Wednesday 17 June 2020

शेष भारत के साथ ही राजधानी दिल्ली में बेतहाशा बढ़ते जा रहे कोरोना संक्रमण के मामलों ने जहां एक तरफ दिल्ली सरकार की तैयारियों और स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। वहीं दूसरी तरफ अग्रपंक्ति के कोरोना योद्धाओं के प्रति सरकार द्वारा दिखाई जा रही उदासीनता से स्थिति के और भयावह होने की संभावना बढ़ने लगी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल बड़ा दिल दिखाते हुए आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से ऊपर उठकर कोरोना से लड़ने की अपील तो कर रहे हैं लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले बाड़ा हिन्दू राव अस्पताल के डॉक्टरों ने तीन महीने से वेतन न मिलने पर सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी देकर दिल्ली सरकार की दरियादिली की सारी पोल खोल करके रख दी है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों में तैनात कोरोना वॉरियर्स (डॉक्टर्स) संकट में हैं। कई माह से वेतन नहीं मिलने से परेशान उत्तरी नगर निगम के कस्तूरबा गांधी के डॉक्टरों ने निगम प्रशासन के विरुद्ध लामबंद होकर विरोध शुरू कर दिया है। वेतन नहीं मिलने से नाराज डॉक्टरों ने निगम प्रशासन को सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी दी है। डॉक्टरों में इस बात की भी नाराजगी है कि आला अधिकारी निगम के आर्थिक हालात सुधारने के लिए कोई कोशिश भी नहीं कर रहे हैं। कस्तूरबा हॉस्पिटल की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एडिशनल मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट को पत्र लिखकर कहा है कि डॉक्टर्स को तुरन्त सेलरी दिलाई जाए। दरअसल धन की कमी से जूझ रहा उत्तरी नगर निगम पिछले दो माह से अपने 10 हजार कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं कर सका है। नगर निगम का दावा है कि दिल्ली सरकार ने पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक निगमों के लिए आवंटित की जाने वाली राशि का भुगतान अब तक नहीं किया है जिसके चलते वह अपने कर्मचारियों का वेतन का भुगतान नहीं कर सकी है। उत्तरी नगर निगम का वेतन मद पर खर्च लगभग 350 करोड़ रुपए के आसपास प्रतिमाह आता है। इस हिसाब से देखा जाए तो तीन माह का करीब 1000 करोड़ रुपए वेतन मद के लिए चाहिए। उत्तरी नगर निगम का लगभग दिल्ली सरकार से 1200 करोड़ रुपए का बकाया है। यदि सरकार वित्त आयोग की अनुशंसा के मुताबिक ही अनुदान की पूरी राशि ही नगर निगम को दे देती है तो वह तत्कालिक तौर पर अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान आसानी से कर सकता है। वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तरी नगर निगम को कस्तूरबा गांधी और हिन्दू राव समेत अपने छह अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों को मार्च का वेतन 19 जून तक देने का शुक्रवार को निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने दिल्ली सरकार को नगर निगम की निधि जारी करने के लिए भी कहा है ताकि वह अपने अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों का अप्रैल का वेतन 24 जून तक दे सकें। यह जनहित याचिका उच्च न्यायालय ने खुद दायर की है।

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