Saturday, 20 June 2020

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें और आम आदमी

देश में सोमवार को लगातार नौवें दिन पेट्रोल-डीजल की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी की गई। सोमवार को पेट्रोल का दाम 48 पैसे और डीजल का दाम 23 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दिया गया। आखिर क्या वजह है कि कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद देश में नौ दिनों में पेट्रोल का दाम 75.78 रुपए से बढ़कर 76.26 रुपए प्रति लीटर और डीजल का दाम 74.03 रुपए से बढ़कर 74.26 रुपए प्रति लीटर महंगा हो चुका है। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे हाल के दिनों में कच्चे तेल पर केंद्र द्वारा बढ़ाया गया उत्पाद शुल्क और राज्यों द्वारा वैट में की गई वृद्धि है। अगर तेल पर लगने वाले टैक्स और वैट को देखें तो भारत में यह करीब 69 प्रतिशत लगता है। वहीं अमेरिका में 19 प्रतिशत, जापान में 47 प्रतिशत, ब्रिटेन में 62 प्रतिशत, जर्मनी में 65 प्रतिशत टैक्स और वैट लगता है। इस लिहाज से भारत दुनिया में सबसे ज्यादा इस मद पर टैक्स लगाने वाला देश है। केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क बढ़ाने के बाद कई राज्यों ने वैट की दर में इजाफा कर अपना खजाना भरना शुरू कर दिया। इसके बाद अनलॉक-1 में मांग बढ़ने पर तेल कंपनियों ने दाम बढ़ाना शुरू कर दिया। और यह सब कुछ आम आदमी की मांग पर हो रहा है। एक तरफ बेरोजगारी, भुखमरी और दूसरी तरफ बढ़ती ईंधन की कीमतें। ईंधन की कीमतें बढ़ने से चौतरफा कीमतों में वृद्धि होती है पर उसकी किसे फिक्र? सरकारों को तो बस अपना खजाना बढ़ाना है। बेशक पिछले कुछ दिनों से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हों पर उससे पहले तो कच्चे तेल की कीमत सबसे निचले स्तर पर आ गई थी पर तब भी सरकारों ने कीमतें नहीं घटाईं। गरीब और मध्यम वर्ग तो पहले से ही पिस रहा है, रही-सही कसर पेट्रोल-डीजल की कीमतो में वृद्धि ने निकाल दी। -अनिल नरेन्द्र

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