Thursday, 25 June 2020

भारत-चीन विवाद में रूस किसके साथ होगा?

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय रूस यात्रा पर हैं। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर चार महीने तक यात्रा पर लगे प्रतिबंध के बाद किसी वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री की यह पहली विदेश यात्रा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की यह रूस यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब लद्दाख में चीन के साथ भारत का गतिरोध बरकरार है। सोमवार को मॉस्को रवाना होने से पहले राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर लिखा था कि तीन दिवसीय यात्रा पर मॉस्को रवाना हो रहा हूं। यह यात्रा भारत-रूस रक्षा और सामरिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए बातचीत का अवसर देगी। रक्षामंत्री के इस दौरे को भारत की सैन्य क्षमता बढ़ाने की एक कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। कई अखबारों ने लिखा है कि लद्दाख एलएसी पर चीन के साथ जारी कशीदगी के दरम्यान भारत के रक्षामंत्री अपने हथियारों को पूरी तरह से कारगर बनाने और मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए रूस गए हैं ताकि चीन को हड़काया जा सके। मॉस्को में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार विनय शुक्ल ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि भारत बहुत लंबे समय से कई महत्वपूर्ण रक्षा सौदों को टालता आ रहा है। कभी कहा जाता है कि पैसे नहीं हैं, कभी कोई अन्य कारण बता दिया जाता है। जैसे मल्टी-यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों के मामले में हुआ। रूस ने कहा था कि 60 हेलीकॉप्टर तैयार हैं ले लीजिए और 140 हेलीकॉप्टर हम इंडिया में बना देंगे। लेकिन भारतीय ब्यूरोक्रेसी सौदेबाजी में लग गए, कहने लगे कि तैयार हेलीकॉप्टर 40 ही लेंगे, फिर कीमत पर चर्चा चलती रही और 2014 से अब तक इन पर निर्णय नहीं हो पाया। राजनाथ सिंह के रूस रवाना होने के बाद से ही एस-400 डिफेंस सिस्टम की चर्चा हो रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि रूस ने इस डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी डेट आगे खिसका दी है जो भारत के लिए चिन्ता का विषय है। रूस में बनने वाले एस-400 ः लांग रेंज डिफेंस टू एयर मिसाइल सिस्टम को भारत सरकार खरीदना चाहती है। यह मिसाइल जमीन से हवा में मार कर सकती है। एस-400 को दुनिया का सबसे प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। इसमें कई खूबियां हैं। जैसे एस-400 एक साथ 36 जगहों पर निशाना लगा सकता है। चीन के पास यह डिफेंस सिस्टम पहले से है जो उन्हें रूस से ही प्राप्त हुआ है। पर भारत को यह डिफेंस सिस्टम मिलने में देरी क्यों? इसे समझाते हुए विनय शुक्ल ने कहाöअमेरिका ने धमकी दी थी कि अगर भारत ने रूस से यह सिस्टम खरीदा तो वह भारत पर प्रतिबंध लगाएगा। इससे भारतीय बैंक डर गए, खासकर वो बैंक जिनका पैसा अमेरिका से होने वाले व्यापार में लगा है। आज तक भारत और रूस का संबंध ऐतिहासिक रहा है और भारत का अगर किसी देश से झगड़ा हुआ तो रूस भारत की मदद के लिए आगे आया है। पर चीन के मामले में क्या रवैया अख्तियार करता है यह राजनाथ सिंह के वर्तमान दौरे पर स्पष्ट हो सकता है। सोशल मीडिया पर एक तबका विश्वास करता है कि भारत के कहने पर रूस चीन को धमका सकता है और उसे नियंत्रित कर सकता है। कुछ अन्य कहते हैं कि रूस को खड़े होने के लिए चीन की सहायता की बड़ी सख्त जरूरत है। रूस की आर्थिक हालत खराब है जिसमें चीन से उसे मदद चाहिए। ऐसे में भारत को खुली आंखों से यह देखना चाहिए कि रूस के लिए भारत भले ही एक महत्वपूर्ण साथी हो पर वो भारत का एकतरफा समर्थन करने की स्थिति में नहीं है।

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