Thursday, 22 August 2019

बालाकोट के वायुवीरों को वीरता सम्मान

तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से हर साल की तरह स्वतंत्रता दिवस के मौके पर वीरता पुरस्कारों की घोषणा की गई। इस साल बालाकोट एयर स्ट्राइक पुरस्कारों में छाया रहा। पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराने वाले विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को वीर चक्र से नवाजा जाएगा। कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के अत्याधुनिक एफ-16 विमान को अपने मिग-21 बाइसन से मार गिराया था। इस दौरान अभिनंदन का भी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिससे वह पाक सीमा में पहुंच गए थे और तीन दिन बंदी रहे थे। बता दें कि वीर चक्र युद्धकाल में बहादुरी के लिए दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है। वहीं बालाकोट में जैश--मोहम्मद के ठिकानों पर हमला करने वाले वायुसेना के अन्य पायलट विंग कमांडर अमित रंजन, स्क्वाड्रन लीडर राहुल बोसाया, पंकज मुंजडे, बीएन रेड्डी, शशांक सिंह को वायुसेना मैडल से सम्मानित किया जाएगा। बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद कश्मीर में पाक विमानों की घुसपैठ के दौरान फाइटर कंट्रोलर की जिम्मेदारी संभालने वाली स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल को युद्ध सेवा मैडल दिया जाएगा। इस बार बहादुरी पाने वालों में मिंटी अकेली महिला हैं। मिंटी को यह पुरस्कार बालाकोट हवाई हमले के बाद भारत-पाक में हवाई संघर्ष के दौरान दिए गए योगदान के लिए दिया जाएगा। जब पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने उनके एयर बेस से उड़ान भरी और पीओके के रास्ते भारतीय वायु सीमा में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़े, तभी मिंटी अग्रवाल जो उस समय वायुसेना के रडार कंट्रोल स्टेशन पर तैनात थीं, ने श्रीनगर स्थित वायुसेना के एयर बेस को सूचित कर दिया, जहां विंग कमांडर अभिनंदन सहित कई भारतीय लड़ाकू विमान हाई अलर्ट पर थे। फाइटर कंट्रोलर की भूमिका निभाने वाली स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल से सूचना मिलते ही अभिनंदन वर्धमान ने उड़ान भरी और अपनी वायुसीमा पर पहुंच गए थे। इस बीच मिंटी अग्रवाल अभिनंदन को हर पल पाकिस्तानी जेट की स्थिति के बारे में उन्हें अवगत कराती रहीं, जिससे अभिनंदन ऑपरेशन को पूरा करने में सफल रहे। इसके अलावा पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड गाजी रशीद का सफाया करने वाले आरआर राइफल्स के मेजर विभूति शंकर ढोंढियाल समेत उत्तराखंड के सात जांबाजों को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने बहादुरी पुरस्कार का ऐलान किया। मेजर ढोंढियाल (मरणोपरांत) को शौर्य चक्र और उनके मित्र रहे मेजर चित्रेश बिष्ट (मरणोपरांत) को सेना मैडल दिया गया। मेजर ढोंडियाल और मेजर बिष्ट दोनों देहरादून के निवासी थे। साथ-साथ फौज में गए थे और इसी साल फरवरी में शहीद हुए थे। मेजर ढोंढियाल 18 फरवरी को पुलवामा के विंगलिया गांव में आतंकियों के साथ चले 100 घंटे के ऑपरेशन के बाद शहीद हो गए थे। हम इन जांबाजों को सलाम करते हैं। जय हिन्द।

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