Saturday 10 August 2019

बौखलाहट में पाकिस्तान ने उठाए हताशा के कदम

इस बात का पहले से ही अंदाजा था कि कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को भारत द्वारा हटाने पर पाकिस्तान की तरफ से प्रतिक्रिया जरूर होगी, रिएक्शन जरूर होगा और वैसा ही हुआ। पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया और द्विपक्षीय व्यापार को स्थगित कर दिया, समझौता एक्सप्रेस को सीमा पर ही खड़ा कर दिया और कहा कि अपना ड्राइवर भेजो जो ट्रेन को दिल्ली ले जाए। भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को वापस जाने को कह दिया और कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने का निर्णय लिया। इसके अलावा भारत के स्वतंत्रता दिवस को काले दिन के रूप में मनाने का भी फैसला किया है। अलबत्ता उसने साफ किया है कि वह अपना हवाई क्षेत्र भारतीय उड़ानों के लिए बंद नहीं कर रहा है। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान को न तो जमीनी हकीकत का अहसास है और न ही अतीत से उसने कुछ सीखा है। पाकिस्तान के हुक्मरान अपने आंतरिक संकटों से उबरने के लिए, अपनी अवाम का ध्यान बांटने के लिए जब भी मौका मिलता है, कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश करता है, यह उसका पुराना राग है। पाकिस्तान जानता है कि उसके इन कदमों पर भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उसके द्विपक्षीय व्यापार खत्म कर देने से भारत का नहीं, ज्यादा नुकसान उसी का होने वाला है। जब भारत ने कुछ दिन पहले पाकिस्तान का तरजीही राष्ट्र का दर्जा खत्म कर दिया था तो वह बहुत हताश हुआ था। इसकी प्रतिक्रिया में उसने भी भारत से भेजी जाने वाली करमुक्त वस्तुओं पर भारी टैक्स थोप दिया था। लेकिन इतने भर से उसको संतोष नहीं हुआ तो उसने तरजीही राष्ट्र का दर्जा खत्म करने के फैसले को अंतर्राष्ट्रीय अदालत में चुनौती देने की भी धमकी दी थी। अब उसी ने द्विपक्षीय व्यापार को खत्म करने का फैसला किया है। वास्तव में भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार इतना है ही नहीं कि उसे बंद करने से भारत के हितों को चोट पहुंचे। यही नहीं, पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बल के काफिले पर हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से तरजीही देश का दर्जा हटाकर 200 वस्तुओं पर शुल्क भी बढ़ा दिया था। पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय जैसे मंचों पर ले जाने की धमकी भी दी है, लेकिन वह भूल रहा है कि भारत ने अपने संविधान की व्यवस्था में ही परिवर्तन किया है, जिससे पाकिस्तान समेत किसी भी अन्य देश का कोई लेनादेना नहीं है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में साफ कहा है कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा विकास के नए अवसर पैदा करने के लिए खत्म किया गया है और यह भारत का आंतरिक मामला है। पाकिस्तान अपनी जवाबी कार्रवाई के तहत दो मोर्चों पर काम करने का प्रयास करेगा। पहला, राजनयिक माध्यमों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ शोर मचाकर भारत की छवि को खराब करना और दूसरा, भारत में कश्मीरी नागरिकों के माध्यम से आतंकवाद को बढ़ावा देना। अपने पहले प्रयास में वह अमेरिका से उम्मीद करेगा कि वह उसकी अफगानिस्तान से वापसी को लेकर उस पर दबाव डाले कि वह कश्मीर में मध्यस्थता के लिए भारत को मजबूर करे। लेकिन अमेरिका ने पहले ही इसे भारत का आंतरिक मामला बताकर पाकिस्तान को झटका दिया है। यही हाल संयुक्त राष्ट्र में भी होगा। संयुक्त राष्ट्र पाकिस्तान के पक्ष को कितनी गंभीरता से लेगा, दावा नहीं किया जा सकता। कश्मीर को मिली स्वायत्तता संविधान के एक अस्थायी प्रावधान के तहत थी। उसे समाप्त कर भारत ने उसे संघीय ढांचे में गूंथने का फैसला जो किया है इस पर संयुक्त राष्ट्र को भी क्या आपत्ति हो सकती है? पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने जो एकतरफा कदम उठाया है उससे उसकी बौखलाहट का पता चलता है। बहरहाल इसके बावजूद आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के आज जैसे हालात हैं, उससे भारत को सतर्प रहने की जरूरत है ताकि वह कोई ऐसा-वैसा दुस्साहस न करे।

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