Wednesday, 24 June 2020
15 जून रात झड़पों की असली कहानी, एक नहीं तीन बार हुई झड़पें
गलवान घाटी में 15 जून की रात को हुई खूनी झड़प पर नवभारत टाइम्स की पूनम पांडे की एक सनसनीखेज रिपोर्ट छपी है। रिपोर्ट के अनुसार 15 जून की झड़प लगातार छह-सात घंटे नहीं चली बल्कि इस दौरान तीन झड़पें हुईं। पहली झड़प में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों की ज्यादातर हाथापाई हुई। दूसरी झड़प में चीनी सैनिकों ने कंटीले रॉड का भी इस्तेमाल किया और तीसरी झड़प में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार जाकर अपने शहीद सीओ और जवानों का बदला लिया। झड़प में दोनों तरफ के सैनिक नीचे नदी में गिरे और चीन का एक कमांडिंग ऑफिसर सहित कुछ सैनिक भी भारतीय सेना के कब्जे में थे। बता दें कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री और भूतपूर्व थलसेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने रविवार को एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि 15 जून की हिंसक झड़प में हमारे 20 सैनिक शहीद हुए तो चीन के भी कम से कम दोगुना सैनिकों की मौत हुई। भारतीय फौज द्वारा बंधक बनाए गए चीनी कमांडर व सैनिकों को गुरुवार शाम को तब छोड़ा गया जब चीन ने अपने कब्जे में लिए 10 भारतीय सैनिकों को छोड़ा। यानि एक्सचेंज ऑफ प्रिजनर्स हुआ। सूत्रों के मुताबिक 15 जून की शाम को करीब सात बजे कर्नल संतोष बाबू और उनके साथ 35-40 सैनिक गलवान घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट-14 पर पहुंचे तो देखा कि चीनी सैनिकों का एक टेंट वहां पर है, जबकि बातचीत के हिसाब से उसे हटाया जाना चाहिए था। जब टेंट हटाने को कहा गया तो चीनी सैनिकों ने हमला कर दिया। इसके बाद हाथापाई हुई और कुछ पत्थरबाजी भी। इस पहली झड़प में भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों पर भारी पड़े। कुछ देर बाद यह झड़प शांत हुई। इसके बाद भारतीय सेना की दूसरी टीम भी वहां बुला ली गई क्योंकि इसका अंदेशा था कि चीनी सैनिक और भी कुछ हरकत कर सकते हैं। इस बीच चीन के सैनिकों की भी एक बड़ी टीम आ गई। फिर शुरू हुई दूसरी खूनी झड़प। इस झड़प में सीओ कर्नल संतोष कुमार बाबू सहित कुछ जवान नीचे नदी में जा गिरे। चीन की तरफ से भी काफी संख्या में सैनिक बुरी तरह घायल हुए और नदी में गिरे। यह दूसरी झड़प जब रुकी तो भारत और चीन दोनों ने अपने सैनिकों को ढूंढना शुरू किया। कुछ सैनिक जख्मी थे जिन्हें निकाला गया। सीओ संतोष बाबू की बॉडी देखकर पलटन बौखला गई। अब यह बस झड़प नहीं थी बल्कि पलटन के लिए नमक और निशान का सवाल था। सूत्रों के मुताबिक अपने सीओ के शहीद होने की खबर सुनकर पलटन ने बिना वक्त गंवाए चीनी सैनिकों से बदला लेने की ठानी और फिर 16 बिहार रेजिमेंट के जवान कंपनी कमांडर के नेतृत्व में निकल पड़े। उन्होंने चीनी सैनिकों से उनके इलाके में जाकर ही बदला पूरा किया। 16 बिहार रेजिमेंट के सैनिकों और 3-फील्ड रेजिमेंट के गनर ने नियंत्रण रेखा पार की और चीनी सैनिकों पर टूट पड़े। भारतीय सैनिकों की चीनी सैनिकों पर यह स्ट्राइक आधी रात के बाद हुई। इसमें भी दोनों तरफ के कई सैनिक नदी में गिरे। भारतीय सेना के 10 सैनिक जहां चीन के कब्जे में रहे वहीं चीनी सेना के एक कमांडिंग ऑफिसर सहित कुछ जवान भी भारतीय सेना के कब्जे में थे जिन्हें गुरुवार शाम को छोड़ा गया। हालांकि सेना के एक अधिकारी ने कहा कि यह एक दूसरे के सैनिकों को बंदी बनाए जाने वाला मामला नहीं थी। दोनों के कुछ सैनिक एक दूसरे के इलाके में थे, कुछ तो उसी रात वापस भेज दिए गए जबकि कुछ को बाद में वापस भेजा गया। इस दौरान उन्हें मेडिकल हेल्प भी दी गई। केंद्र सरकार मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने भी कहा है कि चीन के सैनिक भी हमारे पास थे लेकिन यह बंदी बनाने जैसी स्थिति नहीं था। दोनों देशों ने एक दूसरे के सैनिक लौटाए हैं। उन्होंने दावा किया कि चीन के दोगुना सैनिक मारे गए थे। उन्होंने कहा कि 1962 में भी चीन ने अपने मरने वाले सैनिकों की संख्या नहीं बताई थी। बेशक चीन सच्चाई छिपाता रहे पर सारी दुनिया जानती है कि इस बार भारतीय सेना ने चीन के दांत खट्टे करा दिए हैं और ईंट का जवाब पत्थर से दिया है। 2020 का भारत 1962 का भारत नहीं है। जय जवान, जय हिन्द।
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