कश्मीर
घाटी में हालात तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं। वहां लोगों के रोजमर्रा के कामकाज 11 दिन बाद फिर शुरू हो गए हैं। इसके
मद्देनजर सरकार द्वारा संचार व्यवस्था पर लगी पाबंदी हटाने और पूरे राज्य के स्कूल
सोमवार से खोलने का ऐलान स्वागतयोग्य है। गृह मंत्रालय के मुताबिक हालांकि आतंकवादी
गतिविधियों की आशंका बनी हुई है। इस आशय के खुफिया इनपुट मिल रहे हैं। पाकिस्तान आए
दिन भड़काने की पूरी कोशिश कर रहा है। आतंकी संगठन सीमापार से कश्मीरी युवाओं को उकसाने
में लगा हुआ है पर हमारे सैन्य बल पूरी तरह से सतर्प हैं। वह किसी भी प्रकार का जोखिम
उठाने को तैयार नहीं हैं। पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष
राज्य के दर्जे को निरस्त कर दिया गया था और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट
दिया गया था। उसके बाद तनाव के हालात तेजी से बदल रहे हैं। शुक्रवार को कई स्थानों
पर टेलीफोन और मोबाइल फोन की सेवा बहाल कर दी गई है। सोमवार को स्कूल खुल गए जिससे
वहां की जनता को काफी राहत मिली है और जल्द ही सड़कों पर यात्री वाहनों की पाबंदियां
भी हटा दी जाएगी। जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव बीआर सुब्रह्मण्यम
के मुताबिक प्रदेश में स्थिति पूरी तरह से सामान्य है, तब से
न किसी की जान गई है और न ही कोई घायल हुआ है। उन्होंने बताया कि अगले कुछ दिनों में
पाबंदियों में व्यवस्थित तरीके से ढील दी जाएगी। गत शुक्रवार की नमाज के बाद हिंसा
की कोई वारदात न होना अच्छा संकेत है। जम्मू-कश्मीर के
22 में से 12 जिलों में कामकाज सामान्य ढंग से
चल रहा है और महज पांच जिलों में रात की पाबंदियां-भर हैं। आने
वाले दिनों में और छूट बढ़ाई जाएगी। जम्मू-कश्मीर में हालात तेजी
से सामान्य हो रहे हैं। इसका एक सबूत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का
11 दिन बाद शुक्रवार को कश्मीर से लौट आने से भी मिलता है। कश्मीर प्रवास
के दौरान उन्होंने आतंकियों का गढ़ कहलाने वाले दक्षिण कश्मीर के शोपियां का भी दौरा
किया। उन्होंने स्थानीय लोगों के अलावा सुरक्षा बलों को मिलकर उनका मनोबल बढ़ाया। वह
अनंतनाग, कुलगाम और पोम्पोर भी गए। इसके अलावा उन्होंने उत्तरी
कश्मीर के बारामूला का भी दौरा किया। संबंधित अधिकारियों की मानें तो डोभाल ने वादी
में कानून-व्यवस्था की स्थिति को यकीनी बनाए रखने की कवायद के
तहत सभी सुरक्षा एजेंसियों को सख्त हिदायत दे रखी है कि वह किसी सूरत में अवाम जनहानि
से बचें। डोभाल ने कश्मीर में तैनात पुलिस, सीआरपीएफ,
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकों में भाग लेने के अलावा उनकी
संयुक्त बैठकों को भी संबोधित किया। राज्य के भीतरी इलाको में आतंकरोधी अभियानों,
कानून-व्यवस्था से जुड़ी कवायद और एलओसी पर घुसपैठ
के मुद्दों पर संबंधित सुरक्षा एजेंसियां और खुफिया एजेंसियों में समन्वय-संवाद-संयुक्त कार्रवाई की कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया।
यह प्रसन्नता की बात है कि कश्मीर घाटी में स्थिति सामान्य होती जा रही है। हालांकि
ढील देने के पहले ही दिन में पत्थरबाजी शुरू हो गई।
-अनिल नरेन्द्र
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