Friday 29 March 2019

गरीबी हटाओ बनाम गरीबी मिटाओ

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ठीक 48 वर्ष बाद वही मास्टर स्ट्रोक खेला है जो 1971 में उनकी दादी इंदिरा गांधी ने खेला था। गौरतलब है कि 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था और देश की सत्ता पर काबिज हुई थीं। उस समय पूरा विपक्ष उनके खिलाफ लामबंद था लेकिन उनके इस एक नारे से सारे सियासी अनुमानों को धत्ता बताते हुए पार्टी की झोली में 578 लोकसभा सीटों में 352 सीटें डाल दी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में अब उसी तर्ज पर भाजपा और नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए राहुल ने सोमवार को देश के 25 करोड़ गरीबों को रिझाने का ऐसा सियासी दांव चला है जिसकी काट करना आसान नहीं होगा। कांग्रेस अध्यक्ष की न्यूनतम आय योजना (न्याय) के तहत देश के 20 प्रतिशत गरीबों को हर साल 72 हजार रुपए देने वाली न्याय योजना गेमचेंजर भी साबित हो सकती है। पिछले दिनों तीन राज्यों के चुनाव में किसानों की कर्जमाफी योजना के परिणाम से उत्साहित कांग्रेस अध्यक्ष ने अब सियासी पिच पर गरीब कार्ड की गुगली फेंक दी है। राहुल ने वादा किया है कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह देश के 20 प्रतिशत सबसे गरीब पांच करोड़ परिवारों को सीधे उनके खाते में सालाना 72 हजार रुपए देगी, ताकि उनकी आय 12 हजार रुपए महीने हो सके। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस योजना को तैयार करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था का गहन अध्ययन किया है और अर्थव्यवस्था इस भार को उठा सकती है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम आय योजना के लिए देश में पर्याप्त धन उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश के लोगों को न्याय देगी और उनका हक देगी। कांग्रेस अध्यक्ष की न्यूनतम आय योजना (न्याय) की घोषणा से भाजपा में खलबली मच गई। भाजपा ने कांग्रेस के वार की काट करने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली को मैदान में उतारा। जेटली ने गांधी की न्याय योजना में खामियां गिनाईं और मोदी सरकार की वर्तमान योजनाओं का जिक्र कर यह समझाने की कोशिश की कि मोदी सरकार द्वारा अभी भी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के तहत गरीबों के खाते में सरकारी सहायता दी जा रही है। जेटली ने तर्क दिया कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों द्वारा गरीबों को 5.34 लाख करोड़ रुपए दिया जा रहा है। जेटली ने कहा कि कांग्रेस की यह योजना एक धोखा और छलावा है। कांग्रेस की नीति रही है कि चुनाव जीतने के लिए गरीब को धोखा देना और साधन न देना। कांग्रेस पार्टी का इतिहास रहा है कि गरीब को नारे दो और साधन मत दो। कांग्रेस ने ट्विटर पर इसकी काट करने के लिए अभियान चलाया कि भाजपा गरीबों को न्यूनतम आय देने का विरोध कर रही है जबकि उसने अमीरों को करोड़ों रुपए की मदद की। हमारा मानना है कि यह एक अच्छी स्कीम है। यह गरीबों को न्यूनतम आय की गारंटी देगी। सैद्धांतिक तौर से संभव भी है क्योंकि यह कर्जमाफी से बेहतर है। लेकिन इसमें दो समस्याएं हैंöपहली कि गरीब की आय का आंकड़ा मौजूद नहीं है। कैसे तय करेंगे कि गरीब कौन है। ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में इसका निर्धारण कैसे होगा कि किसकी आय कितनी है? दूसराöपांच करोड़ परिवार को सालाना 72 हजार रुपए दें तो 3.6 लाख करोड़ रुपए लगेंगे। इतना पैसा कहां से आएगा? सब्सिडी खत्म नहीं की तो सरकार का घाटा बढ़ेगा। देखें, राहुल की इस न्याय योजना का वोटरों पर कितना असर पड़ता है?

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