Thursday, 1 August 2024

नीतीश नदारद, ममता नाराज


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक छोड़कर बाहर निकल आईं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की एक मात्र प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें भाषण के दौरान बीच में ही रोक दिया गया। हालांकि सरकार ने उनके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बनर्जी को बोलने के लिए दिया गया समय समाप्त हो गया था। दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बैठक में नहीं पहुंचे। उनकी जगह प्रदेश का प्रतिनिधित्व वहां के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने किया। कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों वाले राज्यों ने इस बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया था। लेकिन शुक्रवार को ममता बनर्जी ने कहा था कि बैठक का बहिष्कार करने के सवाल पर इंडिया गठबंधन में शामिल दलों में कोई समन्वय नहीं है, इसलिए वो बैठक में विपक्ष की आवाज के तौर पर शामिल होंगी। हालांकि उनके बीच में ही बैठक छोड़कर चले जाने के बाद इस पूरे मामले पर नई चर्चा शुरू हो गई। बैठक से बाहर निकलने पर ममता बनर्जी ने राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें बैठक में बोलने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा मैंने बैठक में कहा कि आपको राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं बोलना चाहती थी लेकिन मुझे सिर्फ पांच मिनट बोलने दिया गया। मेरा माइक बंद कर दिया गया। मुझसे पहले के लोग 10 से 20 मिनट तक बोले। मैं विपक्ष से अकेली थी वहां। मुझे बोलने नहीं दिया गया ये अपमानजनक है। ममता बनर्जी ने नीति आयोग को खत्म करके योजना आयोग को फिर से शुरू करने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि ये थिंक टैंक पूरी तरह से खोखला हो चुका है, इसके कुछ देर बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ममता बनर्जी के आरोपों का जवाब दिया और कहा कि ममता बनर्जी झूठ बोल रही हैं। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ममता बनर्जी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हो रही नीति आयोग की बैठक में भाग लेने पहुंची थी। उन्होंने पश्चिम बंगाल की तरफ से और विपक्ष की तरफ से अपनी बात रखीं। हम सभी ने उनकी बातें सुनीं। उनका यह कहना कि उनका माइक बंद कर दिया गया पूरी तरह झूठ है। अगर वह और बोलना चाहती थीं तो और वक्त दिया जा सकता था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नीति आयोग को पीएम के लिए ढोल पीटने वाला तंत्र और पक्षपाती बताया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के साथ हुआ बर्ताव अस्वीकार्य है। यह नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के लिए ढोल पीटने वाले तंत्र के रूप में काम करता है। किसी भी रूप में हमने (नीति आयोग) सहकारी संघवाद को मजबूत नहीं किया है। इसका काम करने का तरीका स्पष्ट रूप से पक्षपात से भरा रहा है। यह न तो प्रोफेशनल है और न ही स्वतंत्र है, यह अलग तरह से असहमति से भरे सभी तरह के दृष्टिकोण को दबा देता है जो एक खुले लोकतंत्र के मूल तत्व हैं। इसकी बैठकें महज दिखावा होती हैं। प. बंगाल की मुख्यमंत्री के प्रति उसका व्यवहार जो नीति आयोग का वास्तविक रूप है बिलकुल स्वीकार्य नहीं है।

-अनिल नरेन्द्र

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