Saturday 17 August 2019

प्रधानमंत्री के संबोधन से निकले संदेश और संकेत

दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त को प्रधानमंत्री का जो संबोधन होता है उसमें न सिर्प अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाना होता है बल्कि भावी रणनीति को भी दर्शाया जाता है। इसके साथ ही उससे अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संदेश भी दिए जाते हैं। इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे ही संदेश दिए। ज्वलंत कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने को लेकर देश में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं उभर रही हैं, सो उस पर बोलना स्वाभाविक ही था। प्रधानमंत्री ने उन वजहों को रेखांकित किया, जिसके चलते इस धारा को हटाना अनिवार्य हो गया था और आगे के रोडमैप का भी जिक्र किया। मुझे याद है कि जब 2014 में उन्होंने इसी अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए लाल किले की प्राचीर से स्वच्छ भारत अभियान की घोषणा की थी, तब शायद ही किसी को अहसास था कि वह आने वाले समय में जन आंदोलन का रूप लेगा, जैसा उसने लिया। इस बार स्वतंत्रता दिवस की 73वीं वर्षगांठ पर उन्होंने जल संरक्षण की आवश्यकता जताते हुए घर-घर पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन की घोषणा की है। इस लोक कल्याणकारी कदम के अलावा प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को अविस्मरणीय बनाने के लिए दो अक्तूबर से प्लास्टिक की विदाई अभियान की भी घोषणा कर दी है। एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व कसौटी पर होगा। क्योंकि जन सामान्य की भागीदारी के बिना यह अभियान सफल नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बहुत कुछ उल्लेखनीय कहा, लेकिन जो महत्वपूर्ण है वह था जो उन्होंने बढ़ती आबादी की चुनौतियों को रेखांकित करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि वे जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के बारे में भी सोचें और भावी कदम उठाएं। उन्होंने जिस तरह सीधे-सपाट शब्दों में कहा कि छोटा परिवार रखना भी अपनी देशभक्ति प्रकट करने का तरीका है और हर किसी को यह सोचना चाहिए कि जो शिशु धरती पर आने वाला है उसकी आवश्यकताएं कैसे पूरी की जाएंगी, उस पर सभी को ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने एक बड़ी घोषणा की कि सेना के तीन अंगों के सुचारू संचालन के लिए एक चीफ ऑफ डिफेंस की नियुक्ति की। यह मांग कारगिल युद्ध के समय से ही उठाई जा रही थी, पर किन्हीं वजहों से टलती जा रही थी। नई चुनौतियों का सामना करने के लिए रणनीतिक स्तर पर फैसला सराहनीय है। अपने दूसरे कार्यकाल में अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को खास तवज्जो देते हुए कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। अगले पांच साल में भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य दोहराते हुए उन्होंने कहा कि 130 करोड़ देशवासी यदि छोटी-छोटी चीजों को लेकर चल पड़ें तो यह लक्ष्य हासिल करना संभव है। इसके लिए उन्होंने मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की बात कही और लकी कल के लिए लोकल कल का मंत्र दिया। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि के क्षेत्र में बेहतरी लाने के साथ पर्यटन क्षेत्र को मजबूत बनाने पर भी जोर दिया। देश में पर्यटन की आपार संभावनाएं हैं। अगर इस पर ठीक से ध्यान दिया जाए तो यह एक नए रोजगार पैदा करने और राजस्व की दृष्टि से बहुत मददगार साबित हो सकता है। करीब 94 मिनट के भाषण में मोदी ने राष्ट्रीय जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने की कोशिश की पर उनका मेन फोकस दो बातों पर केंद्रित थाöसरकार की 75 दिनों की उपलब्धियां और भावी एजेंडा। स्वाभाविक था कि वे तीन तलाक कानून और अनुच्छेद 370 35ए को हटाए जाने की चर्चा करते। विरोधियों को आड़े हाथों लेना नहीं भूले। ऐसा हुआ भी। इससे उन्होंने सरकार की नीति और दिशा को स्पष्ट कर दिया यानि एक देश, एक संविधान। देखना अब यह होगा कि आत्मविश्वास से भरपूर प्रधानमंत्री और उनकी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में अपने संकल्पों को साकार करने में कितनी कामयाब होती है। प्रधानमंत्री ने अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती 75 दिनों में जैसे ऐतिहासिक फैसले लिए हैं उससे यह भरोसा मजबूत होता है कि लाल किले से प्रधानमंत्री ने जो भी घोषणाएं की हैं और भावी भारत का जो खाका खींचा है वैसा वास्तव में हो सकेगा।

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