Friday 1 March 2019

जैश की कमर तोड़ने के लिए बालाकोट को तबाह करना जरूरी था

पुलवामा हमले के बाद से ही मोदी सरकार पर आतंकियों और उनके आकाओं को कड़ा जवाब देने का दबाव था। समय कम था, लेकिन जोश में कोई कमी नहीं थी। तमाम एजेंसियों ने आपसी सहयोग से 10 दिन में पाक पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली और आतंकी संगठन जैश--मोहम्मद के सबसे बड़े "िकाने बालाकोट को ध्वस्त कर दिया। कार्रवाई में तीन लक्ष्य तय किए गए। मुजफ्फराबाद, चकोटी और बालाकोट। हालांकि भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाक अधिकृत कश्मीर स्थित 13 आतंकी ठिकानों की जांच की। यह थे केल, शहदी, दुनियाल, अथमुकाम, जुटा लीपा, पियबल, चाय, फवाद, कठुआ, कटली, लाजोत, निकियाल और मंधार। यहां पर जैश के कैंप चल रहे थे। बालाकोट इसलिए चुना गया क्योंकि यह जैश का सबसे बड़ा ट्रेनिंग, लांचिंग पैड था। बालाकोट में 500 से 700 आतंकियों को रहने और सब प्रकार की ट्रेनिंग सुविधा है। परिसर में किसी पांच सितारा रिजॉर्ट की तरह स्वीमिंग पूल आदि मौजूद थे। यहां पर हथियारों के साथ सदी के जरिये घुसपैठ आदि की ट्रेनिंग दी जाती थी। यहां पर पाक सेना के पूर्व अधिकारी आतंकियों को ट्रेनिंग देते थे और कई बार जैश सरगना मसूद अजहर और अन्य आतंकी देखे गए। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मानसेहरा जिले की कागान घाटी में पहाड़ के ऊपर स्थित है। सुबह 11.30 बजे विदेश सचिव विजय गोखले ने अभियान की सफलता की जानकारी देते हुए बताया कि जैश भारत में बड़े आतंकी हमले की तैयारी करने के लिए बालाकोट में फिदायीन स्क्वॉड तैयार कर रहा है। आतंकियों का सबसे बड़ा कैंप होने के अलावा इस कैंप की लोकेशन एलओसी से आगे पाकिस्तान सीमा में थी। यानि आतंकवाद पर कार्रवाई का कड़ा और स्पष्ट संदेश देना था। सूत्रों के मुताबिक बालाकोट में वायुसेना की कार्रवाई के दौरान मसूद अजहर का साला व जैश में नम्बर दो का कमांडर यूसुफ अजहर और उसका बड़ा भाई इब्राहिम अजहर शिविर में मौजूद थे। हमले में यह दोनों ढेर हो गए। मारे गए अन्य शीर्ष कमांडरों में मौलाना तहला सैफ, मौलाना मुप्ती अजहर खान और मौलाना अम्मार भी शामिल है। सूत्रों का तो यह कहना है कि इस शिविर में 42 आतंकियों को मानव बम (सुसाइड बॉम्बर) के तौर पर तैयार किए जा रहे थे। इस शिविर में पाक सेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों को प्रशिक्षण का जिम्मा सौंपा गया था। भारत के निशाने पर मसूद अजहर था। लेकिन मसूद को  बार-बार पाकिस्तान सेना के संरक्षण में अलग-अलग ठिकानों पर ले जाया जा रहा था। ऐसे में मसूद के सबसे करीबी को निशाना बनाने का लक्ष्य तय किया गया। भारत ने इस इलाके को तबाह करने के लिए सबसे मुफीद समझा। पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ले चुका जैश ही दिसम्बर 2001 में संसद व जनवरी 2016 में पठानकोट हमले का भी जिम्मेदार था। बालाकोट में मारा गया मसूद अजहर का बहनोई यूसुफ 1999 में कंधार अपहरण में भी शामिल था। मसूद का बड़ा भाई इब्राहिम खान व मौलाना तलहा भी ढेर हो गए। विमान अपहरण में सक्रिय मौलाना अम्मार भी मारा गया। इसके साथ ही पाकिस्तान में जैश का शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया। हालांकि जैश का दावा है कि यूसुफ हमले के वक्त बालाकोट में नहीं था। हालांकि बालाकोट हमले में हमारे मिराज विमानों द्वारा की गई कार्रवाई का अभी तक भारतीय वायुसेना ने कोई सबूत तो पेश नहीं किया पर बालाकोट के नजदीकी गांवों के निवासी सहमे हुए हैं। नागरिकों का कहना है कि रात में अचानक विमान की गड़गड़ाहट ने सबको चौंका दिया। ऐसा लगा जैसे जलजला आ गया है। नागरिकों ने पुष्टि की कि जिस जगह हमला हुआ वहां जैश--मोहम्मद का ट्रेनिंग कैंप था। नाम नहीं बताने की शर्त पर एक नागरिक ने कहा कि मैं उसी जगह का हूं। मैं जानता हूं कि वहां आतंकियों का ट्रेनिंग कैंप हुआ करता था। अमेरिका के एबटाबाद एक्शन के बाद जिसमें ओसामा बिन लादेन मारा गया था अब भारतीय सेना के हमले के बाद दुनिया के लोग इसके सर्विलांस सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं। दरअसल भारतीय वायुसेना की तैयारी इतनी मुकम्मल थी कि पाकिस्तान के लिए अंदाजा लगाना आसान नहीं था। अप्रैल 2000 में भारतीय वायुसेना ने रूस से दो ए-50 अवॉक्स खरीदे थे। यह राडार सिस्टम (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल) और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के लिए काफी अहम था। भारत ने जब इसे खरीदा था तभी पाक के रिटायर्ड एयर मार्शल अयाज अहमद ने कहा था कि भारत की इस सिस्टम से पाकिस्तान के भीतर और पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र की पूर्ण सुरक्षा करना मुश्किल हो जाएगा।  लगता है कि भारतीय विमानों की एंट्री का पाक को शायद इसलिए पता नहीं चल सका क्योंकि इस विमान ने पाक के राडार जाम कर दिए होंगे। इस पूरे अभियान का श्रेय भारतीय वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ को जाता है। उन्होंने न सिर्प एयर स्ट्राइक व विकल्प सुझाया, बल्कि इसके क्रियान्यवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धनोआ को कारगिल युद्ध के दौरान रात में ऐसे हमलों को अंजाम देने का खासा अनुभव है। एक फाइटर पायलट के रूप में उनका 37 वर्षों का अनुभव सर्जिकल स्ट्राइक-2 में बहुत काम आया। हम एयर मार्शल धनोआ और तमाम मिराज विमानों के पायलटों व भारतीय वायुसेना को इस अत्यंत सफल कार्रवाई पर बधाई देते हैं। जय हिन्द।

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