Saturday, 20 June 2020

ड्रैगन ने सुनियोजित साजिश के तहत हमला किया

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प चीन की सुनियोजित साजिश थी। 15 जून को चीनी सैनिक जब भारतीय सैनिकों को धोखे से घेरकर क्रूरता की हदें पार कर रहे थे, तभी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जन्मदिन का जश्न चल रहा था। भारतीय सेना के सूत्र पीएलए की इस करतूत को जिनपिंग को जन्मदिन पर तोहफा देने जैसा बता रहे हैं। शहीदों के शरीरों पर जख्म इसके सुबूत हैं। 20 शहीदों में से 16 के शरीर पर डंडे-पत्थर जैसे हथियारों से बेहद गहरे जख्म हैं। चार सैनिकों की मौत चोटी से गिरने से हुई। यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें धक्का दिया गया या धक्कामुक्की के दौरान वह पगडंडी से गिरे। करीब 15 हजार फुट की ऊंचाई पर हिंसा ऐसी जगह पर हुई, जहां बहुत कम लोग जमा हो सकते हैं। जिस सीमा चौकी पर एतराज जताने कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष गए थे, वहां से बेहद तंग रास्ता नीचे जाता है। पहले चीनी इस चौकी से तंबू वापस ले जाते दिखे थे, लेकिन कर्नल की टुकड़ी पहुंचने पर पीएलए ने पैंतरा बदल लिया और उन्हें घेरकर मारना शुरू कर दिया। सूत्रों के अनुसार मंगलवार को हेलीकॉप्टरों से चीनियों ने घायल सैनिकों को निकाला यहां से 46 स्ट्रैचर ले जाते देखा गया। यह साफ नहीं है कि कितने उनमें घायल थे और कितनी लाशें थीं। इस खूनी झड़प में हुए नुकसान पर चीन चुप है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह एलएसी पर भविष्य में ऐसी झड़प नहीं चाहता। इस झड़प के बाद चीनी समाचार पत्र ने मंगलवार को चीनी सैनिकों के नुकसान होने की बात स्वीकारी थी। इस समाचार पत्र से जुड़े रिपोर्टर ने 27 सैनिकों के हताहत होने संबंधी ट्वीट किया था। मगर बुधवार के संस्करण में ग्लोबल टाइम्स ने इसका उल्लेख नहीं किया। हालांकि सूत्र बताते हैं कि इस झड़प में चीन को भी भारी नुकसान पहुंचा। चीनी सेना के कमांडिंग ऑफिसर सहित 40 जवान मारे गए। एलएसी की दूसरी तरफ बड़ी संख्या में एम्बुलेंस पहुंचने की बात भी सामने आई है, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 15 जून की खूनी हरकत पर कहाöदोनों सेनाओं में जहां झड़प हुई, वह इलाका शुरू से चीनी नियंत्रण में है। भारतीय सेना एलएसी लांघकर वहां पहुंची। लेकिन चीन का यह झूठ 16 जून की सैटेलाइट तस्वीर से सामने आ गया है। 16 जून की शाम को इस तस्वीर में चीनी सैनिकों के बैरक भारतीय इलाके में दिख रहे हैं। यानि घटना के अगले दिन भी चीनी सेना पीछे नहीं हटी है। सोमवार की हिंसक झड़प दोनों देशों के बीच 1962 में हुए युद्ध की खूनी टकराव की याद दिलाती है। तब भी इसी तरह दोनों देशों की सेना के बीच खूनी झड़प हुई थी। तब भारत के 80 व चीन के 300 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। सोमवार को जिस गलवान घाटी के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई, वह दुनिया के सबसे मुश्किल युद्ध क्षेत्रों में से एक है। झड़प की जगह धरती के सतह से 14 हजार फुट ऊपर है। यहां पर तापमान माइनस में होता है।

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