Tuesday, 23 June 2020
एक साथ तीन पड़ोसियों ने खोला मोर्चा
देश के इतिहास में संभवत यह पहला मौका है जब एक साथ तीन पड़ोसी देशों के साथ सैन्य तनाव चल रहा है। पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर लगातार स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और तीन महीनों से अकारण ही पाकिस्तान की तरफ से किसी न किसी कश्मीर के सैक्टर में गोलीबारी की जा रही है। चीन के साथ लद्दाख से लेकर सिक्किम तक की लंबी सीमा पर कई सैक्टर पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। लिपुलेख, कालापानी के साथ सीमा विवाद न सिर्फ चरम पर पहुंच गया है बल्कि पिछले शुक्रवार को नेपाली सैन्य बल ने सारी परंपराओं को दरकिनार करते हुए सीतामढ़ी सीमा पर भारतीयों पर गोलीबारी कर दी जिसमें एक भारतीय की मौत हो गई और दो भारतीय गंभीर रूप से घायल हो गए। इस विवाद के बीच बुधवार को नेपाल के आर्मी चीफ उस कालापानी इलाके में पहुंचे जिसे भारत और नेपाल दोनों अपना मानते हैं। नेपल के आर्मी चीफ पूर्ण चन्द थापा कालापानी से 13 किलोमीटर दूर पूर्व की तरफ फांगइन तक गए। उनके साथ वहां की बॉर्डर सिक्यूरिटी देख रहे सशस्त्र प्रहरी बल के प्रमुख भी थे। नेपाल सशस्त्र प्रहरी बल ने फांगइन में 13 मई को ही नई पोस्ट बनाई है। जानकारों की मानें तो भारतीय कूटनीति की कड़ी परीक्षा का समय है जब उसे अपने तीन पड़ोसियों के साथ-साथ अलग-अलग स्तर पर विमर्श करना पड़ रहा है। भारतीय कूटनीतिकारों के मुताबिक चीन के साथ खूनी संघर्ष होना कई मायनों में चिन्ताजनक है। सबसे पहली बात तो यह है कि भारतीय सेना को अब पाकिस्तान से लगे पूर्वी पाकिस्तान की तरफ अब चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भी ज्यादा सतर्क रहना होगा। गलवान क्षेत्र में अंतिम बार खूनी झड़प 1975 में हुई थी जब चीनी सैन्य बल ने छिपकर भारतीय सैन्य बल पर हमला किया था। तब असम राइफल्स के चार जवान शहीद हुए थे। दूसरी तरफ पूर्वोत्तर राज्यों के साझा चीन के साथ लगी सीमा पर वर्ष 1967 के बाद से कोई खूनी झड़प नहीं हुई है। चीन जिस तरह से समूचे पश्चिम सैक्टर में आक्रामक होता जा रहा है उसे देखते हुए भारतीय सेना के रणनीतिकारों को अब ज्यादा सक्रिय प्लानिंग करनी होगी। एक साथ तीन मोर्चों पर भारतीय सेना का लड़ना आसान नहीं है।
-अनिल नरेन्द्र
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