Saturday 31 August 2024

महिलाओं के खिलाफ अपराध अक्षम्य

कोलकाता में जूनियर डाक्टर से दुष्कर्म व हत्या, महाराष्ट्र के बदलापुर में दो बच्चियों के यौन शोषण, महाराष्ट्र के ही रत्नगिरी में 19 साल की नर्सिंग छात्र के साथ दुष्कर्म जैसी वारदातों को लेकर देशभर में व्यापक आक्रोश के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध अक्षम्य है। उन्होंने कहा, देश का कोई भी राज्य हो, अपनी बहन-बेटियों की पीड़ा और उनका गुस्सा मैं समझ रहा हूं। देश के हर राजनीतिक दल, हर राज्य सरकार से यही कहूंगा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध का दोषी कोई भी हो, बचना नहीं चाहिए। उसकी किसी तरह से मदद करने वाला बचना नहीं चाहिए। कटु सत्य तो यह है कि जब कभी महिला के खिलाफ जघन्य अपराध का मामला तूल पकड़ता है तो विरोध प्रदर्शन होते हैं। सारे नेता और जनप्रतिनिधि भी मुखर रूप से इसमें शामिल होते हैं। मगर इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि जो जनप्रतिनिधि इस सवाल पर आक्रोशित जनता के साथ खड़े दिखते हैं, वे खुद अपने सहयोगियों पर महिलाओं के विरुद्ध अपराध के आरोपों को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं होते। यह किसी से छिपा नहीं कि हर चुनाव में ऐसे लोग भी बतौर उम्मीदवार किसी सीट पर अपना दावा पेश करते हैं और उनमें से कई जीत कर जनप्रतिनिधि भी बन जाते हैं। चाहे उन पर कितने ही गंभीर आरोप लगे हों? अगर किसी जनप्रतिनिधि पर महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध करने या उसमें शामिल होने का आरोप है, तो उससे महिलाओं के हक में ईमानदारी से लड़ाई की कितनी उम्मीद की जा सकती है? जब जनप्रतिनिधि खुद आरोपी होते हैं, वे कानून बनाने या बचाने के दायित्व के प्रति कितने गंभीर हो सकते हैं, आप खुद ही सोच सकते हैं। इसी महौल में बुधवार को एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके अनुसार 151 मौजूदा विधायकों और सांसदों के खिलाफ महिला उत्पीड़न के मामले दर्ज हैं। 300 पन्ने की इस रिपोर्ट में कितने सांसदों के खिलाफ महिला उत्पीड़न, बलात्कार के आरोप लगे हैं इसकी जानकारी है। इस रिपोर्ट के लिए एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच ने देश के कुल 4809 मौजूदा सांसदों और विधायकों में से 4,693 ने चुनाव आयोग को सौंपे गए हलफनामों का अध्ययन किया है। इन हलफनामों में विधायकों और सांसदों ने अपने खिलाफ दर्ज अपराधों की जानकारी दी है। इस रिपोर्ट में विस्तार से जानकारी दी गई है कि किन सांसदों, विधायकों पर महिला उत्पीड़न के अपराध दर्ज हैं। इनमें महिला पर एसिड अटैक, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, किसी महिला को निवस्त्र करना, पीछा करना, वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिग लड़कियों को खरीदना व बेचना इत्यादि शामिल हैं। 755 सांसदों और 3938 विधायकों में से 151 विधायकों और सांसदों ने अपने हलफनामें में महिला उत्पीड़न से जुड़े अपराधों की जानकारी दी है। हलफनामे में जिन अपराधों की बात की गई है उनमें बलात्कार, दुर्व्यवहार, वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिग लड़कियों की खरीद-फरोख्त जैसे अपराध शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा भाजपा के 54 जनप्रतिनिधि हैं। कांग्रेस के 23, तेलुगू देशम के 17, आम आदमी पार्टी के 13, तृणमूल कांग्रेस के 10 और राजद के 5 नेता शामिल हैं। इनमें कांग्रेस के 16 के खिलाफ बलात्कार के मामले दर्ज हैं। इनमें दो सांसद और 14 विधायक हैं। विडम्बना यह कि जब हमारे द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि के खिलाफ ऐसे गंभीर मामले हैं तो प्रभावित महिलाओं और उनके परिजनों को न्याय कौन दिलवाएगा? इन जनप्रतिनिधियों से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। कटु सत्य तो यह है कि इस हमाम में सब नंगे हैं।

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