो नहीं पहुंच गई? जिस अधिकारी की कस्टडी में यह फाइल थी उसके द्वारा फाइल गुम होने पर क्या उसे मेमो जारी किया गया था? क्या ऐसा सर्पुलर जारी किया गया? एक पाठक ने लिखा कि अब तो पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। बैठे बिठाए विपक्ष के हाथ में एक जबरदस्त मुद्दा आ गया है।
-अनिल नरेन्द्र
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