Tuesday, 23 June 2020
केजरी के तीखे तेवर देख एलजी ने वापस लिया फैसला
दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों के पांच दिन क्वारंटीन के फैसले को लेकर उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के बीच चल रही खींचतान शनिवार शाम को खत्म हो गई। मुख्यमंत्री केजरीवाल के विरोध के बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कोरोना संक्रमित मरीजों के पांच दिन क्वारंटीन के फैसले को 24 घंटे के अंदर वापस ले लिया। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कोविड-19 के मरीजों को पांच दिन तक संस्थागत क्वारंटीन में रखने का आदेश दिया था लेकिन उपराज्यपाल के आदेश का केजरीवाल सरकार ने जमकर विरोध कर दिया और इसको लेकर हाई कोर्ट भी पहुंच गई। केजरीवाल के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें पांच दिन संस्थागत क्वारंटीन से गुजरने के लिए कोविड-19 पॉजिटिव मामलों को अनिवार्य किया गया है। उधर उपराज्यपाल के फैसले वापस लेने के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट पर लिखा कि होम आइसोलेशन को लेकर एलजी साहब की जो भी आशंकाएं थीं एसडीएम की बैठक में सुलझा ली गई हैं और अब होम आइसोलेशन की व्यवस्था जारी रहेगी। हम इसके लिए एलजी साहब का आभार व्यक्त करते हैं। हमारे मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में हम दिल्ली वालों को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री का कहना था कि एलजी के आदेश से अस्पतालों का बोझ बढ़ेगा और लोग जांच कराने के लिए आगे नहीं आएंगे। किसी विषय पर असहमति की स्थिति में मिलकर मंथन करके सही निर्णय लिया जाना चाहिए। डीडीएमए की बैठक में इसकी झलक भी दिखी। किसी विषय पर विवाद और अविश्वास का खामियाजा दिल्लीवासियों को ही भुगतना पड़ेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की आशंका भी निराधार नहीं है। यह सही है कि घनी आबादी वाले इलाके और छोटे घरों में होम क्वारंटीन आसान नहीं है। इससे परिवार व आसपास के लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। दिल्ली सरकार का भी यह तर्क वाजिब है कि होम क्वारंटीन की व्यवस्था खत्म करने से गंभीर रूप से बीमार लोगों के इलाज में दिक्कत होगी। अब डीडीएमए के फैसले के बाद इसे लेकर विवाद खत्म हो गया है। सिर्फ गंभीर रूप से बीमार या घर में क्वारंटीन की व्यवस्था संभव नहीं होने वाले मरीजों को ही अस्पताल या सरकारी क्वारंटीन सेंटर में जाना पड़ेगा।
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