Tuesday 20 August 2019

पहले परमाणु नो फर्स्ट यूज की नीति अब हालात पर निर्भर होगी

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद लगातार भड़काऊ भाषण देने वाले और परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की आए दिन धमकी देने पर पाकिस्तान को भारत ने उसी लहजे में जवाब दिया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त करने के पीएम नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत परमाणु हथियार के इस्तेमाल पर संयम के सिद्धांत को बदल सकता है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाöनो फर्स्ट यूज भारत की परमाणु नीति है, लेकिन भविष्य में क्या होगा यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यह बयान सरकार के सामरिक नीति में बड़े बदलाव का संकेत है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पोखरण गए रक्षामंत्री ने वहां से लौटने के बाद ट्वीट कर यह जानकारी दी। 13 मई 1998 को अटल सरकार ने पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। फिर पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण किया। तब भारत ने कहा था कि वह इस शक्ति का इस्तेमाल पहले नहीं करेगा और भारत नो फर्स्ट यूज की नीति पर चलेगा। कश्मीर के मामले में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में पूरी तरह अलग-थलग हुए पाकिस्तान की इमरान खान की सरकार को व पाकिस्तानी सेना को अब यह सच्चाई समझने में देर नहीं करनी चाहिए कि परमाणु हथियारों के बार-बार सहारे जो ब्लैकमेलिंग की नीति उसने अपना रखी है अब उसकी कोई गुंजाइंश नहीं रह गई है और वह बार-बार युद्ध का जो डर दिखाते रहते हैं वह उनके खोखलेपन को ही उजागर करता है। गृहमंत्री के ताजा बयान से यह भी जाहिर होता है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में देश मजबूत रहेगा ही नहीं, दिखेगा भी। जिस मजबूती से सर्जिकल स्ट्राइक की गई। जिस संकल्प के साथ अनुच्छेद 370 को हटाया गया उसी दृढ़ता से देश की सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे। इसके लिए जरूरत हुई तो परंपरा से हटकर भी फैसले लिए जाएंगे। दबे लफ्जों में भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह पाकिस्तान द्वारा बम गिराने की प्रतीक्षा नहीं करेगा। अगर उसे लगा कि पाकिस्तान परमाणु हथियार चलाने वाला है तो भारत उससे पहले ही जवाबी कार्रवाई कर देगा। ध्यान रहे कि 2014 के भाजपा के घोषणा पत्र में वादा भी किया गया था कि परमाणु हथियारों के उपयोग को लेकर नीति का अध्ययन किया जाएगा और फिर उसमें बदलाव किया जाएगा। हालांकि 2019 के घोषणा पत्र में इसका जिक्र हटा लिया गया था। देश के प्रधानमंत्री के पास परमाणु हमले का अंतिम निर्णय होता है। मगर वह भी अकेले यह फैसला नहीं कर सकते। उनके पास स्मार्ट कोड होता है मगर परमाणु बम को दागने के लिए असली बटन परमाणु कमांड की सबसे नीची टीम के पास होता है, जो सही चैनल से मिले निर्देश पर ही काम करती है। प्रधानमंत्री इनसे लेकर ही अंतिम निर्णय ले सकते हैं। पहला, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी। दूसरा, राष्ट्रीय सलाहकार। तीसरा, चेयरमैन ऑफ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी से। पाकिस्तानी शासन और सेना के लिए यह समझ लेना आवश्यक है कि अगर परिस्थितियों ने भारत को इस संकल्प (नो फर्स्ट यूज) से बाहर निकलने के लिए विवश किया गया तो वह ऐसा करने में हिचकिचाएगा नहीं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अब तो खुद स्वीकार कर लिया है कि बालाकोट में जो हुआ वह पाकिस्तान की देन है। उन्होंने पुलवामा आतंकी हमले के बाद सैन्य कार्रवाई करके आगे भी हमले करने के स्पष्ट संकेत दिए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान परमाणु हमला करने का सोचें भी नहीं। अगर अपनी बौखलाहट में उसने ऐसा करने की ठान ही ली तो भारत उनके बम का इंतजार अब नहीं करेगा।

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