Sunday 21 June 2020

बिहार रेजिमेंट के जांबाजों पर देश को गर्व है

चीन की ड्रैगन सेना के साथ खूनी संघर्ष में बिहार रेजिमेंट के जांबाजों ने देश का मस्तक गर्व से ऊंचा कर दिया। लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात घुसी चीनी सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) पीएलए को सीमा से खदेड़ने के साथ ही भारतीय सेना की बिहार रेजिमेंट का उनसे टकराव हुआ। इस दौरान कर्नल बी. संतोष बाबू एवं दो जवान कुंदन ओझा और पलानी ने अपनी शहादत दी। कर्नल संतोष 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे, इस वक्त 16 बिहार रेजिमेंट ही एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तैनात है और चीनी सैनिकों के सामने डटी है। 1941 में बनी इस रेजिमेंट ने इससे पहले भी चीन के साथ युद्ध में अपनी जांबाजी दिखाई थी। कारगिल के युद्ध में सबसे पहले मोर्चा पर वही रेजिमेंट थी। कर्नल बी. संतोष भले बिहार के रहने वाले नहीं थे, लेकिन इस रेजिमेंट को अपनी मां की तरह प्यार करते थे। कर्नल बी. संतोष बाबू पिछले एक साल से भी ज्यादा वक्त से चीन की सीमा पर तैनात थे। वह तेलंगाना के सूची पेट के रहने वाले थे। हैदराबाद के सैनिक स्कूल में पढ़े। संतोष के पिता एक शिक्षक हैं। गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए कर्नल बी. संतोष बाबू सोमवार को चीनी पक्ष से हुई बातचीत का नेतृत्व कर रहे थे, लेकिन सोमवार को देर रात हुई हिंसा में वह शहीद हो गए। इससे पूर्व भी वह तनाव कम करने को लेकर हुई कई बैठकों का नेतृत्व कर चुके थे। सेना से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सोमवार की रात जब चीनी सेना तय कार्यक्रम के अनुसार पीछे नहीं हटी तो कर्नल बाबू स्वयं उनसे बात करने गए थे। इसी दौरान चीनी पक्ष से उनके साथ हाथापाई की गई, जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी जवाब दिया। इससे दोनों तरफ से हिंसा शुरू हो गई। पत्थर और लाठी-डंडे चले। सेना ने सोमवार रात गलवान घाटी में चीनी सेना से खूनी संघर्ष में शहीद हुए जवानों की सूची बुधवार को जारी की। इनमें बिहार रेजिमेंट के सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए हैं। बिहार रेजिमेंट के 15 जवान हुए हैं शहीद।

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